हत्या के प्रयास के आरोपियों को सात साल की कैद:दो सगे भाइयों ने टशन में पड़ोसी बाप-बेटे को मारी थी गोलियां,22 माह बाद कोर्ट ने सुनाई सजा
हत्या के प्रयास के आरोपियों को सात साल की कैद:दो सगे भाइयों ने टशन में पड़ोसी बाप-बेटे को मारी थी गोलियां,22 माह बाद कोर्ट ने सुनाई सजा
ग्वालियर में हत्या के प्रयास के मामले में न्यायालय ने दो सगे भाइयों अजब सिंह चौहान उर्फ गोले उर्फ अजबा व उसके भाई रामभजन चौहान गोले उर्फ पिंकी को दोषी पाते हुए सात-सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। दोनों ने एक पिता-पुत्र पर गोलियां बरसाकर हत्या का प्रयास किया था। अजब सिंह पर 13 हजार रुपए और रामभजन पर 10 हजार रुपए का जुर्माना किया गया है। अर्थदण्ड की राशि जमा होने पर उसमें से 7-7 हजार रुपए आहत रामवीर एवं गोविंद को दिए जाने के आदेश भी न्यायालय ने दिए हैं। ऐसे समझिए पूरा मामला
ग्वालियर के उटीला थाना स्थित काशीपुरा निवासी फरियादी रामवीर सिंह अपने बेटे गोविंद चौहान के साथ 12 नवंबर 2023 को मुरार के जिला अस्पताल में भर्ती हुए थे। सुबह 10 बजे के करीब वह और उसका छोटा बेटा गोविंद अपने खेत से घर वापस आए थे। जब वह घर पर अपने बेटे से बातचीत कर रहा था कि तभी अजब सिंह और उसका भाई पिंकी चौहान पुत्र व़ृंदावन चौहान उसके घर के पास आए। अजब सिंह अधिया और पिंकी चौहान बंदूक लिए था। अजब ने रामवीर पर फायर कर दिया, गोली रामवीर के बांए हाथ की कलाई के पास लगी और आरपार हो गई। जब बेटा गोविंद उसे बचाने के लिए घर का दरवाजा लगा रहा था तो पिंकी ने गोविंद पर फायर किया तो एक गोली गोविंद के भी हाथ में लगी है। इसके बाद हमलावर भाग गए। मई 2023 में हुआ था विवाद रामवीर सिंह ने बताया कि मई 2023 में उसका बेटा गोविंद अपनी पत्नी रिंकी के साथ सोलापुर महाराष्ट्र में काम करने गया था। उसके बेटे के सोलापुर पहुंचने के दो दिन बाद अजब सिंह बेटे के कमरे पर पहुंचा था। यहां बेटे के नहीं मिलने पर बहू से अभद्रता कर आया। इसी बात पर रामवीर के बेटे का अजब सिंह से विवाद हो गया था। उस समय तो वहां मौजूद लोगों ने मामला शांत करा दिया था, लेकिन अजब सिंह मन में दुश्मनी ठानकर बैठा था। जून 2023 में उनका बेटा काम छोड़कर वापस अपने घर आ गया था।
अब कोर्ट ने सुनाई सजा
इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर एक महीने के अंदर दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर चालान पेश किया था। जिस पर सुनवाई हुई। इस मामले में 14 अगस्त को सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट ने सभी सबूत देखने और गवाह के बयान लेने के बाद दोनों आरोपियों अजब सिंह व पिंकी चौहान को दोषी मानते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई है।
ग्वालियर में हत्या के प्रयास के मामले में न्यायालय ने दो सगे भाइयों अजब सिंह चौहान उर्फ गोले उर्फ अजबा व उसके भाई रामभजन चौहान गोले उर्फ पिंकी को दोषी पाते हुए सात-सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। दोनों ने एक पिता-पुत्र पर गोलियां बरसाकर हत्या का प्रयास किया था। अजब सिंह पर 13 हजार रुपए और रामभजन पर 10 हजार रुपए का जुर्माना किया गया है। अर्थदण्ड की राशि जमा होने पर उसमें से 7-7 हजार रुपए आहत रामवीर एवं गोविंद को दिए जाने के आदेश भी न्यायालय ने दिए हैं। ऐसे समझिए पूरा मामला
ग्वालियर के उटीला थाना स्थित काशीपुरा निवासी फरियादी रामवीर सिंह अपने बेटे गोविंद चौहान के साथ 12 नवंबर 2023 को मुरार के जिला अस्पताल में भर्ती हुए थे। सुबह 10 बजे के करीब वह और उसका छोटा बेटा गोविंद अपने खेत से घर वापस आए थे। जब वह घर पर अपने बेटे से बातचीत कर रहा था कि तभी अजब सिंह और उसका भाई पिंकी चौहान पुत्र व़ृंदावन चौहान उसके घर के पास आए। अजब सिंह अधिया और पिंकी चौहान बंदूक लिए था। अजब ने रामवीर पर फायर कर दिया, गोली रामवीर के बांए हाथ की कलाई के पास लगी और आरपार हो गई। जब बेटा गोविंद उसे बचाने के लिए घर का दरवाजा लगा रहा था तो पिंकी ने गोविंद पर फायर किया तो एक गोली गोविंद के भी हाथ में लगी है। इसके बाद हमलावर भाग गए। मई 2023 में हुआ था विवाद रामवीर सिंह ने बताया कि मई 2023 में उसका बेटा गोविंद अपनी पत्नी रिंकी के साथ सोलापुर महाराष्ट्र में काम करने गया था। उसके बेटे के सोलापुर पहुंचने के दो दिन बाद अजब सिंह बेटे के कमरे पर पहुंचा था। यहां बेटे के नहीं मिलने पर बहू से अभद्रता कर आया। इसी बात पर रामवीर के बेटे का अजब सिंह से विवाद हो गया था। उस समय तो वहां मौजूद लोगों ने मामला शांत करा दिया था, लेकिन अजब सिंह मन में दुश्मनी ठानकर बैठा था। जून 2023 में उनका बेटा काम छोड़कर वापस अपने घर आ गया था।
अब कोर्ट ने सुनाई सजा
इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर एक महीने के अंदर दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर चालान पेश किया था। जिस पर सुनवाई हुई। इस मामले में 14 अगस्त को सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट ने सभी सबूत देखने और गवाह के बयान लेने के बाद दोनों आरोपियों अजब सिंह व पिंकी चौहान को दोषी मानते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई है।