मोती माता मेला 13 जनवरी से:लाखों की संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं श्रद्धालु; अफसरों ने देखी व्यवस्थाएं

जिले का सबसे बड़ा मोती माता मेला डोईफोड़िया क्षेत्र के लोखंडिया में 13 जनवरी से शुरू होगा। छह दिनी मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता का दर्शन पूजन करने पहुंचते हैं। मेले में उमड़ने वाली भीड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल 21 एकड़ में लगने वाले मेला पिछले साल 31 एकड़ में लगाया गया था। इस मेले में मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भक्त आते हैं। इसे लेकर एक दिन पहले शनिवार को नेपानगर एसडीएम भागीरथ वाखला, खकनार टीआई अभिषेक जाधव ने डोईफोड़िया पहुंचकर ट्रस्ट से चर्चा कर व्यवस्थाओं को देखा था। पौष पूर्णिमा पर सबसे ज्यादा भक्त करते हैं माता के दर्शन पौष पूर्णिमा पर माता का विशेष श्रृंगार कर महाआरती की जाती है। इस दिन सबसे ज्यादा भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। 120 साल पहले जनवरी की पौष पूर्णिमा के दिन माता स्वयं जमीन से प्रकट हुई थीं। तब से ही यहां मेला लगता आ रहा है। माता मंदिर में तुलादान का विशेष महत्व होता है। श्रद्धालु तुलादान करके माता को मिठाई अर्पित करते हैं। इसके लिए पिछली बार ढाई हजार क्विंटल मिठाई बनाई गई थी। माता को लगता है मिठाई का भोग मोती माता को मिठाई प्रिय है, इसलिए माता को इसका ही भोग लगाया जाता है। मेले में मिठाई की करीब 300 से ज्यादा दुकानें लगती हैं। छह दिन में माता को ढाई हजार क्विंटल से ज्यादा मिठाई का भोग लगाया जाता है। यही मिठाई भक्तों को प्रसादी के रूप में वितरित की जाती है।

मोती माता मेला 13 जनवरी से:लाखों की संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं श्रद्धालु; अफसरों ने देखी व्यवस्थाएं
जिले का सबसे बड़ा मोती माता मेला डोईफोड़िया क्षेत्र के लोखंडिया में 13 जनवरी से शुरू होगा। छह दिनी मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता का दर्शन पूजन करने पहुंचते हैं। मेले में उमड़ने वाली भीड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल 21 एकड़ में लगने वाले मेला पिछले साल 31 एकड़ में लगाया गया था। इस मेले में मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भक्त आते हैं। इसे लेकर एक दिन पहले शनिवार को नेपानगर एसडीएम भागीरथ वाखला, खकनार टीआई अभिषेक जाधव ने डोईफोड़िया पहुंचकर ट्रस्ट से चर्चा कर व्यवस्थाओं को देखा था। पौष पूर्णिमा पर सबसे ज्यादा भक्त करते हैं माता के दर्शन पौष पूर्णिमा पर माता का विशेष श्रृंगार कर महाआरती की जाती है। इस दिन सबसे ज्यादा भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। 120 साल पहले जनवरी की पौष पूर्णिमा के दिन माता स्वयं जमीन से प्रकट हुई थीं। तब से ही यहां मेला लगता आ रहा है। माता मंदिर में तुलादान का विशेष महत्व होता है। श्रद्धालु तुलादान करके माता को मिठाई अर्पित करते हैं। इसके लिए पिछली बार ढाई हजार क्विंटल मिठाई बनाई गई थी। माता को लगता है मिठाई का भोग मोती माता को मिठाई प्रिय है, इसलिए माता को इसका ही भोग लगाया जाता है। मेले में मिठाई की करीब 300 से ज्यादा दुकानें लगती हैं। छह दिन में माता को ढाई हजार क्विंटल से ज्यादा मिठाई का भोग लगाया जाता है। यही मिठाई भक्तों को प्रसादी के रूप में वितरित की जाती है।