बरैया को दिग्विजय ने मुंह काला करने से रोका, काला टीका लगाया किया नाम

भोपाल नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुंह काला...

भोपाल

नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुंह काला करने से रोक दिया। बरैया अपना वचन पूरा करने के लिए गुरुवार दोपहर भोपाल में राजभवन जाने के लिए रवाना हुए।रोशनपुरा चौराहे पर ही दिग्विजय ने उन्हें काला टीका लगाकर औपचारिकता पूरी की। इसके बाद बरैया ने EVM वाले पोस्टरों पर काली स्याही पोत दी।

भांडेर से कांग्रेस के विधायक फूल सिंह बरैया ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान यह दावा किया था कि भाजपा को इन चुनावों में पचास से भी कम सीटें मिलेंगी। अगर इससे ज्यादा सीटें मिलीं तो वह अपना मुंह काला करवा लेंगे। अब इसी वचन को पूरा करने फूल सिंह बरैया राजधानी में गुरुवार दोपहर 02 बजे बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ रैली की शक्ल में राजभवन के लिए निकले। समर्थकों में बड़ी संख्मा में महिलाएं भी शामिल रहीं

 

रोशनपुरा चौक पर पुलिस ने रोका

बरैया की इस कवायद को देखते हुए राजधानी में पुलिस-प्रशासन अलर्ट मोड पर रहा। पुलिस ने रोशनपुरा चौराहे पर बैरिकेडिंग कर फूल सिंह बरैया व उनके समर्थकों को आगे बढ़ने से रोक दिया। बरैया के समर्थक चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक लगाने और संविधान की रक्षा करने की मांग करते हुए नारेबाजी कर रहे हैं। बरैया के समर्थन में दिग्विजय सिंह भी रोशनपुरा चौक पहुंचे। यहां पर समर्थकों की नारेबाजी के बीच दिग्विजय सिंह ने फूल सिंह बरैया को प्रतीकात्मक रूप से काला टीका लगाया।
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पोस्टल बैलेट से चुनाव हों तो 50 सीटें नहीं जीतेगी भाजपा

इस दौरान बरैया ने एक बार फिर दावा किया कि यदि आज पोस्टल बैलट से चुनाव करवा लिए जाएं तो भाजपा प्रदेश में 50 सीटें भी नहीं जीत पाएगी। साथ ही उन्होंने हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ते हुए यह भी कहा कि पोस्टल बैलट से चुनाव हो जाएं तो कांग्रेस पार्टी प्रदेश में 200 सीटें जीतेगी।

गौरतलब है कि इन चुनावों में भाजपा को प्रचंड बहुमत हासिल होने के बाद बरैया ने दो दिन पहले यह ऐलान किया था कि मैं अपनी बात पर कायम हूं और 07 दिसंबर को राजभवन के सामने पहुंचकर अपना मुंह काला करूंगा।

ईवीएम पर उठाए थे सवाल

तब बरैया ने यह भी कहा था कि चुनाव के लिए मतदान अगर बैलेट पेपर से होता तो भाजपा को इतनी सीटें कभी नहीं मिल सकती थीं। बैलेट पेपर में निशान लगाते समय स्पष्ट रहता है, लेकिन ईवीएम में कुछ भी संभव है।