रथ खींचने उमड़े भक्त, भगवान जगन्नाथ भाई-बहन

संग पहुंचे मौसी के घर, 9 दिनों के बाद लौटेंगे छत्तीसगढ़ संवाददाता अम्बिकापुर,7 जुलाई। महाप्रभु भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम बहन सुभद्रा के साथ मौसी गुंडिचा के घर रविवार को पहुंच गए हैं, 9 दिन महाप्रभु व भाई, बहन के साथ मौसी के घर रहेंगे। उसके पश्चात वापस लौटेंगे। रविवार को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को निकाली जाने वाली रथ यात्रा से पूर्व प्रात: पुष्य नक्षत्र में 5.40 बजे जगन्नाथ महाप्रभु का नेत्र उत्सव पूजन सम्पन्न हुआ। तत्पश्चात मंगल आरती उपरांत श्री गुंडिचा रथ यात्रा पूजा प्रात: 8 से 11.26 के बीच शुभ मुहुर्त में हुई। इसके पश्चात आहुति उपरांत रथ को दोपहर 12.30 बजे निकली गई। रथयात्रा शहर के मुख्यमार्गों से होते हुए देवीगंज मार्ग स्थित दुर्गा बाड़ी प्रांगण में पहुंची,जहां महाप्रभु अपनी मौसी गुंडिचा के घर 9 दिनों तक रहेंगे। इस दौरान उनकी पूजा व प्रतिदिन का भंडारा दुर्गा बाड़ी प्रांगण में ही होगी। नौ दिनों तक जगन्नाथ मंदिर के पट बंद रहेंगे। गौरतलब है कि सहस्त्रधारा स्नान के बाद बीमार पड़े महाप्रभु अब स्वस्थ हो गए हैं, जिसके बाद मान्यता अनुसार महाप्रभु अपने भाई व बहन के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं, जिसके लिए रविवार को भव्य रथ यात्रा निकाली गई। इस संबंध में जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष मनोज कंसारी ने बताया कि जगन्नाथ महाप्रभु के लिए सहस्त्रधारा स्नान 22 जून को आयोजित की गई थी। प्रति वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ जी, बलभद्र और सुभद्रा बहन को सहस्त्रधारा स्नान कराया जाता है। जगन्नाथ जी को 35 घड़े से, बलभद्र जी को 33 घड़े, सुभद्रा जी 22 घड़े और सुदर्शन चक्र को 18 घड़े से स्नान करवाते हैं। इस तरह भगवान के विग्रहों को 108 घड़ों के जल से सहस्त्रधारा स्नान करवाया जाता है। माना जाता है कि स्नान के पश्चात जगन्नाथ जी बीमार हो जाते हैं। इस कारण से 14 दिनों के लिए मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए बंद कर दिये जाते हैं और भगवान एकांतवास में चले जाते हैं। इसे अनवसर काल भी कहा जाता है। जगन्नाथ जी को जड़ी बूटी से बना काढ़ा, फलों का रस, खिचड़ी दलिया का भोग लगाया जाता है। जगन्नाथ जी को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान करवाया जाता है। जिसे स्नान यात्रा कहा जाता है। स्नान यात्रा के दिन जगन्नाथ जी के गजानन वेश के दर्शन होते हैं। इसके बाद जब महाप्रभु स्वस्थ होते हैं तो वे अपने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर 9 दिनों के लिए रहने जाते हैं जिसके लिए परम्परा अनुसार रथयात्रा निकाली जाती है।अम्बिकापुर के जगन्नाथ मंदिर के पुजारी बैकुंठनाथ पंडा के अस्वस्थ होने के कारण से समिति द्वारा उड़ीसा से शंभू नाथ पंडा को यहां बुलवाया गया है जो समस्त पूजा सम्पन्न कराए।

रथ खींचने उमड़े भक्त, भगवान जगन्नाथ भाई-बहन
संग पहुंचे मौसी के घर, 9 दिनों के बाद लौटेंगे छत्तीसगढ़ संवाददाता अम्बिकापुर,7 जुलाई। महाप्रभु भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम बहन सुभद्रा के साथ मौसी गुंडिचा के घर रविवार को पहुंच गए हैं, 9 दिन महाप्रभु व भाई, बहन के साथ मौसी के घर रहेंगे। उसके पश्चात वापस लौटेंगे। रविवार को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को निकाली जाने वाली रथ यात्रा से पूर्व प्रात: पुष्य नक्षत्र में 5.40 बजे जगन्नाथ महाप्रभु का नेत्र उत्सव पूजन सम्पन्न हुआ। तत्पश्चात मंगल आरती उपरांत श्री गुंडिचा रथ यात्रा पूजा प्रात: 8 से 11.26 के बीच शुभ मुहुर्त में हुई। इसके पश्चात आहुति उपरांत रथ को दोपहर 12.30 बजे निकली गई। रथयात्रा शहर के मुख्यमार्गों से होते हुए देवीगंज मार्ग स्थित दुर्गा बाड़ी प्रांगण में पहुंची,जहां महाप्रभु अपनी मौसी गुंडिचा के घर 9 दिनों तक रहेंगे। इस दौरान उनकी पूजा व प्रतिदिन का भंडारा दुर्गा बाड़ी प्रांगण में ही होगी। नौ दिनों तक जगन्नाथ मंदिर के पट बंद रहेंगे। गौरतलब है कि सहस्त्रधारा स्नान के बाद बीमार पड़े महाप्रभु अब स्वस्थ हो गए हैं, जिसके बाद मान्यता अनुसार महाप्रभु अपने भाई व बहन के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं, जिसके लिए रविवार को भव्य रथ यात्रा निकाली गई। इस संबंध में जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष मनोज कंसारी ने बताया कि जगन्नाथ महाप्रभु के लिए सहस्त्रधारा स्नान 22 जून को आयोजित की गई थी। प्रति वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ जी, बलभद्र और सुभद्रा बहन को सहस्त्रधारा स्नान कराया जाता है। जगन्नाथ जी को 35 घड़े से, बलभद्र जी को 33 घड़े, सुभद्रा जी 22 घड़े और सुदर्शन चक्र को 18 घड़े से स्नान करवाते हैं। इस तरह भगवान के विग्रहों को 108 घड़ों के जल से सहस्त्रधारा स्नान करवाया जाता है। माना जाता है कि स्नान के पश्चात जगन्नाथ जी बीमार हो जाते हैं। इस कारण से 14 दिनों के लिए मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए बंद कर दिये जाते हैं और भगवान एकांतवास में चले जाते हैं। इसे अनवसर काल भी कहा जाता है। जगन्नाथ जी को जड़ी बूटी से बना काढ़ा, फलों का रस, खिचड़ी दलिया का भोग लगाया जाता है। जगन्नाथ जी को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान करवाया जाता है। जिसे स्नान यात्रा कहा जाता है। स्नान यात्रा के दिन जगन्नाथ जी के गजानन वेश के दर्शन होते हैं। इसके बाद जब महाप्रभु स्वस्थ होते हैं तो वे अपने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर 9 दिनों के लिए रहने जाते हैं जिसके लिए परम्परा अनुसार रथयात्रा निकाली जाती है।अम्बिकापुर के जगन्नाथ मंदिर के पुजारी बैकुंठनाथ पंडा के अस्वस्थ होने के कारण से समिति द्वारा उड़ीसा से शंभू नाथ पंडा को यहां बुलवाया गया है जो समस्त पूजा सम्पन्न कराए।