प्रयागराज कुंभ पर साहित्यकारों की डिजिटल संगोष्ठी:आध्यात्मिक चर्चा के 'कुंभ' में लगाई डुबकी और मन में हुई साहित्यिक 'अमृत' की अनुभूति

भोपाल में पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा आयोजित डिजिटल संगोष्ठी में प्रयागराज महाकुंभ की यात्रा से लौटे प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. उल्हास महाजन ने अपने अनुभव साझा किए। इंदौर से जुड़े डॉ. महाजन ने कहा कि कुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा सार्वजनिक और आध्यात्मिक समागम है, जहां श्रद्धालुओं की आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। कहते हैं कि इतना महत्वपूर्ण कुंभ 144 साल बाद आया है। इसी पर संवाद संस्मरण पर डिजिटल संगोष्ठी में सभी ने संवादों और अनुभव और विचारों को साझा किया। यह चर्चा इतनी रोचक और ज्ञान वर्धक थी कि श्रोताओं ने कहा कि चर्चा से ही हमने कुंभ की त्रिवेणी में ही डुबकी लगा ली। कहीं किसी की आनंदमयी स्नान की अनुभूति को सुना गया , तो किसी के अनुभूत चमत्कार आश्चर्यचकित कर गए। मां गंगा की पूजा और स्नान से आध्यात्मिक संतोष मिला डॉ. महाजन ने बताया कि त्रिवेणी संगम पर मां गंगा की पूजा और स्नान से उन्हें गहरा आध्यात्मिक संतोष मिला। उन्होंने कहा कि यह यात्रा उनकी माता की इच्छा पूर्ति का माध्यम भी बनी, जो चाहती थीं कि परिवार इस पावन अवसर पर पुण्य लाभ प्राप्त करे। संगोष्ठी में कई प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने भी भाग लिया और कुंभ से जुड़े अपने विचार व्यक्त किए। कुंभ में फिलहाल के अनुभव पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वहां पर सुचारु व्यवस्था और स्नान के लिए सुव्यवस्थित तैयारी देखी और प्रशासन की व्यवस्था की प्रशंसा भी की। इतना बड़ा आयोजन सिर्फ प्रशासन की या सरकार की नहीं यह हम सबकी जिम्मेदारी है। हमें नियमों और व्यवस्थाओं का पालन करना चाहिए तभी आनंद मिलता है। उन्होंने सबसे आग्रह भी किया कि अगर कुंभ में जाए तो पूरे अनुशासन और संयम बरतें तथा शांति और धैर्य के साथ प्रशासन को भी पूरा सहयोग करें। उनका अनुभव आनंद दायक रहा।तीर्थ के राजा प्रयागराज में एक महीने का महाकुंभ चल रहा है। रीति-रिवाजों और प्रथाओं में विज्ञान समाहित विशेष वक्ता मनीष मिश्रा, संयुक्त संचालक मानव अधिकार आयोग, छत्तीसगढ ने विषय प्रवर्तन करते हुए कुंभ और उसकी कहानी पर प्रकाश डाला। महाकुंभ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व पर जानकारी दी तथा उसके धार्मिक महत्व की भी जानकारी साझा की। उन्होंने कहा प्रत्येक स्थल का उत्सव सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की ज्योतिषीय स्थितियों के एक अलग सेट पर आधारित है। उत्सव ठीक उसी समय होता है जब ये स्थितियां पूरी तरह से व्याप्त होती हैं, क्योंकि इसे हिंदू धर्म में सबसे पवित्र समय माना जाता है। कुंभ मेला एक ऐसा आयोजन है जो आंतरिक रूप से खगोल विज्ञान, ज्योतिष, आध्यात्मिकता, अनुष्ठानिक परंपराओं और सामाजिक-सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं के विज्ञान को समाहित करता है, जिससे यह ज्ञान में बेहद समृद्ध हो जाता है। हादसे में मृत श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था की अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. स्वाति तिवारी ने प्रयागराज में घटी अप्रत्याशित घटना पर दुःख व्यक्त करते हुए उन श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने अपनी जान गंवा दी।आयोजन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन जीवन की विराटता का ही आयोजन है। यह सनातन परम्परा सम्पूर्ण विश्व में केवल हमारे पास है। इसकी पावनता और उद्देश्य को नई पीढ़ी से साझा किया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने उज्जैन सिंहस्थ कुंभ के अपने अनुभव साझा किए और अपील की की अपने भाव निर्मल और आम व्यक्ति के साथ समायोजित करते हुए वहां जाना और सेवा भाव से सबके हित को ध्यान में रखना चाहिए। कार्यक्रम में अनेक साहित्यकार जुड़े कार्यक्रम में मुंबई से डॉक्टर उषा सक्सेना ने कुंभ को एक नए नजरिया से अपनी बात रखें। लेखिका आशा जाकड़ ने भी कुंभ पर सुंदर कविता का पाठ करते हुए अपने विचार रखे। डॉ. अंजुल कंसल ने भी कुंभ पर बात की। साथ ही न्यायाधीश निहारिका सिंह ने नागा साधुओं के बारे में बहुत सी अद्भुत रहस्यमयी जानकारियों पर बात की। डॉक्टर सुमन चौरे ने भी कुंभ के महत्व को समझाया। कार्यक्रम का संचालन सुषमा व्यास राजनिधि ने किया। कार्यक्रम में मणिमला शर्मा, कुसुम सोगानी तथा डॉ संगीता पाठक अनेक वरिष्ठ साहित्यकार जुड़े।

प्रयागराज कुंभ पर साहित्यकारों की डिजिटल संगोष्ठी:आध्यात्मिक चर्चा के 'कुंभ' में लगाई डुबकी और मन में हुई साहित्यिक 'अमृत' की अनुभूति
भोपाल में पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा आयोजित डिजिटल संगोष्ठी में प्रयागराज महाकुंभ की यात्रा से लौटे प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. उल्हास महाजन ने अपने अनुभव साझा किए। इंदौर से जुड़े डॉ. महाजन ने कहा कि कुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा सार्वजनिक और आध्यात्मिक समागम है, जहां श्रद्धालुओं की आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। कहते हैं कि इतना महत्वपूर्ण कुंभ 144 साल बाद आया है। इसी पर संवाद संस्मरण पर डिजिटल संगोष्ठी में सभी ने संवादों और अनुभव और विचारों को साझा किया। यह चर्चा इतनी रोचक और ज्ञान वर्धक थी कि श्रोताओं ने कहा कि चर्चा से ही हमने कुंभ की त्रिवेणी में ही डुबकी लगा ली। कहीं किसी की आनंदमयी स्नान की अनुभूति को सुना गया , तो किसी के अनुभूत चमत्कार आश्चर्यचकित कर गए। मां गंगा की पूजा और स्नान से आध्यात्मिक संतोष मिला डॉ. महाजन ने बताया कि त्रिवेणी संगम पर मां गंगा की पूजा और स्नान से उन्हें गहरा आध्यात्मिक संतोष मिला। उन्होंने कहा कि यह यात्रा उनकी माता की इच्छा पूर्ति का माध्यम भी बनी, जो चाहती थीं कि परिवार इस पावन अवसर पर पुण्य लाभ प्राप्त करे। संगोष्ठी में कई प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने भी भाग लिया और कुंभ से जुड़े अपने विचार व्यक्त किए। कुंभ में फिलहाल के अनुभव पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वहां पर सुचारु व्यवस्था और स्नान के लिए सुव्यवस्थित तैयारी देखी और प्रशासन की व्यवस्था की प्रशंसा भी की। इतना बड़ा आयोजन सिर्फ प्रशासन की या सरकार की नहीं यह हम सबकी जिम्मेदारी है। हमें नियमों और व्यवस्थाओं का पालन करना चाहिए तभी आनंद मिलता है। उन्होंने सबसे आग्रह भी किया कि अगर कुंभ में जाए तो पूरे अनुशासन और संयम बरतें तथा शांति और धैर्य के साथ प्रशासन को भी पूरा सहयोग करें। उनका अनुभव आनंद दायक रहा।तीर्थ के राजा प्रयागराज में एक महीने का महाकुंभ चल रहा है। रीति-रिवाजों और प्रथाओं में विज्ञान समाहित विशेष वक्ता मनीष मिश्रा, संयुक्त संचालक मानव अधिकार आयोग, छत्तीसगढ ने विषय प्रवर्तन करते हुए कुंभ और उसकी कहानी पर प्रकाश डाला। महाकुंभ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व पर जानकारी दी तथा उसके धार्मिक महत्व की भी जानकारी साझा की। उन्होंने कहा प्रत्येक स्थल का उत्सव सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की ज्योतिषीय स्थितियों के एक अलग सेट पर आधारित है। उत्सव ठीक उसी समय होता है जब ये स्थितियां पूरी तरह से व्याप्त होती हैं, क्योंकि इसे हिंदू धर्म में सबसे पवित्र समय माना जाता है। कुंभ मेला एक ऐसा आयोजन है जो आंतरिक रूप से खगोल विज्ञान, ज्योतिष, आध्यात्मिकता, अनुष्ठानिक परंपराओं और सामाजिक-सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं के विज्ञान को समाहित करता है, जिससे यह ज्ञान में बेहद समृद्ध हो जाता है। हादसे में मृत श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था की अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. स्वाति तिवारी ने प्रयागराज में घटी अप्रत्याशित घटना पर दुःख व्यक्त करते हुए उन श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने अपनी जान गंवा दी।आयोजन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन जीवन की विराटता का ही आयोजन है। यह सनातन परम्परा सम्पूर्ण विश्व में केवल हमारे पास है। इसकी पावनता और उद्देश्य को नई पीढ़ी से साझा किया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने उज्जैन सिंहस्थ कुंभ के अपने अनुभव साझा किए और अपील की की अपने भाव निर्मल और आम व्यक्ति के साथ समायोजित करते हुए वहां जाना और सेवा भाव से सबके हित को ध्यान में रखना चाहिए। कार्यक्रम में अनेक साहित्यकार जुड़े कार्यक्रम में मुंबई से डॉक्टर उषा सक्सेना ने कुंभ को एक नए नजरिया से अपनी बात रखें। लेखिका आशा जाकड़ ने भी कुंभ पर सुंदर कविता का पाठ करते हुए अपने विचार रखे। डॉ. अंजुल कंसल ने भी कुंभ पर बात की। साथ ही न्यायाधीश निहारिका सिंह ने नागा साधुओं के बारे में बहुत सी अद्भुत रहस्यमयी जानकारियों पर बात की। डॉक्टर सुमन चौरे ने भी कुंभ के महत्व को समझाया। कार्यक्रम का संचालन सुषमा व्यास राजनिधि ने किया। कार्यक्रम में मणिमला शर्मा, कुसुम सोगानी तथा डॉ संगीता पाठक अनेक वरिष्ठ साहित्यकार जुड़े।