प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 अक्टूबर को दिल्ली में शुरू होने जा रहे दो दिवसीय कार्यक्रम में ‘पीएम किसान योजना’ के तहत 8.5 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में 16,000 करोड़ रुपये की राशि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजेंगे। पूसा परिसर में होने वाले इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की तरफ से जारी की जाने वाली यह राशि इन किसानों के लिए सालाना 6,000 रुपये का प्रत्यक्ष समर्थन होगा। यह इस योजना के तहत किसानों के लिए जारी की जाने वाली 12वीं किस्त होगी। साथ ही योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली कुल राशि बढ़कर 2.16 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी।
ऐसे करें चेक : खाते में पैसा पहुंचा कि नहीं इसे पता करने के लिए सबसे पहले पीएम किसान (PM Kisan) की आधिकारिक वेबसाइट pmkisan.gov.in पर जाएं। वहां पर आपको दाईं तरफ 'Farmers Corner' या किसानों के लिए का ऑप्शन मिलेगा। उस सेक्शन ‘Beneficiary Status' या लाभार्थी की स्थिति के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। उस पर क्लिक करने के बाद नया पेज खुल जाएगा। नए पेज पर लाभार्थी को आधार नंबर, बैंक खाता संख्या या मोबाइल नंबर में से किसी एक का ऑप्शन चुनना होगा। एक ऑप्शन चुनने के बाद आधार नंबर या बैंक खाता या फिर मोबाइल नंबर की डिटेल फीड करनी होगी। इसके बाद इसके बाद 'Get Data' पर क्लिक करें। इस पर क्लिक करने के बाद लाभार्थी की सभी किस्तों का स्टेटस सामने आ जाएगा। यानी उसे अब तक कितना पैसा मिला है। किस खाते में पैसा गया है, यह डिटेल सामने आ जाएगी।
मध्यप्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना संबल और कर्मकार कल्याण मंडल की राशि आज यानी 12 अक्टूबर को जारी करेगी। रायसेन के दशहरा मैदान पर यह कार्यक्रम होगा। मुख्यमंत्री शिवराज इस कार्यक्रम में योजना से जुड़े हितग्राहियों को इसका लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि संबल योजना के प्रावधानों की जानकारी जनपद तथा पंचायत स्तर पर उपलब्ध कराई जाए। मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल ) योजना तथा कर्मकार कल्याण मंडल की योजना से सभी पात्र व्यक्तियों को जोड़ने के लिए राज्य स्तर से जिला और ग्राम – वार्ड स्तर तक प्रभावी गतिविधियाँ संचालित की जाएँ। मुख्यमंत्री चौहान 12 अक्टूबर को रायसेन के दशहरा मैदान में संबल और भवन संनिर्माण श्रमिक हितग्राहियों को अनुग्रह सहायता राशि के अंतरण कार्यक्रम के लिए जारी तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे।
निवास कार्यालय में बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव श्रम सचिन सिंहा, भोपाल संभागायुक्त गुलशन बामरा तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे। रायसेन कलेक्टर बैठक में वर्चुअली सम्मिलित हुए।
मुख्यमंत्री चौहान की अध्यक्षता में रायसेन के दशहरा मैदान पर 12 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से कार्यक्रम आरंभ होगा। इसमें लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री प्रभुराम चौधरी और सहकारिता मंत्री एवं रायसेन जिले के प्रभारीअरविंद भदौरिया विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। मुख्यमंत्री चौहान द्वारा सिंगल क्लिक से 15 हजार 948 हितग्राहियों के खातों में 345 करोड़ 59 लाख रुपए की अनुग्रह सहायता राशि अंतरित की जाएगी। तीन कल्याण मंडलों की मार्गदर्शिका का विमोचन होगा। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के श्रमोदय आवासीय विद्यालयों को आईएसओ प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे। उत्तम श्रमिक पुरस्कारों का वितरण भी होगा। कार्यक्रम का प्रसारण सभी जनपद पंचायतों में होगा।
किसानों की सुविधा के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana) की आधिकारिक वेबसाइट पर स्कीम से संबंधित जानकारी शेयर की गई। नियमों के अनुसार हर परिवार के केवल एक सदस्य को ही इस योजना का लाभ मिलता है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर किसी लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में वारिस को इस योजना के लाभ मिलेंगे या नहीं। सरकार ने इस सवाल का जवाब दिया है। आइए जानते हैं कि क्या पीएम किसान योजना की लाभार्थी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को योजना के पैसे मिलेंगे या नहीं-
उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh) ने योजना के लाभार्थियों की मृत्यु के बाद योजना का लाभ दिए जाने संबंधित कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन नियमों के मुताबिक मृतक किसान के वारिस को भी इस योजना का लाभ मिल सकता है अगर पर इस योजना की सभी शर्तों को पूरा करता है, लेकिन इसके लिए वारिस को पोर्टल पर खुद को रजिस्टर करना पड़ेगा। अगर आप पीएम किसान योजना (PM Kisan Scheme) की सभी नियम और शर्तों को पूरा करते हैं तो आपको इस योजना का लाभ जरूर मिलेगा। अगर आप पीएम किसान योजना के लाभार्थियों के नाम की लिस्ट चेक करना चाहते हैं तो ऑनलाइन आसानी से उसे चेक कर सकते हैं। इसके अलावा आप योजना के लिए आवेदन भी ऑनलाइन कर सकते हैं।
Kisan Nyay Yojana Installment : छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार इस बार किसानों को त्यौहार से पहले किसान न्याय योजना की किस्त मिल जाएगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले एक नवंबर को किसानों के खाते में किस्त भेजी जाती थी, लेकिन इस बार 15 अक्टूबर को ही किसानों को पैसा मिल जाएगा। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने ये फैसला दिवाली को देखते हुए लिया है। इसके साथ ही आपको बताते चलें कि इस योजना के तहत इस बार किसानों के खातों में 15 सौ करोड़ रुपये ट्रांसफर किये जाएंगे। इसके साथ ही बता दें इस योजना से इस बार 22 लाख से ज्यादा किसान लाभांवित होंगे।
पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री संजीव बालयान ने बताया कि 30 करोड़ से अधिक गाय, भैंसों का पशु आधार बनेगा. इसीलिए आज हम आपको Animal UID यानी Pashu Aadhaar के बारे में बता रहे हैं ई-गोपाला ऐप (e-Gopala app) की शुरू करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पशु आधार नंबर का जिक्र किया. उन्होंने कहा, इस ऐप में पशु आधार (Pashu Aadhaar) डालने का काम पूरा हो जाएगा तो इससे जानवरों के बारे में सभी जानकारियां हासिल की जा सकेंगी. पशुओं को खरीदना और बेचना आसान हो जाएगा. आईए जानते हैं कि आखिर पशु आधार क्या है? दरअसल, पशुओं की टैगिंग ही उनका आधार कार्ड है. अब देशभर की हर गाय व भैंस के लिए यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर जारी होगा. इसके जरिए पशुपालक घर बैठे अपने पशु के बारे में सॉफ्टवेयर के जरिए जानकारी ले सकेंगे. टीकाकरण, नस्ल सुधार कार्यक्रम, चिकित्सा सहायता सहित अन्य काम आसानी से हो पाएंगे।भारत में पशुधन की जानकारी से संबंधित एक विशाल डेटाबेस बनाया जा रहा है. सरकार की कोशिश है कि पशुधन के जरिए किसानों की आमदनी बढ़ाई जाए. केंद्रीय पशुपालन विभाग के मुताबिक अगले डेढ़ साल में लगभग 50 करोड़ से अधिक मवेशियों को उनके मालिक, उनकी नस्ल एवं उत्पादकता का पता लगाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यूनिक आईडी (Animal UID-Pashu Aadhaar) दी जाएगी. मवेशियों के कान में 8 ग्राम के वजन वाला पीला टैग लगाया जाएगा. इसी टैग पर 12 अंकों का आधार नंबर चस्पा होगा पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री संजीव बालयान ने न्यूज18 हिंदी से बातचीत में बताया कि अभी करीब 4 करोड़ गाय (Cow), भैंसों का आधार कार्ड बनाया गया है जबकि देश में 30 करोड़ से अधिक गाय, भैंस हैं. अभियान चलाकर इनकी टैगिंग की जाएगी. इसके बाद भेंड, बकरियों आदि के आधार बनेंगे. इस कार्ड में यूनीक नंबर, मालिक के विवरण और पशु के टीकाकरण और ब्रीडिंग की जानकारियां शामिल होंगी।
पशुपालन एटीएम मशीन के समान
पशुपालन एवं डेयरी सचिव अतुल चतुर्वेदी (Atul Chaturvedi) के मुताबिक, किसानों के लिए पशुपालन एटीएम मशीन (ATM machine ) के समान है. खुदरा विक्रेता के लिए दूध की तरह कोई भी उत्पाद तेजी से आगे नहीं बढ़ रहा है. हमारा लक्ष्य डेयरी क्षेत्र में बाजार की वर्तमान मांग को 158 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 290 मिलियन मीट्रिक टन करना है.
पशुधन, भारत और दूध उत्पादन
20वीं पशुधन गणना के मुताबिक देश में मादा मवेशी (गायों की कुल संख्या) 145.12 मिलियन आंकी गई है. जो पिछली गणना (2012) की तुलना में 18.0 प्रतिशत अधिक है. जबकि कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है. वर्ष 2018 में 176.3 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ. विश्व के कुल दूध उत्पादन (Milk production) में भारत की हिस्सेदारी लगभग 20 फीसदी है.-भारत में हर रोज करीब 50 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है. इसमें से लगभग 20 फीसदी संगठित और 40 फीसदी असंगठित क्षेत्र खरीदता है. लगभग 40 फीसदी दूध का इस्तेमाल किसान खुद करता है.यूपी, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं कर्नाटक भारत के सबसे बड़े दूध उत्पादक राज्य हैं.नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के मुताबिक 2018-19 में भारत में प्रति व्यक्ति प्रति दिन दूध की औसत उपलब्धता 394 ग्राम थी. इस मामले में हरियाणा सबसे आगे है जहां प्रति व्यक्ति औसत दूध 1087 ग्राम है.
नई दिल्ली : अन्नदाताओं को केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि के तहत हर साल 6,000 रुपये कृषि कार्यों को लिए देती है. यह राशि तीन बार में लाभार्थी किसान के खाते में जाती है. इस महीने सितंबर में 12वीं किस्त का पैसा आना है. लेकिन, इससे पहले ही उत्तर प्रदेश के 21 लाख किसान अपात्र पाए गए हैं. इन किसानों को दी गई राशि वापस लेने के लिए कृषि विभाग की ओर से नोटिस जारी किए गए हैं किसानों को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान योजना चला रही है. योजना के तहत उत्तर प्रदेश में 2.85 करोड़ किसान पंजीकृत हैं. राज्य कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि योजना का लाभ ले रहे 21 लाख किसान अपात्र पाए गए हैं. बीते कुछ माह से योजना में पंजीकृत किसानों के सत्यापन का कार्य चल रहा है, जिसमें इन किसानों को गलत जानकारी देने समेत अन्य वजहों से अपात्र पाया गया है.राज्य कृषि मंत्री ने कहा कि अपात्र पाए गए किसानों से योजना के तहत अबतक ली गई रकम की वसूली जाएगी. इसके लिए संबंधित किसानों को कृषि विभाग की ओर से नोटिस जारी किए जा चुके हैं. उन्होंने ने कहा कई मामलों में किसान और उसकी पत्नी दोनों योजना का लाभ लेते पाए गए हैं, जो कि योजना के नियम का उल्लंघन है. ऐसे किसानों की पहचान सत्यापन और ई-केवाईसी के जरिए पाए गए डेटा से की जा रही हैअपर मुख्य सचिव कृषि, देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि राज्य में पीएम किसान योजना के तहत 2.85 करोड़ किसान रजिस्टर्ड हैं. उन्होंने कहा कि 12वीं किस्त के लिए अबतक 1.51 करोड़ किसानों डाटा चेक करने के बाद पोर्टल पर अपडेट किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि बाकी किसानों का रिकॉर्ड भी कुछ दिनों में अपलोड कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि 12वीं किस्त का पैसा इस महीने जारी सकता है
योजना का लाभ लेने से पहले जान लें नियम
पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 6,000 रुपये पाने के लिए कई बार किसान गलत जानकारी या दस्तावेज मुहैया करा देते हैं, जो बाद में उनके या परिजनों के लिए मुसीबत का कारण बनती है. जैसे पति और पत्नी दोनों योजना का लाभ ले रहे हैं, किसान पिता और पुत्र लाभ ले रहे हैं या फिर लाभार्थी किसान की मौत के बाद भी परिजन योजना का लाभ ले रहे हैं. ऐसी स्थिति में सरकार नियमों के तहत दी गई रकम की रिकवरी कराने के साथ सजा भी दे सकती है
प्रमुख सचिव डॉ। अरुण कुमार मेहता (Dr Arun Kumar Mehta) ने पीएम किसान योजना पर जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि जिनके खाते आधार से जुड़े हुए हैं सिर्फ उन्हीं के खाते में ही 12वीं किस्त को ट्रांसफर किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि 5 सितंबर तक सभी किसानों के खाते में पीएम किसान सम्मान निधि से जुड़ी रकम ट्रांसफर होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि सरकार का इस वक्त अपात्र लाभार्थियों को मिलने वाला लाभ बंद करने और पैसे की रिकवरी करने पर फोकस कर रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज हरेली तिहार के मौके पर कृषि कार्य आसान बनाने वाले दो तरह के कृषि यंत्रों की लॉन्चिंग की। मुख्यमंत्री ने दुर्ग जिले के विकासखण्ड पाटन के ग्राम करसा में लगाई गई कृषि प्रदर्शनी में पशुचलित बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर और प्लांटर को लॉन्च किया।
क्या है कल्टीवेटर की विशेषता
अक्सर देखा जाता है कि खेत जुताई के लिए किसान देसी हल का उपयोग करते हैं। इसके बाद पाटा का उपयोग किया जाता है। इस दौरान खेत में ढेले टूट नहीं पाते। इससे बीज बोने वाले यंत्र को चलाने में कठिनाई होती है। ऐसे में दो बार जुताई के लिए पशुचलित बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर किसानों की समस्या का निदान कर सकता है। इस यंत्र में 750 वॉट (1एचपी) का मोटर लगा है और 48 वोल्ट पॉवर की बैटरी लगाई गई है।
इस कल्टीवेटर की सहायता से 1 हेक्टेयर खेत को 5-7 घंटे में एक बार द्वितीयक जुताई की जा सकती है। इससे जहां मवेशियों को कम बल लगाना पड़ेगा तो वहीं किसान भी सीट पर बैठकर आसानी से पूरे यंत्र को संचालित कर सकता है। इस पूरे यंत्र की लागत क़रीब 55-60 हज़ार रुपये बतायी जा रही है।
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कतारबद्ध बुआई के काम आएगा प्लांटर
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक द्वारा पशुचलित बैटरी ऑपरेटेड प्लांटर भी बनाया गया है। इसकी सहायता से कतारबद्ध बीज से बीज की दूरी बनाए रखते हुए बुआई की जा सकेगी। इस प्लांटर को कतार से कतार के बीच की दूरी फसल के अनुसार 20 से 50 सेन्टीमीटर तक व्यवस्थित कर सकते हैं। प्लांटर की लागत लगभग 20-25 हज़ार रुपये बताई जा रही है।
Fesn news :- देश की सबसे बड़ी किसान स्कीम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना इन दिनों एक नई बहस के केंद्र में है। यह बहस योजना का फायदा बटाईदार और किरायेदार किसानों तक पहुंचाने की है। उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड और पीएम फसल बीमा योजना का लाभ तो मिलता है लेकिन, पीएम किसान योजना के 6000 रुपये के लाभ से वंचित रखा गया है।
मौजूदा मॉनसून सत्र में कुछ सांसदों ने इससे जुड़े सवाल लोकसभा में उठाए हैं। लेकिन जवाब देखकर ऐसा नहीं लगता कि सरकार की मंशा ऐसे किसानों को पीएम किसान योजना में शामिल करने की है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वर्ष 2019 में कृषि परिवारों की भूमि व पशुधन संख्या की स्थिति के आकलन के लिए एक सर्वे करवाया था। इसके अनुसार वर्ष 2018-19 के दौरान देश में कुल जोत का लगभग 17।3% भाग बटाईदार और किरायेदार किसानों के पास था। लेकिन, केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कहा है कि पीएम किसान योजना के लिए पहली शर्त ही भूमि जोत है। यानी राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में खेतिहर होना है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि पीएम किसान योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इसके तहत उन सभी किसान परिवारों को सालाना 6000 रुपये दिए जा रहे हैं, जिनके पास किसी भी आकार की खेती योग्य भूमि है। इसका लाभ लेने के लिए कृषि योग्य भूमि का स्वामित्व मूलभूत मानदंड है।
राष्ट्रीय किसान नीति-2007 के अनुसार किसान शब्द का मतलब उगाई गई फसलों की आर्थिक या आजीविका क्रिया-कलाप में सक्रिय रूप से शामिल व्यक्ति तथा अन्य प्राथमिक कृषि उत्पादों को उगाने वाले व्यक्ति से है। इसमें काश्तकार, कृषि श्रमिक, बटाईदार, पट्टेदार, पशुपालक, मछलीपालक, मुर्गी पालक, माली, मधुमक्खी पालक, चरवाहे, रेशम के कीड़ों का पालन करने वाले, वर्मीकल्चर तथा कृषि-वानिकी जैसे विभिन्न कृषि-संबंधी व्यवसायों से जुड़े व्यक्ति आते हैं। देश में कुल 14।5 करोड़ किसान परिवार हैं।
मुंबई के कुर्ला में सोमवार आधी रात चार मंजिला एक इमारत के ढहने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 15 अन्य जख्मी हुए हैं. इस इमारत को पहले ‘जर्जर’ घोषित किया गया था लेकिन बाद में ‘मरम्मत योग्य’ घोषित किया गया.
घटना के बाद, नाइक नगर हाउसिंग सोसाइटी परिसर में स्थित चार में से एक अन्य इमारत को भी खाली कराया गया और उसे भी खतरनाक माना गया तथा बाद में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने उसे गिरा दिया.
इंडिया टुडे के मुताबिक, मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालने के लिए बचाव अभियान अभी भी जारी है. इस बीच, इमारत के मालिकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
बीएमसी फायर ब्रिगेड और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) सोमवार रात से बचाव अभियान चला रहे हैं. उन्होंने इमारत के मलबे से 32 लोगों को बचाया है और 18 को अस्पतालों में मृत घोषित कर दिया गया है.
दिलीप विश्वास नाम के एक शख्स और अन्य मकान मालिकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304(2) (गैर इरादतन हत्या के लिए दंड), 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 337, 338 (जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य से चोट पहुंचाना) और धारा 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, 1973 में बनी इमारत के निवासियों ने मरम्मत कराने का बीड़ा उठाया था, लेकिन जाहिर तौर पर कोई मरम्मत नहीं हो पाई.
दमकल, पुलिस, नगर निकाय के अधिकारियों के साथ-साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के दो
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में रावघाट परियोजना में 100 करोड़ रुपए मुआवजा दिए जाने के मामले में हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। अधिकारियों और भूस्वामियों के बीच हुई मिलीभगत से ज्यादा मुआवजा देना कोर्ट ने पाया और याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले कलेक्टर ने एफआईआर दर्ज कराई थी। मई 2022 में सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने आदेश के फैसले को सुरक्षित रख लिया रह था। कोर्ट ने बीते मंगलवार को मामले में बड़ा फैसला दिया है।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखते हुए भू स्वामियों को शासन के हड़पे गए रकम वापसी का आदेश दिया है। बता दें कि बस्तर को रायपुर से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण रेल लाइन रावघाट परियोजना का मामला घोटाले की शोर के बीच हाई कोर्ट पहुंचा। जहां एक तरफ बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड ने हाई कोर्ट में प्रभावित किसानों को दी गई ज्यादा मुआवजा को वापस दिलाने की मांग की थी। वहीं किसानों ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। हाई कोर्ट में दायर दोनों पक्षों ने याचिका में बताया कि रावघाट परियोजना के बीच में आ रहे बस्तर के ग्राम पल्ली में एक स्टेशन बनना है।
इनके मुआवजे को लेकर फैसला : ग्राम पल्ली में बली नागवंशी 2.5 हेक्टेयर और नीलिमा बेलसरिया 1.5 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई। इसके बदले उन्हें 100 करोड़ रुपए मुआवजा दिया गया। बहस के दौरान बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र की जमीन का अतिरिक्त मुआवजा दिए हैं। राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिली भगत कर गड़बड़ी की गई है। सरकारी नोटिफिकेशन में यह जमीन ग्रामीण क्षेत्र में ही दिखा रहा है। वहीं किसानों का कहना था कि उनको सही मुआवजा दिया गया है। उनकी जमीन नगर निगम सीमा से लगी हुई है, जिसका कृषि भूमि से आवासीय उपयोग के लिए परिवर्तन करा लिया गया था। इसके कारण उनकी जमीन की कीमत दूसरे किसानों से अधिक हो गई।
मामले को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने फैसले को रिजर्व कर लिया था। बीते मंगलवार को आए फैसले में कोर्ट ने भू स्वामियों की याचिका खारिज कर दी। वहीं इसी मामले से संबंधित एक याचिका में इरकॉन के दो अधिकारी सुरेश बी। मताली और एवीआर मूर्ति को राहत दिया है। उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त कर दिया है।
PM kisan Yojana ना के तहत 31 मई 2022 को 11वीं किस्त किसानों के खाते में भेजे गए थे। वहीं अभी कई किसानों के खाते में अलग-अलग कारणों से योजना का पैसा नहीं मिला है। किसी के फॉर्म में गड़बड़ी तो किसी ने ईकेवाईसी नहीं कराया है। जिसकी वजह से पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा नहीं भेजा गया। अगर आपने यह काम नहीं किया है, तो इसे तुरंत कर सकते हैं और 11वीं किस्त का लाभ उठा सकते हैं।
वहीं अगर आप प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के 12वीं किस्त की रकम भी पाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले कुछ महत्वपूर्ण कार्य निपटा लेने चाहिए ताकि आपको योजना की किस्त की रकम मिलती रहे। आइए जानते हैं कौन-कौन से ये जरूरी कार्य हैं।
आवेदन फॉर्म की जांच : सबसे पहले आपको पोर्टल पर किए गए ऑनलाइन आवेदन की जांच करनी चाहिए, कि कहीं आपके आवेदन में कोई गड़बड़ी तो नहीं हैं। इसकी जांच आप pmkisan.gov.in वेबसाइट पर जाएं। यहां आप फॉर्मर कॉर्नर सेक्शन में बेनिफिसियर लिस्ट की जांच करें और अगर इस लिस्ट में आपका नाम दिखाई देता है तो यह समझ जाएं कि आपका आवेदन सही है। इसके बाद आप अपने नाम पर क्लिक करके पूरी डिटेल देख सकते हैं।
दस्तावेजों की भी करें जांच : साथ ही आपको आवेदन के दौरान दिए गए दस्तावेजों की भी जांच करनी चाहिए। अगर आपने पिछले दिनों आधार कार्ड में कोई अपडेट कराया है तो इस नई जानकारी को आप पोर्टल पर भी अपडेट कर दें, नहीं तो 12वीं किस्त का पैसा अटक सकता है।
31 जुलाई से पहले ई-केवाईसी : एक और महत्वपूर्ण कार्य पीएम किसान योजना के लाभार्थी किसानों को कर लेनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना योजना की एक भी किस्त आपको नहीं दी जाएगी। केंद्र सरकार ने PM Kisan ekyc की शुरुआत फ्रॉड को रोकने के लिए की थी। इसे पूरा करने के लिए कई बार डेडलाइन बढ़ाई गई, लेकिन अब किसानों को 31 जुलाई से पहले ई-केवाईसी को पूरा करना होगा।
सरकार ने किसान सम्मान योजना में E-KYC की अवधि दो महीने बढ़ा दी है। अब किसान 31 जुलाई तक ईकेवाईसी करवा सकते हैं। इसके साथ ही ईकेवाईसी से वंचित किसानों के भुगतान पर लगी रोक को इस बार के लिए हटा लिया गया है। लेकिन करीब 87 हजार 700 ऐसे किसान अभी भी लाभ से वंचित रहेंगे। उनका अकाउंट अभी तक फिक्स नहीं हुआ है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को पीएम सम्मान निधि के तहत बिहार के 82 लाख से अधिक किसानों के खातों में 11वीं किस्त की रकम जारी की है. इसमें ऐसे किसान भी है, जिन्होंने अभी तक E-KYC नहीं करवाई है. जानकारी के मुताबिक ऐसे किसानों की संख्या तकरीबन 31 फीसदी है. आंकड़ों के हिसाब से अभी तक E-KYC नहीं कराने वाले किसानों की संख्या 25 लाख से अधिक है. यह वहीं किसान हैं, जिनके खातों के लिए पीएम किसान की किस्त का पैसा जारी हो गया है. ऐसे किसानों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने E-KYC कराने की तारीख 31 जुलाई तक आगे बढ़ा दी है. जिन्हें इस समय तक E-KYC कराने होगा।
बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक मार्डर्न और हाईटेक डेयरी है, जिसका नाम 'भाग्यलक्ष्मी' (Bhagyalaxmi Dairy) है। इस डेयरी का दूध मुंबई के अलावा देश की कई बड़ी हस्तियों के घर सप्लाई होता है। भाग्यलक्ष्मी डेयरी के कस्टमर लिस्ट में कई बड़े सेलेब्रिटी शामिल हैं। इनमें अंबानी परिवार से लेकर सचिन तेंडुलकर, अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और ऋतिक रोशन जैसे सेलेब्स के घर भी इसी डेयरी का दूध जाता है।
कितनी है एक लीटर दूध की कीमत : भाग्यलक्ष्मी डेयरी महाराष्ट्र के पुणे जिले में मंचर के पास स्थित है। इस डेयरी में एक लीटर दूध की कीमत करीब 152 रुपए है। यह डेयरी करीब 35 एकड़ एरिया में फैली हुई है, जहां 3000 से ज्यादा गाय हैं। इस डेयरी फार्म के मालिक देवेंद्र शाह हैं। पहले वो कपड़े का बिजनेस करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना डेयर फॉर्म खोल लिया। शाह ने सबसे पहले 175 कस्टमर्स के साथ 'प्राइड ऑफ काउ' लॉन्च किया था।
भाग्यलक्ष्मी डेयर में रोजाना 25 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। यहां मॉर्डर्न और हाइजीनिक मिल्क प्रोडक्शन सिस्टम के तहत दूध निकाला जाता है। यहां का दूध इस बात की पूरी गारंटी देता है कि वह उच्च क्वालिटी का है।
दूध निकालने से पहले हर एक गाय का परीक्षण : दूध निकालने से पहले हर एक गाय के वजन से लेकर उसके टेम्प्रेचर को मापा जाता है। अगर लगता है कि कोई गाय बीमार है, तो उसे फौरन हॉस्पिटल ले जाया जाता है। दूध पाइप से साइलोज में और इसके बाद पॉश्चुराइज्ड होकर बोतल में पैक किया जाता है।
फ्रीजिंग वैन से कस्टमर के घर पहुंचता है दूध : देवेंद्र शाह की बेटी और कंपनी की मार्केटिंग हेड अक्षाली शाह के मुताबिक, पुणे से मुंबई के लिए हर रोज दूध की सप्लाई फ्रीजिंग डिलिवरी वैन से होती है। पुणे से मुंबई पहुंचने में साढ़े तीन घंटे का समय लगता है।
राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीव प्रवक्ता हैं और उनके बड़े भाई नरेश टिकैत भाकियू के अध्यक्ष हैं। राकेश टिकैत सरकार के खिलाफ बयानबाजी के लिए काफी सुर्खियों में रहते हैं। हालही में उन्होंने यूपी की योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर किसानों की ट्राली रोकी गई तो थानों में भूसा भर दिया जाएगा।
किसान नेता राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गई है। ये घटना उस समय हुई, जब वह बेंगलुरू के गांधी भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। स्याही फेंकने वाले को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इंडिया टीवी रिपोर्टर टी राघवन ने ये जानकारी दी है।
राकेश टिकैत के अलावा आरोपियों ने युद्धवीर सिंह पर भी काली स्याही फेंकी है। ये घटना उस समय हुई, जब टिकैत पत्रकारों से बात कर रहे थे। इसी दौरान कुछ युवक वहां आए और स्याही फेंक दी।
अचानक हुई इस घटना के दौरान राकेश टिकैत के चेहरे, कपड़ों और पगड़ी पर स्याही गिरी। इस दौरान आरोपियों ने धक्का मुक्की भी की और कुर्सियां भी तोड़ीं।
#WATCH Black ink thrown at Bhartiya Kisan Union leader Rakesh Tikait at an event in Bengaluru, Karnataka pic.twitter.com/HCmXGU7XtT
— ANI (@ANI) May 30, 2022
रायपुर। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर आज छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों, भूमिहीन कृषि मजदूरों, पशुपालकों एवं समूह से जुड़ी महिलाओं को बड़ी सौगात मिली। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम से राज्य के 26 लाख 68 हजार से अधिक किसानों, भूमिहीन कृषि मजदूरों, पशुपालकों और गौठानों से जुड़ी समूह की महिलाओं को 1804 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि का सीधे उनके बैंक खातों में अंतरण किया। यह कार्यक्रम राजधानी रायपुर से लेकर सभी जिला मुख्यालयों में एक साथ आयोजित हुआ।
छत्तीसगढ़ सरकार की सबके लिए न्याय की मंशा के अनुरूप राज्य में संचालित राजीव गांधी किसान न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मजदूर न्याय योजना और गोधन न्याय योजना के अंतर्गत हितग्राहियों को राशि वितरण के इस कार्यक्रम में सभी जिलों से मंत्रिगण, संसदीय सचिव, विधायकगण, अन्य जनप्रतिनिधि, किसान, मजदूर, समूह की महिलाएं और ग्रामीण जन ऑनलाइन शामिल हुए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत खरीफ वर्ष 2021-22 की पहली किस्त के रूप में किसानों को 1720 करोड़ 11 लाख रुपए, राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमि मजदूर न्याय योजना के तहत 71 करोड़ 8 लाख रुपये तथा गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालकों, गौठान समितियों और महिला समूहों को 13 करोड़ 31 लाख रुपए ऑनलाइन अंतरित किया।
अभी यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से कई बड़े देशों में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। ऐसे में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक भारत को मुख्य आपूर्तिकर्ता के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन भारत ने कुछ विशेष मामलों में ही निर्यात का फैसला किया है। भारत ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। निजी सेक्टर के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें बढ़ी हैं। हालांकि, भारत ने ये फैसला इसलिए लिया है, ताकि देश में बढ़ रही गेहूं और आटे की बढ़ती कीमत को काबू में किया जा सके।
गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने से अमेरिका चिढ़ गया है। जर्मनी में हुई जी-7 देशों की मीटिंग में अमेरिका के कृषि सचिव टॉम विल्सैक ने कहा कि गेहूं तक पहुंच को बाधित कर रहा है। उन्होंने इसे 'गलत समय में गलत कदम' बताया है। विल्सैक ने कहा कि हमें एक ऐसे बाजार की जरूरत है, जो जरूरतमंद लोगों तक सामान पहुंचाने में मदद करे।
भारत के गेहूं के निर्यात पर रोक के फैसले पर अमेरिका आज नाराजगी जता रहा है, लेकिन कभी ऐसा वक्त भी था जब अमेरिका गेहूं के लिए भारत को धमकाता था। तब भारत गेहूं के लिए अमेरिका पर निर्भर हुआ करता था। पाकिस्तान के साथ 1965 की लड़ाई के समय अमेरिका ने भारत को गेहूं न देने की धमकी दी थी। इतना ही नहीं, अमेरिका ने एक बार भारत को 'भिखारियों' का देश भी बताया था।
किसानों के लाभ के लिए भारत सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी रहती है। ये ही नहीं सरकार हमेशा अपनी कई योजनाओं के माध्यम से किसानों की आर्थिक तौर पर मदद भी करती रहती है। इसी क्रम में सरकार देश के किसानों को खाद-बीज के लिए हर साल खातों में पैसे भेजती है।
आपको बता दें कि, हर साल सरकार खाद-बीज (fertilizer seed) के लिए किसानों के खातों में लगभग 7840 रूपए भेजती है। लेकिन इस बार बढ़ती महंगाई को देखते हुए सरकार ने लोन की राशि में बढ़ोतरी की है। इस वर्ष किसानों को प्रति एकड़ खाद-बीज के लिए 8640 रुपए मिलेंगे।
10 हजार किसानों को मिला लोन
गौरतलब कि बात यह है कि, जिला सहकारी बैंकों के माध्यम से हर साल किसानों को खेती करने के लिए कर्ज दिया जाता है। लेकिन बैंक से किसानों को यह कर्ज दो तरह से मिलता है। एक नगद राशि के तौर पर और दूसरा खाद-बीज के रूप में दिया जाता है। बैंक कर्ज की राशि को फसल बेचने के दौरान सोसायटियों में काट ली जाती है। ऐसा करने से किसानों पर भी किसी तरह को कोई बोझ नहीं आता है। इसे किसानों को कर्ज चुकता हो जाता है और वहीं खेती करने के लिए भी किसानों को पैसे भी मिल जाते हैं।
सहकारी बैंकों की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले खरीफ सीजन (Kharif Season) में 60 हजार से अधिक किसानों को 2 अरब का कर्ज दिया गया था। इस साल भी किसानों की मदद के लिए ढाई अरब रुपए तक बांटने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन अब तक देश में केवल 10 हजार किसानों को ही कर्ज की धन राशि प्राप्त हुई है।
ऐसे मिलेगा लोन (How to get loan)
सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं बनाई है। इन्हीं में से एक किसान क्रेडिट कार्ड योजना (Kisan Credit Card Scheme) भी है। इस योजना के द्वारा किसानों की आर्थिक तौर पर मदद की जाती है। अगर आप किसान है और खेती करने के लिए कर्ज की तलाश कर रहे हैं, तो सरकार की इस योजना के माध्यम से आप सरलता से खेती के लिए कर्ज प्राप्त कर सकते हैं।
इसके लिए आपको अपने नजदीकी जिला सहकारी बैंक में संपर्क करना होगा। इसके अलावा आप अन्य राष्ट्रीयकृत निजी बैंकों (Nationalized private banks) के जरिए भी केसीसी लोन यानी खेती करने के लिए लोन प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि हर निजी बैंकों में कर्ज की राशि अलग-अलग होती है।