कोण्डागांव, 25 अप्रैल। आज किरण चतुर्वेदी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोण्डागांव के मार्गदर्शन में गायत्री साय सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोण्डागांव के द्वारा लीगल एड डिफेंस कौंसिल सिस्टम के न्याय रक्षकों के साथ निगरानी व सलाह समिति की मासिक समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई। उक्त बैठक में कार्यालय लीगल एड डिफेंस कॉसिल सिस्टम से रजनीश दुबे चीफ, दिनेश ध्रुव डिप्टी तथा शिवराम मरकाम असिस्टेंट बैठक में भाग लिये। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य विधिक सहायता प्रणाली की प्रभावशीलता की समीक्षा करना, प्रचलित मामलों की निगरानी करना तथा जरूरतमंदों तक नि:शुल्क एवं गुणवत्तापूर्वक विधिक सहायता सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक सुझाव व निर्देश प्रदान करना था।
बैठक के दौरान विधिक सहायता प्राप्त करने की पात्रता के शर्तों, लीगल एड डिफेंस कॉसिल कार्यालय की भूमिका व दायित्वों के बेहतर निर्वहन के संबंध में तथा अभिरक्षाधीन बंदियों के प्रकरण में प्राथमिकता के साथ पैरवी करने एवं प्रतिमाह जेल निरीक्षण कर बंदियों को विधिक सहायता उपलब्ध कराने के संबंध में चर्चा की गई। सचिव ने सभी न्याय रक्षकों को निर्देश दिया की विधिक सहायता प्राप्तकर्ताओं के साथ सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करने और उन्हें शीघ्र न्याय प्राप्त करने हेतु प्रतिबद्ध रहे।
अंत में सभी न्याय रक्षकों ने अपनी-अपनी सुझाव रखे तथा ऐसी समीक्षात्मक बैठकें नियमित रूप से आयोजित करने हेतु सचिव से निवेदन किया।
कोण्डागांव, 25 अप्रैल। आज किरण चतुर्वेदी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोण्डागांव के मार्गदर्शन में गायत्री साय सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोण्डागांव के द्वारा लीगल एड डिफेंस कौंसिल सिस्टम के न्याय रक्षकों के साथ निगरानी व सलाह समिति की मासिक समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई। उक्त बैठक में कार्यालय लीगल एड डिफेंस कॉसिल सिस्टम से रजनीश दुबे चीफ, दिनेश ध्रुव डिप्टी तथा शिवराम मरकाम असिस्टेंट बैठक में भाग लिये। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य विधिक सहायता प्रणाली की प्रभावशीलता की समीक्षा करना, प्रचलित मामलों की निगरानी करना तथा जरूरतमंदों तक नि:शुल्क एवं गुणवत्तापूर्वक विधिक सहायता सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक सुझाव व निर्देश प्रदान करना था।
बैठक के दौरान विधिक सहायता प्राप्त करने की पात्रता के शर्तों, लीगल एड डिफेंस कॉसिल कार्यालय की भूमिका व दायित्वों के बेहतर निर्वहन के संबंध में तथा अभिरक्षाधीन बंदियों के प्रकरण में प्राथमिकता के साथ पैरवी करने एवं प्रतिमाह जेल निरीक्षण कर बंदियों को विधिक सहायता उपलब्ध कराने के संबंध में चर्चा की गई। सचिव ने सभी न्याय रक्षकों को निर्देश दिया की विधिक सहायता प्राप्तकर्ताओं के साथ सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करने और उन्हें शीघ्र न्याय प्राप्त करने हेतु प्रतिबद्ध रहे।
अंत में सभी न्याय रक्षकों ने अपनी-अपनी सुझाव रखे तथा ऐसी समीक्षात्मक बैठकें नियमित रूप से आयोजित करने हेतु सचिव से निवेदन किया।