सरकार को याद दिलाने मुखौटे पहनकर सडक़ पर उतरे एनएचएम कर्मी
सरकार को याद दिलाने मुखौटे पहनकर सडक़ पर उतरे एनएचएम कर्मी
बोले-आश्वासन नहीं लिखित आदेश चाहिए
छत्तीसगढ़ संवाददाता
कोण्डागांव, 3 सितंबर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हड़ताली कर्मियों ने आज अनिश्चितकालीन हड़ताल के 17वें दिन अपनी मांगों को लेकर अनोखा प्रदर्शन किया। डीएनके कालोनी स्थित धरना स्थल पर कर्मचारियों ने सत्ता पक्ष के मंत्रियों और नेताओं का मुखौटा पहनकर रैली निकाली और सरकार को चुनाव पूर्व किए वादों की याद दिलाई।
छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ जिला इकाई कोण्डागांव के जिलाध्यक्ष कृष्णा पटेल के अनुसार, जिले के 581 कर्मचारी 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों का कहना है कि केवल मौखिक आश्वासन से अब काम नहीं चलेगा, जब तक सरकार उनकी मुख्य मांगों पर विचार कर लिखित आदेश जारी नहीं करती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। आज के प्रदर्शन में मुखौटा पहने मंत्री और नेता कर्मचारियों को आश्वासन देते दिखे, जबकि उग्र हो चुके कर्मचारियों ने नारेबाजी कर साफ कर दिया कि उन्हें अब केवल लिखित आदेश चाहिए। इस दौरान आश्वासन नहीं, लिखित आदेश चाहिए, ना घर में आटा है, ना दाल है, संविदा में बुरा हाल है जैसे नारे गूंजते रहे।
हड़ताली कर्मचारियों ने थाली, कटोरी और खाली कुकर बजाकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उनका कहना है कि लंबे समय से मांगों की अनदेखी हो रही है और सरकार को अब वादों को पूरा करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
बोले-आश्वासन नहीं लिखित आदेश चाहिए
छत्तीसगढ़ संवाददाता
कोण्डागांव, 3 सितंबर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हड़ताली कर्मियों ने आज अनिश्चितकालीन हड़ताल के 17वें दिन अपनी मांगों को लेकर अनोखा प्रदर्शन किया। डीएनके कालोनी स्थित धरना स्थल पर कर्मचारियों ने सत्ता पक्ष के मंत्रियों और नेताओं का मुखौटा पहनकर रैली निकाली और सरकार को चुनाव पूर्व किए वादों की याद दिलाई।
छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ जिला इकाई कोण्डागांव के जिलाध्यक्ष कृष्णा पटेल के अनुसार, जिले के 581 कर्मचारी 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों का कहना है कि केवल मौखिक आश्वासन से अब काम नहीं चलेगा, जब तक सरकार उनकी मुख्य मांगों पर विचार कर लिखित आदेश जारी नहीं करती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। आज के प्रदर्शन में मुखौटा पहने मंत्री और नेता कर्मचारियों को आश्वासन देते दिखे, जबकि उग्र हो चुके कर्मचारियों ने नारेबाजी कर साफ कर दिया कि उन्हें अब केवल लिखित आदेश चाहिए। इस दौरान आश्वासन नहीं, लिखित आदेश चाहिए, ना घर में आटा है, ना दाल है, संविदा में बुरा हाल है जैसे नारे गूंजते रहे।
हड़ताली कर्मचारियों ने थाली, कटोरी और खाली कुकर बजाकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उनका कहना है कि लंबे समय से मांगों की अनदेखी हो रही है और सरकार को अब वादों को पूरा करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।