शिवपुरी में चेहल्लुम पर निकले 32 से अधिक ताजिए:हिंदू-मुस्लिम एकता की दिखी मिसाल, शिया मुस्लमानों के साथ
शिवपुरी में चेहल्लुम पर निकले 32 से अधिक ताजिए:हिंदू-मुस्लिम एकता की दिखी मिसाल, शिया मुस्लमानों के साथ
शिवपुरी शहर में सोमवार रात चेहल्लुम के ताजिए बड़े धूमधाम के साथ निकाले गए। मुस्लिम समुदाय के लोग पारंपरिक अंदाज में शामिल हुए और रातभर शहर की सड़कों पर धार्मिक माहौल बना रहा। ताजिए अपने-अपने स्थानों से रवाना होकर माधव चौक पहुंचे, जहां देर रात तक भीड़ उमड़ती रही। मंगलवार सुबह इन्हें हुसैन टेकरी ले जाकर दोपहर तक करबला विसर्जन की रस्म पूरी की जाएगी। 32 से ज्यादा ताजिए निकले
इस अवसर पर युवाओं ने पारंपरिक डोल-ताशे बजाए, वहीं विभिन्न कमेटियों ने एक दर्जन से अधिक बैंड और डीजे भी बुलाए। शहरभर में कुल 32 से अधिक छोटे-बड़े ताजिए निकले, जिनमें फिजिकल थाना क्षेत्र से 15, देहात थाना क्षेत्र से 12 और कोतवाली क्षेत्र से 5 ताजिए शामिल थे। पूरे आयोजन के दौरान माहौल धार्मिक रंग में सराबोर रहा। एकता का संदेश भी दिखा
आयोजन को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त बल तैनात किया गया और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी गई। पूरी मुस्तैदी से पूरे आयोजन में शांति और सौहार्द कायम रहा। खास बात यह रही कि पुरानी शिवपुरी क्षेत्र में एक ताजिए के दौरान बैंड पर “एक राधा एक मीरा” भजन गाया गया, जिसे सुनकर हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग झूम उठे और एकता की मिसाल देखने को मिली। क्या होता है चेहल्लुम
चेहल्लुम, जिसे अरबईन या चालीसवां भी कहा जाता है, शिया मुसलमानों का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है, जो आशूरा के 40 दिन बाद मनाया जाता है। यह दिन पैगंबर मुहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने सन 61 हिजरी (680 ईस्वी) में कर्बला की लड़ाई में शहादत दी थी।
शिवपुरी शहर में सोमवार रात चेहल्लुम के ताजिए बड़े धूमधाम के साथ निकाले गए। मुस्लिम समुदाय के लोग पारंपरिक अंदाज में शामिल हुए और रातभर शहर की सड़कों पर धार्मिक माहौल बना रहा। ताजिए अपने-अपने स्थानों से रवाना होकर माधव चौक पहुंचे, जहां देर रात तक भीड़ उमड़ती रही। मंगलवार सुबह इन्हें हुसैन टेकरी ले जाकर दोपहर तक करबला विसर्जन की रस्म पूरी की जाएगी। 32 से ज्यादा ताजिए निकले
इस अवसर पर युवाओं ने पारंपरिक डोल-ताशे बजाए, वहीं विभिन्न कमेटियों ने एक दर्जन से अधिक बैंड और डीजे भी बुलाए। शहरभर में कुल 32 से अधिक छोटे-बड़े ताजिए निकले, जिनमें फिजिकल थाना क्षेत्र से 15, देहात थाना क्षेत्र से 12 और कोतवाली क्षेत्र से 5 ताजिए शामिल थे। पूरे आयोजन के दौरान माहौल धार्मिक रंग में सराबोर रहा। एकता का संदेश भी दिखा
आयोजन को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त बल तैनात किया गया और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी गई। पूरी मुस्तैदी से पूरे आयोजन में शांति और सौहार्द कायम रहा। खास बात यह रही कि पुरानी शिवपुरी क्षेत्र में एक ताजिए के दौरान बैंड पर “एक राधा एक मीरा” भजन गाया गया, जिसे सुनकर हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग झूम उठे और एकता की मिसाल देखने को मिली। क्या होता है चेहल्लुम
चेहल्लुम, जिसे अरबईन या चालीसवां भी कहा जाता है, शिया मुसलमानों का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है, जो आशूरा के 40 दिन बाद मनाया जाता है। यह दिन पैगंबर मुहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने सन 61 हिजरी (680 ईस्वी) में कर्बला की लड़ाई में शहादत दी थी।