भोपाल में सिंधी समाज के मासिक पर्व चण्ड का आयोजन:बैरागढ़ के झूलेलाल मंदिर में धूनी और बहराणा साहब का आयोजन, भक्तों ने की आराधना
भोपाल में सिंधी समाज के मासिक पर्व चण्ड का आयोजन:बैरागढ़ के झूलेलाल मंदिर में धूनी और बहराणा साहब का आयोजन, भक्तों ने की आराधना
बैरागढ़ स्थित प्राचीन झूलेलाल मंदिर में सिंधी समाज के मासिक पर्व चण्ड का आयोजन किया गया। कोड़ोमल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में झूलेलाल भगवान की धूनी और बहराणा साहब की विशेष पूजा-अर्चना की गई। झूलेलाल चालीहा उत्सव समिति के प्रमुख पुरुषोत्तम हरचंदानी और समाजसेवी महेश खटवानी के मार्गदर्शन में शाम 5 से 6 बजे तक झूलेलाल जी की धूनी लगाई गई। इसके बाद शाम 6 से 8 बजे तक बहराणा साहब का विशेष आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुकेश महाराज, हीरो इसरानी, दिनेश वाधवानी, राकेश तुलसानी सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए। कार्यक्रम संयोजक अजीत मीरचंदानी की देखरेख में आयोजित इस धार्मिक अनुष्ठान में भगवान के अनुयायी मुरलीधर हरचंदानी ने भजनों की प्रस्तुति दी। सिंधी समाज में चण्ड का विशेष महत्व है, जो प्रत्येक माह अमावस्या के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह चेटीचंड से अलग है, जो वर्ष में एक बार झूलेलाल जी के जन्मोत्सव पर मनाया जाता है। चण्ड के दिन विशेष पूजा-अर्चना के साथ सिंधी गीत, भजन, आराधना, प्रार्थना पल्लव, अखा और छेज का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन सिंधी समाज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
बैरागढ़ स्थित प्राचीन झूलेलाल मंदिर में सिंधी समाज के मासिक पर्व चण्ड का आयोजन किया गया। कोड़ोमल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में झूलेलाल भगवान की धूनी और बहराणा साहब की विशेष पूजा-अर्चना की गई। झूलेलाल चालीहा उत्सव समिति के प्रमुख पुरुषोत्तम हरचंदानी और समाजसेवी महेश खटवानी के मार्गदर्शन में शाम 5 से 6 बजे तक झूलेलाल जी की धूनी लगाई गई। इसके बाद शाम 6 से 8 बजे तक बहराणा साहब का विशेष आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुकेश महाराज, हीरो इसरानी, दिनेश वाधवानी, राकेश तुलसानी सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए। कार्यक्रम संयोजक अजीत मीरचंदानी की देखरेख में आयोजित इस धार्मिक अनुष्ठान में भगवान के अनुयायी मुरलीधर हरचंदानी ने भजनों की प्रस्तुति दी। सिंधी समाज में चण्ड का विशेष महत्व है, जो प्रत्येक माह अमावस्या के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह चेटीचंड से अलग है, जो वर्ष में एक बार झूलेलाल जी के जन्मोत्सव पर मनाया जाता है। चण्ड के दिन विशेष पूजा-अर्चना के साथ सिंधी गीत, भजन, आराधना, प्रार्थना पल्लव, अखा और छेज का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन सिंधी समाज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।