दुनिया में पहली बार 7 मिनट में मिलने जा रहा कैंसर का उपचार, पेशकश करने वाला ब्रिटेन पहला देश
नई दिल्ली दुनियाभर में ब्रिटेन ऐसा पहला देश बनने जा रहा है जो अपने देश...
नई दिल्ली
दुनियाभर में ब्रिटेन ऐसा पहला देश बनने जा रहा है जो अपने देश के कैंसर मरीजों को सात मिनट के अंदर उसके उपचार की दवाई इंजेक्ट करेगा। ब्रिटेन की सरकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) दुनिया की पहली ऐसी सेवा बनने जा रही है जो एक इंजेक्शन से देश में सैकड़ों कैंसर रोगियों का इलाज कम समय में कर सकती है और इलाज का समय तीन चौथाई तक कम कर सकती है।
ब्रिटिश मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद, NHS ने मंगलवार को कहा कि जिन सैकड़ों कैंसर मरीजों का इलाज इम्यूनोथेरेपी से किया जा रहा था, उन्हें अब "त्वचा के नीचे" एटेज़ोलिज़ुमैब के इंजेक्शन दिए जाने की तैयारी है। इससे कैंसर के इलाज में समय की कटौती हो सकेगी।
NHS ने कहा कि एटेज़ोलिज़ुमैब, जिसे टेकेंट्रिक भी कहा जाता है, आमतौर पर रोगियों को सीधे ड्रिप के माध्यम से उनकी नसों में दिया जाता है। इस प्रक्रिया में कुछ रोगियों के लिए लगभग 30 मिनट या एक घंटे तक का समय लगता है। कई रोगियों में यह समय ज्यादा भी लगता है, जब उनकी नसों तक दवा पहुंचना मुश्किल हो जाता है लेकिन नई विधि से अब इस दवा को नसों में नहीं देकर त्वचा के नीचे इंजेक्ट कर दिया जाएगा। इंगलैंड ऐसा करने वाला पहला देश होगा। टेकेंट्रिक एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है जो कैंसर मरीजों के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्यों को प्रभावित करता है।
रॉयटर्स के मुताबिक, वेस्ट सफ़ोल्क एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट के सलाहकार ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ अलेक्जेंडर मार्टिन ने कहा, "यह मंजूरी न केवल हमें अपने मरीजों के लिए सुविधाजनक और तेज देखभाल करने की अनुमति देगी, बल्कि हमारी टीमों को दिन भर में अधिक मरीजों का इलाज करने में सक्षम बनाएगी।" रोशे प्रोडक्ट्स लिमिटेड के मेडिकल डायरेक्टर मारियस शोल्ट्ज़ ने कहा, "इसमें लगभग सात मिनट लगते हैं, जबकि वर्तमान ड्रिप विधि में 30 से 60 मिनट लगते हैं।"
एटेज़ोलिज़ुमाब, जो रोश कंपनी जेनेंटेक की रीढ़ रही है, एक इम्यूनोथेरेपी दवा है जो रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को खोजने और नष्ट करने के लिए सशक्त बनाती है। इसका उपयोग वर्तमान में, विभिन्न प्रकार के कैंसर से पीड़ित रोगियों को उपचार की पेशकश की जाती है, जिसमें फेफड़े, स्तन, यकृत और मूत्राशय के कैंसर शामिल हैं।