दंतेवाड़ा में फागुन मेला शुरू, देवी-देवताओं का हो रहा आगमन
दंतेवाड़ा में फागुन मेला शुरू, देवी-देवताओं का हो रहा आगमन
छत्तीसगढ़ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 5 मार्च। दंतेवाड़ा जिले का वार्षिक महापर्व फागुन मेला का बुधवार से विधिवत शुभारंभ किया गया। आगामी 10 दिनों तक विभिन्न परंपराओं का निर्वहन किया जाएगा।
श्री दंतेश्वरी माई जी दंतेवाड़ा की प्रसिद्ध फागुन मड़ई (मेला) कलश स्थापना की परंपरा के साथ विधिवत शुरू हो गया। दंतेश्वरी मंदिर के जिया ने प्रात: 11 बजे परम्परानुसार मेंडका डोबरा मैदान में स्थित गुड़ी में दंतेश्वरी देवी के छत्र की प्राण प्रतिष्ठा की। इसके उपरांत कलश की स्थापना की गई। इसके साथ ही जिया ने बताया कि शाम 4 बजे श्री नारायण मंदिर के लिए माई जी मंदिर से डोली निकलेगी। साथ ही ताड़पलंगा धोनी की रस्म रात्रि 9 बजे विधि विधान से संपन्न की जाएगी। पांच मार्च से प्रथम दिवस कलश स्थापना के साथ दस दिवसीय मेला का शुभारंभ हो गया है।
आमंत्रित देवी-देवताओं को भी सम्मान के साथ आसन ग्रहण कराया जाएगा। फागुन मेला का आयोजन मार्च के प्रथम पखवाड़े तक संचालित किया जाएगा। इस दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
परम्परागत वाद्य यंत्रों की गूंज मंत्रोपचार के साथ ही सेवक पुजारी तथा मांझी चालकी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस दौरान मंदिर के सेवादार और कर्मचारी प्रमुख रूप से मौजूद थे।
छत्तीसगढ़ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 5 मार्च। दंतेवाड़ा जिले का वार्षिक महापर्व फागुन मेला का बुधवार से विधिवत शुभारंभ किया गया। आगामी 10 दिनों तक विभिन्न परंपराओं का निर्वहन किया जाएगा।
श्री दंतेश्वरी माई जी दंतेवाड़ा की प्रसिद्ध फागुन मड़ई (मेला) कलश स्थापना की परंपरा के साथ विधिवत शुरू हो गया। दंतेश्वरी मंदिर के जिया ने प्रात: 11 बजे परम्परानुसार मेंडका डोबरा मैदान में स्थित गुड़ी में दंतेश्वरी देवी के छत्र की प्राण प्रतिष्ठा की। इसके उपरांत कलश की स्थापना की गई। इसके साथ ही जिया ने बताया कि शाम 4 बजे श्री नारायण मंदिर के लिए माई जी मंदिर से डोली निकलेगी। साथ ही ताड़पलंगा धोनी की रस्म रात्रि 9 बजे विधि विधान से संपन्न की जाएगी। पांच मार्च से प्रथम दिवस कलश स्थापना के साथ दस दिवसीय मेला का शुभारंभ हो गया है।
आमंत्रित देवी-देवताओं को भी सम्मान के साथ आसन ग्रहण कराया जाएगा। फागुन मेला का आयोजन मार्च के प्रथम पखवाड़े तक संचालित किया जाएगा। इस दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
परम्परागत वाद्य यंत्रों की गूंज मंत्रोपचार के साथ ही सेवक पुजारी तथा मांझी चालकी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस दौरान मंदिर के सेवादार और कर्मचारी प्रमुख रूप से मौजूद थे।