भिंड में भूखे-प्यासे दिनभर धूप में खड़े रहे अन्नदाता:बोले- नेताओं के घरों में पहुंच रही बोरियां; सुबह 4 बजे से कतार में लगने मजबूर किसान

भिंड की पुरानी गल्ला मंडी में सोमवार को खाद का वितरण न होने से किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। यहां किसानों ने जमकर हंगामा किया। किसान रात से ही खाद की बोरी के लिए कतार में खड़े थे, लेकिन सुबह महज 18 किसानों को खाद देने के बाद पीओएस मशीन में तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर वितरण रोक दिया गया। दरअसल, आसमान साफ होते ही किसान अपने खेतों को तैयार कर बुवाई के लिए खाद की मांग में जुट गए हैं। लेकिन जिलेभर में डीएपी और यूरिया का संकट गहराने लगा है। किसानों को खाद की एक भी बोरी आसानी से नसीब नहीं हो रही। दैनिक भास्कर की टीम जब पुरानी गल्ला मंडी केंद्र पहुंची तो वहां हालत बेकाबू दिखे। ग्रामीण अंचल से पहुंचे किसान कोई सुबह चार बजे से तो कोई सात बजे से कतार में खड़े थे। दोपहर तीन बजे तक जब खाद नहीं मिला तो उनका सब्र टूट गया और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। अधिकारी और केंद्र प्रभारी कालाबाजारी कर रहे किसानों ने जमकर सरकार, स्थानीय प्रशासन और वितरण व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि कृषि विभाग के अधिकारी और केंद्र प्रभारी मिलकर खाद की जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं। राजनेताओं, रिश्तेदारों और दबंगों की पर्चियां ऑफिस में काटी जाती हैं और खाद सीधे उनके घर पहुंचाई जा रही है। अधिकारी नहीं आए सामने, किसानों ने सुनाई पीड़ा दैनिक भास्कर टीम ने केंद्र पर पूरे हालात कैमरे में कैद किए और किसानों से बातचीत की। जब टीम ने केंद्र प्रभारी से कैमरे पर सवाल करने चाहे तो कोई सामने नहीं आया। इसके बाद कृषि विभाग के उप संचालक कमल पांडेय के पास टीम पहुंची। वे आराम से एसी रूम में बैठे थे, जबकि किसान कड़क धूप में पसीने से तर-बतर परेशान हो रहे थे। कैमरे पर उन्होंने एक शब्द बोलना जरूरी नहीं समझा। कैमरा बंद होने पर चुप्पी तोड़ी और कहा- “किसानों की समस्या है तो किसान जाने। मैं अपना काम कर रहा हूं। खाद देना मेरी अकेले की जिम्मेदारी नहीं है।” हालांकि खाद वितरण केंद्र पर एकाउंटेंट राधेश्याम शर्मा का कहना है कि मशीन चल नहीं रही है। किसानों की भीड़ ज्यादा है। पुलिस बल बुलाया है। परंतु आकर लौट गया है। ऐसे में टोकन दिए जाएंगे तो लूटपाट और मारपीट किसान करने लगेंगे। इसलिए चैनल बंद करके अंदर बैठे हैं। सुबह चार बजे से कतार में रछेड़ी गांव के युवा किसान पुष्पराज यादव ने बताया कि सुबह चार बजे से कतार में हूं, फिर भी खाद नहीं मिल रहा। कर्मचारियों का रवैया बेहद अमानवीय है। वे कह रहे हैं- “मैं प्राइवेट कर्मचारी हूं, किसी का नौकर नहीं। मेरी मर्जी होगी तो खाद दूंगा, नहीं तो चले जाओ।” सर्वर न आने की बात कहकर टरका रहे इसी तरह मढ़ैयान गांव के किसान ने बताया कि सुबह पांच बजे से खड़े हैं, लेकिन सर्वर न आने की बात कहकर उन्हें टरकाया जा रहा है। भूखे-प्यासे किसान परेशान खड़े हैं। भीकमपुरा गांव से आए किसान ने गुस्से में कहा कि यहां अधिकारी अपनी मनमानी कर रही हैं। यहां कोई भी सुनने वाला नहीं है।

भिंड में भूखे-प्यासे दिनभर धूप में खड़े रहे अन्नदाता:बोले- नेताओं के घरों में पहुंच रही बोरियां; सुबह 4 बजे से कतार में लगने मजबूर किसान
भिंड की पुरानी गल्ला मंडी में सोमवार को खाद का वितरण न होने से किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। यहां किसानों ने जमकर हंगामा किया। किसान रात से ही खाद की बोरी के लिए कतार में खड़े थे, लेकिन सुबह महज 18 किसानों को खाद देने के बाद पीओएस मशीन में तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर वितरण रोक दिया गया। दरअसल, आसमान साफ होते ही किसान अपने खेतों को तैयार कर बुवाई के लिए खाद की मांग में जुट गए हैं। लेकिन जिलेभर में डीएपी और यूरिया का संकट गहराने लगा है। किसानों को खाद की एक भी बोरी आसानी से नसीब नहीं हो रही। दैनिक भास्कर की टीम जब पुरानी गल्ला मंडी केंद्र पहुंची तो वहां हालत बेकाबू दिखे। ग्रामीण अंचल से पहुंचे किसान कोई सुबह चार बजे से तो कोई सात बजे से कतार में खड़े थे। दोपहर तीन बजे तक जब खाद नहीं मिला तो उनका सब्र टूट गया और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। अधिकारी और केंद्र प्रभारी कालाबाजारी कर रहे किसानों ने जमकर सरकार, स्थानीय प्रशासन और वितरण व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि कृषि विभाग के अधिकारी और केंद्र प्रभारी मिलकर खाद की जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं। राजनेताओं, रिश्तेदारों और दबंगों की पर्चियां ऑफिस में काटी जाती हैं और खाद सीधे उनके घर पहुंचाई जा रही है। अधिकारी नहीं आए सामने, किसानों ने सुनाई पीड़ा दैनिक भास्कर टीम ने केंद्र पर पूरे हालात कैमरे में कैद किए और किसानों से बातचीत की। जब टीम ने केंद्र प्रभारी से कैमरे पर सवाल करने चाहे तो कोई सामने नहीं आया। इसके बाद कृषि विभाग के उप संचालक कमल पांडेय के पास टीम पहुंची। वे आराम से एसी रूम में बैठे थे, जबकि किसान कड़क धूप में पसीने से तर-बतर परेशान हो रहे थे। कैमरे पर उन्होंने एक शब्द बोलना जरूरी नहीं समझा। कैमरा बंद होने पर चुप्पी तोड़ी और कहा- “किसानों की समस्या है तो किसान जाने। मैं अपना काम कर रहा हूं। खाद देना मेरी अकेले की जिम्मेदारी नहीं है।” हालांकि खाद वितरण केंद्र पर एकाउंटेंट राधेश्याम शर्मा का कहना है कि मशीन चल नहीं रही है। किसानों की भीड़ ज्यादा है। पुलिस बल बुलाया है। परंतु आकर लौट गया है। ऐसे में टोकन दिए जाएंगे तो लूटपाट और मारपीट किसान करने लगेंगे। इसलिए चैनल बंद करके अंदर बैठे हैं। सुबह चार बजे से कतार में रछेड़ी गांव के युवा किसान पुष्पराज यादव ने बताया कि सुबह चार बजे से कतार में हूं, फिर भी खाद नहीं मिल रहा। कर्मचारियों का रवैया बेहद अमानवीय है। वे कह रहे हैं- “मैं प्राइवेट कर्मचारी हूं, किसी का नौकर नहीं। मेरी मर्जी होगी तो खाद दूंगा, नहीं तो चले जाओ।” सर्वर न आने की बात कहकर टरका रहे इसी तरह मढ़ैयान गांव के किसान ने बताया कि सुबह पांच बजे से खड़े हैं, लेकिन सर्वर न आने की बात कहकर उन्हें टरकाया जा रहा है। भूखे-प्यासे किसान परेशान खड़े हैं। भीकमपुरा गांव से आए किसान ने गुस्से में कहा कि यहां अधिकारी अपनी मनमानी कर रही हैं। यहां कोई भी सुनने वाला नहीं है।