अबूझमाड़ के नेलांगुर में आईटीबीपी का नया कैंप स्थापित
अबूझमाड़ के नेलांगुर में आईटीबीपी का नया कैंप स्थापित
नक्सली नेटवर्क को मिली बड़ी चुनौती
छत्तीसगढ़ संवाददाता
कोण्डागांव, 24 अप्रैल। माओवाद प्रभावित अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों की रणनीतिक बढ़त लगातार गहराती जा रही है। इसी क्रम में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने नारायणपुर जिले के अत्यंत दुर्गम नेलांगुर गांव में एक नया कैंप स्थापित कर अपनी मौजूदगी को और सुदृढ़ कर लिया है। इस नए कैंप के साथ अबूझमाड़ में आईटीबीपी द्वारा स्थापित कैंपों की संख्या जनवरी 2025 से अब तक कुल पांच हो चुकी है।
अबूझमाड़ को वर्षों से माओवादियों का सुरक्षित गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन हालिया वर्षों में माड़ बचाओ अभियान के अंतर्गत चलाए जा रहे समन्वित सुरक्षा अभियानों ने इस मिथक को तोडऩा शुरू कर दिया है। आईटीबीपी की 45वीं वाहिनी द्वारा स्थापित नेलांगुर कैंप महाराष्ट्र की सीमा से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा बलों ने अबूझमाड़ को दक्षिण से जोडऩे की रणनीति पर निर्णायक कदम बढ़ा दिया है।
आईटीबीपी, डीआरजी और छत्तीसगढ़ पुलिस की संयुक्त कार्यवाहियों के चलते इस क्षेत्र में माओवादियों की पकड़ लगातार कमजोर पड़ती जा रही है। बड़ी संख्या में माओवादी या तो आत्मसमर्पण कर रहे हैं या फिर इलाके से भागने को मजबूर हो रहे हैं। नेलांगुर में कैंप खुलने से न केवल ऑपरेशनों की तीव्रता में वृद्धि हुई है, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी सुरक्षा, स्वास्थ्य, पीने का पानी, सडक़ और संचार जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलने लगी हैं। यह कैंप आईटीबीपी के भुवनेश्वर स्थित सामरिक मुख्यालय के अधीन संचालित हो रहा है, जिसकी निगरानी केंद्रीय फ्रंटियर कमान द्वारा की जा रही है। 45वीं वाहिनी की इस उपलब्धि के पीछे सुरक्षा बलों का आपसी तालमेल और माओवादी चुनौती के प्रति उनकी सतत प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखाई देती है। इस मौके पर विभिन्न वाहिनियों की टीमें भी मौजूद रहीं, जिन्होंने माओवादी प्रभाव को कमजोर करने के इस साझा लक्ष्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नक्सली नेटवर्क को मिली बड़ी चुनौती
छत्तीसगढ़ संवाददाता
कोण्डागांव, 24 अप्रैल। माओवाद प्रभावित अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों की रणनीतिक बढ़त लगातार गहराती जा रही है। इसी क्रम में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने नारायणपुर जिले के अत्यंत दुर्गम नेलांगुर गांव में एक नया कैंप स्थापित कर अपनी मौजूदगी को और सुदृढ़ कर लिया है। इस नए कैंप के साथ अबूझमाड़ में आईटीबीपी द्वारा स्थापित कैंपों की संख्या जनवरी 2025 से अब तक कुल पांच हो चुकी है।
अबूझमाड़ को वर्षों से माओवादियों का सुरक्षित गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन हालिया वर्षों में माड़ बचाओ अभियान के अंतर्गत चलाए जा रहे समन्वित सुरक्षा अभियानों ने इस मिथक को तोडऩा शुरू कर दिया है। आईटीबीपी की 45वीं वाहिनी द्वारा स्थापित नेलांगुर कैंप महाराष्ट्र की सीमा से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा बलों ने अबूझमाड़ को दक्षिण से जोडऩे की रणनीति पर निर्णायक कदम बढ़ा दिया है।
आईटीबीपी, डीआरजी और छत्तीसगढ़ पुलिस की संयुक्त कार्यवाहियों के चलते इस क्षेत्र में माओवादियों की पकड़ लगातार कमजोर पड़ती जा रही है। बड़ी संख्या में माओवादी या तो आत्मसमर्पण कर रहे हैं या फिर इलाके से भागने को मजबूर हो रहे हैं। नेलांगुर में कैंप खुलने से न केवल ऑपरेशनों की तीव्रता में वृद्धि हुई है, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी सुरक्षा, स्वास्थ्य, पीने का पानी, सडक़ और संचार जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलने लगी हैं। यह कैंप आईटीबीपी के भुवनेश्वर स्थित सामरिक मुख्यालय के अधीन संचालित हो रहा है, जिसकी निगरानी केंद्रीय फ्रंटियर कमान द्वारा की जा रही है। 45वीं वाहिनी की इस उपलब्धि के पीछे सुरक्षा बलों का आपसी तालमेल और माओवादी चुनौती के प्रति उनकी सतत प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखाई देती है। इस मौके पर विभिन्न वाहिनियों की टीमें भी मौजूद रहीं, जिन्होंने माओवादी प्रभाव को कमजोर करने के इस साझा लक्ष्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।