शंकराचार्य मठ इंदौर में प्रवचन:जिसके पास आपोबल, तपोबल और देवोबल होते हैं वे कभी विफल नहीं होते- डॉ. गिरीशानंदजी महाराज

जीवन में सफल व्यक्ति वही होता है, जिसके पास दृढ़इच्छाशक्ति होती है। जिसका संकल्प मजबूत होता है, जिसके पास आपोबल, तपोबल और देवोबल होते हैं उसके द्वारा किया गया संकल्प कभी विफल नहीं होता। आपोबल तीन प्रकार का होता है- आत्मबल, मनोबल और शारीरिक बल। तपोबल में त्याग, तपस्या और दृढ़ता होती है। देवोबल वह होता है, जिसमें परमात्मा के प्रति निष्ठा, पवित्रता और साधु-संतों का आशीर्वाद होता है। ये बल जहां होते हैं, उस व्यक्ति को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। भगवान राम के पास ये सभी बल थे। इसलिए उन्होंने रावण को मारकर लक्ष्मी रूपी सीता को प्राप्त किया। एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने नित्य प्रवचन में रविवार को यह बात कही। व्यक्ति अपने को जैसा बनाना चाहता है, बन सकता है महाराजश्री ने एक दृष्टांत सुनाया- एक बार जर्मनी दार्शनिक ने स्वामी दयानंद सरस्वती से कहा- स्वामीजी आपका बलवान शरीर, तेजस्वी चेहरा देखकर मैं आपसे बहुत प्रभावित हूं। क्या मुझ जैसे सामान्य व्यक्ति के लिए भी यह सब संभव है? आप जैसा सशक्त शरीर और तेजस्वी मुखमंडल कैसे प्राप्त हो। स्वामीजी ने कहा जो व्यक्ति अपने को जैसा बनाना चाहता है, बन सकता है। हर व्यक्ति अपनी कल्पना के अनुरूप ही बनता और बिगड़ता रहता है। सबसे पहली बात व्यक्ति को एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। फिर उसे प्राप्त करने के लिए संकल्पबद्ध होकर विषय अनुसार प्रयत्न करना चाहिए। एकाग्र मन से किए गए कार्य एक दिन सफलता की मंजिल पर लाकर अवश्य खड़ा कर देती है। ..और बन गए कुलपति डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने बताया कि सशक्त व्यक्तित्व, आदर्श चरित्र, दृढ़इच्छाशक्ति वाले डॉक्टर राजेंद्र कुरारिया ने साइंस के क्षेत्र में अपनी यात्रा शुरू की। माता-पिता की सेवा करते हुए घर-परिवार की कठिन परिस्थितियों को झेलते हुए सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए अनेक बाधाओं को पार करते हुए रीवा विश्वविद्यालय के कुलपति बने। युवा पीढ़ी के छात्रों को ऐसे महान व्यक्ति से प्रेरणा लेना चाहिए और अपनी लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए। जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है, सब संभव है यदि आपकी लगन पक्की हो तो।

शंकराचार्य मठ इंदौर में प्रवचन:जिसके पास आपोबल, तपोबल और देवोबल होते हैं वे कभी विफल नहीं होते- डॉ. गिरीशानंदजी महाराज
जीवन में सफल व्यक्ति वही होता है, जिसके पास दृढ़इच्छाशक्ति होती है। जिसका संकल्प मजबूत होता है, जिसके पास आपोबल, तपोबल और देवोबल होते हैं उसके द्वारा किया गया संकल्प कभी विफल नहीं होता। आपोबल तीन प्रकार का होता है- आत्मबल, मनोबल और शारीरिक बल। तपोबल में त्याग, तपस्या और दृढ़ता होती है। देवोबल वह होता है, जिसमें परमात्मा के प्रति निष्ठा, पवित्रता और साधु-संतों का आशीर्वाद होता है। ये बल जहां होते हैं, उस व्यक्ति को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। भगवान राम के पास ये सभी बल थे। इसलिए उन्होंने रावण को मारकर लक्ष्मी रूपी सीता को प्राप्त किया। एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने नित्य प्रवचन में रविवार को यह बात कही। व्यक्ति अपने को जैसा बनाना चाहता है, बन सकता है महाराजश्री ने एक दृष्टांत सुनाया- एक बार जर्मनी दार्शनिक ने स्वामी दयानंद सरस्वती से कहा- स्वामीजी आपका बलवान शरीर, तेजस्वी चेहरा देखकर मैं आपसे बहुत प्रभावित हूं। क्या मुझ जैसे सामान्य व्यक्ति के लिए भी यह सब संभव है? आप जैसा सशक्त शरीर और तेजस्वी मुखमंडल कैसे प्राप्त हो। स्वामीजी ने कहा जो व्यक्ति अपने को जैसा बनाना चाहता है, बन सकता है। हर व्यक्ति अपनी कल्पना के अनुरूप ही बनता और बिगड़ता रहता है। सबसे पहली बात व्यक्ति को एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। फिर उसे प्राप्त करने के लिए संकल्पबद्ध होकर विषय अनुसार प्रयत्न करना चाहिए। एकाग्र मन से किए गए कार्य एक दिन सफलता की मंजिल पर लाकर अवश्य खड़ा कर देती है। ..और बन गए कुलपति डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने बताया कि सशक्त व्यक्तित्व, आदर्श चरित्र, दृढ़इच्छाशक्ति वाले डॉक्टर राजेंद्र कुरारिया ने साइंस के क्षेत्र में अपनी यात्रा शुरू की। माता-पिता की सेवा करते हुए घर-परिवार की कठिन परिस्थितियों को झेलते हुए सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए अनेक बाधाओं को पार करते हुए रीवा विश्वविद्यालय के कुलपति बने। युवा पीढ़ी के छात्रों को ऐसे महान व्यक्ति से प्रेरणा लेना चाहिए और अपनी लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए। जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है, सब संभव है यदि आपकी लगन पक्की हो तो।