कलेक्टर से सुरक्षा की गुहार

सुकमा में शिक्षादूत की नक्सल हत्या से दहशत छत्तीसगढ़ संवाददाता जगदलपुर, 19 सितंबर। बस्तर जिले के अंदुरुनी इलाकों में आदिवासी बच्चों से लेकर हर तबके के बच्चों के लिए शिक्षा की लौ जलाने वाले शिक्षकों को अपने जान को लेकर काफी खतरा महसूस हो रहा है, जिसका कारण है कि बीते दिनों नक्सलियों के द्वारा एक शिक्षादूत की हत्या कर दी गई थी, जिसे लेकर शिक्षकों के द्वारा कलेक्टर को अपनी जान की सुरक्षा को लेकर गुहार लगाई है। बताया जा रहा है कि जान जोखिम में डालकर धुर नक्सल प्रभावित आदिवासी इलाकों के बच्चों को शिक्षित कर रहे शिक्षा दूत अब नक्सलियों के निशाने पर हैं, जान की सुरक्षा मांगने सुकमा जिला मुख्यालय पहुंचे शिक्षा दूतों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है। जिले के अंदरुनी इलाकों तक जहां प्रशासन की भी पहुंच नहीं है, वहां रहकर बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगाने वाले ये शिक्षादूत दरअसल स्थानीय शिक्षित बेरोजगार हैं, जिन्हें 11 हजार रुपए मासिक मानदेय पर यह जॉब ऑफर किया गया है। 2005 से जान जोखिम में डालकर अपनी अमूल्य सेवाएं दे रहे इन शिक्षादूतों पर नक्सलियों ने नजर टेढ़ी कर ली है और यही इनकी चिंता का सबसे बड़ा सबब बन गया है। नक्सल प्रभावित पंचायत सिलगेर के सरपंच कोरसा सन्नू कहते हैं कि शिक्षादूतों ने जो बीड़ा उठाया है, वह नि:संदेह मानवता की सेवा कहा जाएगा, लेकिन नक्सली अब इनकी जान के दुश्मन बन चुके हैं। मुखबिरी का आरोप लगाते हुए इनकी हत्याएं की जा रही हैं। एक के बाद एक 3 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। परिजनों को भी धमकियां मिल रही हैं। 10 वीं और 12वीं तक की पढ़ाई पूरी कर रोजगार की तलाश कर रहे आदिवासी युवाओं को जब शिक्षा दूत बनाया गया तो उन्हें गांव में ही रहकर यह काम करने का बेहतर अवसर लगा। अब जब जान खतरे में है तो वे सोच में पड़ गए हैं।

कलेक्टर से सुरक्षा की गुहार
सुकमा में शिक्षादूत की नक्सल हत्या से दहशत छत्तीसगढ़ संवाददाता जगदलपुर, 19 सितंबर। बस्तर जिले के अंदुरुनी इलाकों में आदिवासी बच्चों से लेकर हर तबके के बच्चों के लिए शिक्षा की लौ जलाने वाले शिक्षकों को अपने जान को लेकर काफी खतरा महसूस हो रहा है, जिसका कारण है कि बीते दिनों नक्सलियों के द्वारा एक शिक्षादूत की हत्या कर दी गई थी, जिसे लेकर शिक्षकों के द्वारा कलेक्टर को अपनी जान की सुरक्षा को लेकर गुहार लगाई है। बताया जा रहा है कि जान जोखिम में डालकर धुर नक्सल प्रभावित आदिवासी इलाकों के बच्चों को शिक्षित कर रहे शिक्षा दूत अब नक्सलियों के निशाने पर हैं, जान की सुरक्षा मांगने सुकमा जिला मुख्यालय पहुंचे शिक्षा दूतों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है। जिले के अंदरुनी इलाकों तक जहां प्रशासन की भी पहुंच नहीं है, वहां रहकर बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगाने वाले ये शिक्षादूत दरअसल स्थानीय शिक्षित बेरोजगार हैं, जिन्हें 11 हजार रुपए मासिक मानदेय पर यह जॉब ऑफर किया गया है। 2005 से जान जोखिम में डालकर अपनी अमूल्य सेवाएं दे रहे इन शिक्षादूतों पर नक्सलियों ने नजर टेढ़ी कर ली है और यही इनकी चिंता का सबसे बड़ा सबब बन गया है। नक्सल प्रभावित पंचायत सिलगेर के सरपंच कोरसा सन्नू कहते हैं कि शिक्षादूतों ने जो बीड़ा उठाया है, वह नि:संदेह मानवता की सेवा कहा जाएगा, लेकिन नक्सली अब इनकी जान के दुश्मन बन चुके हैं। मुखबिरी का आरोप लगाते हुए इनकी हत्याएं की जा रही हैं। एक के बाद एक 3 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। परिजनों को भी धमकियां मिल रही हैं। 10 वीं और 12वीं तक की पढ़ाई पूरी कर रोजगार की तलाश कर रहे आदिवासी युवाओं को जब शिक्षा दूत बनाया गया तो उन्हें गांव में ही रहकर यह काम करने का बेहतर अवसर लगा। अब जब जान खतरे में है तो वे सोच में पड़ गए हैं।