हारने वाले हार का कारण, तो जीतने वाले बताते जीत का मंत्र-अनुज

आंजनेय विश्वविद्यालय में दीक्षारंभ रायपुर, 11 अगस्त। आंजनेय विश्वविद्यालय में दीक्षारंभ के चार दिवसीय बौद्धिक कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि धरसीवां विधायक अनुज शर्मा शामिल हुए। श्री शर्मा ने बताया कि हारने वाले हमेशा हार का कारण बताते हैं, जबकि जीतने वाले जीत का मंत्र बताते हैं । उन्होंने कहा कि जीवन में आने वाली चुनौतियां सफलता की राह में सीढ़ी का कार्य करती हैं, बशर्ते हम उन्हें अवसर की तरह लें । उन्होंने छात्रों से असफलता से घबराने के बजाय उससे सीख लेने और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा दी । उनका उद्बोधन विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शक और उत्साहवर्धक रहा। चांसलर अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि अनुशासन, निरंतर अध्ययन और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता ही सफलता की असली कुंजी है। विश्वविद्यालय का वातावरण छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए अनुकूल है, जिसका पूर्ण लाभ उठाना चाहिए। श्री अग्रवाल ने विद्यार्थियों से अपने समय का सदुपयोग करने, सकारात्मक सोच बनाए रखने और शिक्षा को जीवन का मार्गदर्शक बनाने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय केवल शिक्षा प्राप्त करने का स्थान नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, नेतृत्व क्षमता और जीवन कौशल सीखने का केंद्र होता है। श्री अग्रवाल ने विद्यार्थियों से आत्ममंथन करने, अपने अंदर छिपी क्षमताओं को पहचानने और उन्हें सही दिशा में विकसित करने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय महानिदेशक डॉ बी सी जैन, कुलपति डॉ टी रामाराव, कुलसचिव डॉ रुपाली चौधरी, अकादमिक डायरेक्टर डॉ संध्या वर्मा, डायरेक्टर डॉ जयेंद्र नारंग समस्त संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे । *कार्यक्रम का संयोजन छात्र अधिष्ठाता डॉ प्रांजलि गनी ने और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ रुपाली चौधरी ने किया अंतिम दिन सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. जगदीश चंद्रा एस., जो वर्तमान में जर्मनी स्थित ब्रूक्स ऑटोमेशन के कंटेमिनेशन कंट्रोल ग्रुप के निदेशक हैं, ने आंजनेय विश्वविद्यालय के दीक्षारंभ समारोह में विद्यार्थियों को सेमिकंडक्टर इंडस्ट्री के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की । सेमिकंडक्टर उद्योग के वैश्विक महत्व, ढांचे और विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सेमिकंडक्टर इंडस्ट्री एक बहुआयामी संरचना पर कार्य करती है, जिसमें इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स, प्रोडक्शन टूल्स, यूटिलिटीज़, मैटेरियल्स, रसायन, मेट्रोलॉजी टूल्स, तकनीकी कार्यबल और विश्वविद्यालय जैसी विभिन्न इकाइयाँ शामिल होती हैं । यह इंडस्ट्री उपभोक्ताओं, कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, मेडिकल, और अन्य उद्योगों के लिए चिप निर्माण करती है। डॉ. चंद्रा ने सेमिकंडक्टर के ऐतिहासिक विकास पर भी प्रकाश डाला । वर्ष 1947 में पहला सॉलिड-स्टेट ट्रांजिस्टर विकसित हुआ था, जिसने इलेक्ट्रॉनिक क्रांति की नींव रखी। इसके बाद 1958 में पहला इंटीग्रेटेड सर्किट विकसित किया गया, जिसमें पाँच प्रमुख घटक थे । 1961 में ट्रांजिस्टर युक्त ढ्ढष्ट ने उत्पादन के स्तर को और सशक्त बनाया । 1950 के दशक से 1990 तक यह उद्योग ट्रांजिस्टर टेक्नोलॉजी, प्रोसेस टेक्नोलॉजी, प्रतिस्पर्धा, स्वचालन और बड़े पैमाने पर उत्पादन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा।

हारने वाले हार का कारण, तो जीतने वाले बताते जीत का मंत्र-अनुज
आंजनेय विश्वविद्यालय में दीक्षारंभ रायपुर, 11 अगस्त। आंजनेय विश्वविद्यालय में दीक्षारंभ के चार दिवसीय बौद्धिक कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि धरसीवां विधायक अनुज शर्मा शामिल हुए। श्री शर्मा ने बताया कि हारने वाले हमेशा हार का कारण बताते हैं, जबकि जीतने वाले जीत का मंत्र बताते हैं । उन्होंने कहा कि जीवन में आने वाली चुनौतियां सफलता की राह में सीढ़ी का कार्य करती हैं, बशर्ते हम उन्हें अवसर की तरह लें । उन्होंने छात्रों से असफलता से घबराने के बजाय उससे सीख लेने और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा दी । उनका उद्बोधन विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शक और उत्साहवर्धक रहा। चांसलर अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि अनुशासन, निरंतर अध्ययन और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता ही सफलता की असली कुंजी है। विश्वविद्यालय का वातावरण छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए अनुकूल है, जिसका पूर्ण लाभ उठाना चाहिए। श्री अग्रवाल ने विद्यार्थियों से अपने समय का सदुपयोग करने, सकारात्मक सोच बनाए रखने और शिक्षा को जीवन का मार्गदर्शक बनाने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय केवल शिक्षा प्राप्त करने का स्थान नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, नेतृत्व क्षमता और जीवन कौशल सीखने का केंद्र होता है। श्री अग्रवाल ने विद्यार्थियों से आत्ममंथन करने, अपने अंदर छिपी क्षमताओं को पहचानने और उन्हें सही दिशा में विकसित करने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय महानिदेशक डॉ बी सी जैन, कुलपति डॉ टी रामाराव, कुलसचिव डॉ रुपाली चौधरी, अकादमिक डायरेक्टर डॉ संध्या वर्मा, डायरेक्टर डॉ जयेंद्र नारंग समस्त संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे । *कार्यक्रम का संयोजन छात्र अधिष्ठाता डॉ प्रांजलि गनी ने और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ रुपाली चौधरी ने किया अंतिम दिन सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. जगदीश चंद्रा एस., जो वर्तमान में जर्मनी स्थित ब्रूक्स ऑटोमेशन के कंटेमिनेशन कंट्रोल ग्रुप के निदेशक हैं, ने आंजनेय विश्वविद्यालय के दीक्षारंभ समारोह में विद्यार्थियों को सेमिकंडक्टर इंडस्ट्री के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की । सेमिकंडक्टर उद्योग के वैश्विक महत्व, ढांचे और विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सेमिकंडक्टर इंडस्ट्री एक बहुआयामी संरचना पर कार्य करती है, जिसमें इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स, प्रोडक्शन टूल्स, यूटिलिटीज़, मैटेरियल्स, रसायन, मेट्रोलॉजी टूल्स, तकनीकी कार्यबल और विश्वविद्यालय जैसी विभिन्न इकाइयाँ शामिल होती हैं । यह इंडस्ट्री उपभोक्ताओं, कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, मेडिकल, और अन्य उद्योगों के लिए चिप निर्माण करती है। डॉ. चंद्रा ने सेमिकंडक्टर के ऐतिहासिक विकास पर भी प्रकाश डाला । वर्ष 1947 में पहला सॉलिड-स्टेट ट्रांजिस्टर विकसित हुआ था, जिसने इलेक्ट्रॉनिक क्रांति की नींव रखी। इसके बाद 1958 में पहला इंटीग्रेटेड सर्किट विकसित किया गया, जिसमें पाँच प्रमुख घटक थे । 1961 में ट्रांजिस्टर युक्त ढ्ढष्ट ने उत्पादन के स्तर को और सशक्त बनाया । 1950 के दशक से 1990 तक यह उद्योग ट्रांजिस्टर टेक्नोलॉजी, प्रोसेस टेक्नोलॉजी, प्रतिस्पर्धा, स्वचालन और बड़े पैमाने पर उत्पादन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा।