रतलाम में 16 घोड़ियों के साथ निकली अनोखी बारात:दूल्हे को अश्व का शौक इसलिए उत्सव में शामिल किया; सामूहिक विवाह समारोह में होगी शादी

आपने शादी में दूल्हे को एक घोड़ी पर सवार होकर देखा होगा लेकिन रतलाम में निकली एक बारात (प्रोसेशन) में दूल्हे की घोड़ी के अलावा एक साथ 16 घोड़ियों को शामिल किया। जब सजी-धजी 16 घोड़ियों के साथ बारात निकली तो इस अनोखे नजारे को देखने वालों की भीड़ लग गई। यह नजारा रतलाम जिले के पिपलौदा क्षेत्र के बड़ायला माताजी का है। दरअसल, पिपलौदा तहसील के बड़ायला माताजी में गामी (पाटीदार) परिवार में भाणेज शुभम पाटीदार की शादी का। शुभम की शादी 2 फरवरी को गांव में हो रहे पाटीदार समाज के सामूहिक विवाह समारोह में होगी। इससे पहले शुक्रवार रात गांव में शुभम की बारात (बिंदौली) निकाली। बारात में शुभम घोड़ी पर सवार हुआ, परिवारजनों ने 16 घोड़ियां जुटाईं। सजी-धजी सभी घोड़ियों को एक साथ बारात में शामिल किया। गांव में जहां से भी यह बारात निकली देखने वाले घरों से बाहर निकल कर आ गए। सभी घोड़ियां बारात में नाचती हुई दिखीं। पिपलौदा क्षेत्र में एक साथ 16 घोड़ियों के साथ बारात निकालने का पहला मामला बताया जा रहा है। पूरे गांव में जहां से भी बारात निकली लोग देखते रह गए। क्षेत्र में इस अनोखी बारात की चर्चा हो रही है। एक या दो घोड़ी करते शामिल परिवार के अर्जुन गामी पाटीदार ने बताया कि अक्सर लोग विवाह समारोह में एक या दो घोड़ियों के साथ बारात (बिंदौली) निकालते हैं। हमनें एक साथ 16 घोड़ियों से इस बिंदौली के कार्यक्रम को सजाया है। दूल्हा बने शुभम को भी घोड़ियों का शौक रहा है। परिवार में भी लंबे समय से अश्व है। उस हिसाब से इस शौक को उत्सव में शामिल किया गया। अधिकांश घोड़ियां कभी अपनी दो टांगों पर खड़ी होकर करतब दिखाती तो कभी मनमोहक नृत्य कर सबको लुभा रही थी। सभी निशुल्क आई गामी पाटीदार परिवार में कई घोड़ियां रह चुकी हैं, अभी इनके पास एक घोड़ी है। अनोखे तरीके से निकाली इस बिंदौली के पीछे वजह बेहद खास है। खास यूं कि विवाह उत्सवों में घोड़ियां ले जाने वाले आसपास के मित्रों ने आग्रह किया और यह सभी घोड़ियां निशुल्क आई। इसमें आसपास के गांवों से अधिकांश घोड़ियां आई। परिवार के पवन गामी पाटीदार ने बताया कि अश्व हमेशा से हिंदू समाज में प्रतिष्ठा और वैभव के रूप में जाने जाते हैं। युद्ध के समय भी राजा महाराजा अश्वों का, शादियों में अश्व, शोभायात्रा में अश्व का उपयोग करते हैं। ऐसे में अश्व यानी घोड़ियों से सजी यह बिंदौली हमारे लिए बेहद खास थी।

रतलाम में 16 घोड़ियों के साथ निकली अनोखी बारात:दूल्हे को अश्व का शौक इसलिए उत्सव में शामिल किया; सामूहिक विवाह समारोह में होगी शादी
आपने शादी में दूल्हे को एक घोड़ी पर सवार होकर देखा होगा लेकिन रतलाम में निकली एक बारात (प्रोसेशन) में दूल्हे की घोड़ी के अलावा एक साथ 16 घोड़ियों को शामिल किया। जब सजी-धजी 16 घोड़ियों के साथ बारात निकली तो इस अनोखे नजारे को देखने वालों की भीड़ लग गई। यह नजारा रतलाम जिले के पिपलौदा क्षेत्र के बड़ायला माताजी का है। दरअसल, पिपलौदा तहसील के बड़ायला माताजी में गामी (पाटीदार) परिवार में भाणेज शुभम पाटीदार की शादी का। शुभम की शादी 2 फरवरी को गांव में हो रहे पाटीदार समाज के सामूहिक विवाह समारोह में होगी। इससे पहले शुक्रवार रात गांव में शुभम की बारात (बिंदौली) निकाली। बारात में शुभम घोड़ी पर सवार हुआ, परिवारजनों ने 16 घोड़ियां जुटाईं। सजी-धजी सभी घोड़ियों को एक साथ बारात में शामिल किया। गांव में जहां से भी यह बारात निकली देखने वाले घरों से बाहर निकल कर आ गए। सभी घोड़ियां बारात में नाचती हुई दिखीं। पिपलौदा क्षेत्र में एक साथ 16 घोड़ियों के साथ बारात निकालने का पहला मामला बताया जा रहा है। पूरे गांव में जहां से भी बारात निकली लोग देखते रह गए। क्षेत्र में इस अनोखी बारात की चर्चा हो रही है। एक या दो घोड़ी करते शामिल परिवार के अर्जुन गामी पाटीदार ने बताया कि अक्सर लोग विवाह समारोह में एक या दो घोड़ियों के साथ बारात (बिंदौली) निकालते हैं। हमनें एक साथ 16 घोड़ियों से इस बिंदौली के कार्यक्रम को सजाया है। दूल्हा बने शुभम को भी घोड़ियों का शौक रहा है। परिवार में भी लंबे समय से अश्व है। उस हिसाब से इस शौक को उत्सव में शामिल किया गया। अधिकांश घोड़ियां कभी अपनी दो टांगों पर खड़ी होकर करतब दिखाती तो कभी मनमोहक नृत्य कर सबको लुभा रही थी। सभी निशुल्क आई गामी पाटीदार परिवार में कई घोड़ियां रह चुकी हैं, अभी इनके पास एक घोड़ी है। अनोखे तरीके से निकाली इस बिंदौली के पीछे वजह बेहद खास है। खास यूं कि विवाह उत्सवों में घोड़ियां ले जाने वाले आसपास के मित्रों ने आग्रह किया और यह सभी घोड़ियां निशुल्क आई। इसमें आसपास के गांवों से अधिकांश घोड़ियां आई। परिवार के पवन गामी पाटीदार ने बताया कि अश्व हमेशा से हिंदू समाज में प्रतिष्ठा और वैभव के रूप में जाने जाते हैं। युद्ध के समय भी राजा महाराजा अश्वों का, शादियों में अश्व, शोभायात्रा में अश्व का उपयोग करते हैं। ऐसे में अश्व यानी घोड़ियों से सजी यह बिंदौली हमारे लिए बेहद खास थी।