संत माखनदास महाराज का हुआ अंतिम संस्कार:मनीराम का पुरा में हजारों भक्तों की मौजूदगी में संतों ने दी मुखाग्नि
संत माखनदास महाराज का हुआ अंतिम संस्कार:मनीराम का पुरा में हजारों भक्तों की मौजूदगी में संतों ने दी मुखाग्नि
चंबल क्षेत्र के प्रसिद्ध संत श्रीश्री 1008 माखनदास महाराज का अंतिम संस्कार उनके पैत्रिक गांव मनीराम का पुरा में किया गया। हजारों की संख्या में उमड़े श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया। देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे उनके शिष्य और भक्त अपने संत के अंतिम दर्शन के लिए व्याकुल नजर आए। किसरौली धाम में हुआ था देहावसान सोमवार को मुरैना के अंबाह स्थित किसरौली धाम पर उनका देहावसान हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को उनके पैत्रिक गांव मनीराम का पुरा, धौलपुर (राजस्थान) लाया गया, जहां उनका एक बड़ा आश्रम है। अंतिम संस्कार से पहले उनके पार्थिव शरीर को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराया गया। बालकदास महाराज, जड़ेरुआ महाराज और ऋषि बाबा सहित अन्य संतों ने चंदन की लकड़ियों से उनका अंतिम संस्कार किया। भगवान शिव के अनन्य उपासक थे माखनदास महाराज भगवान शंकर के उपासक थे। किसरौली स्थित उनके आश्रम में भगवान शंकर की दो दर्जन से अधिक पिंडियां स्थापित हैं, जहां वे नित्य पूजा-अर्चना करते थे। श्रद्धालुओं के अनुसार, शिव भक्त होने के कारण उन्होंने सोमवार के दिन ही देह त्याग की। बाल ब्रह्मचारी से संत तक की यात्रा मात्र 10 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पैत्रिक गांव छोड़कर आध्यात्मिक जीवन अपनाया। होलीराम शर्मा के पुत्र माखनदास बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। उन्होंने देशभर में कई आश्रमों की स्थापना की, जिनमें वृंदावन धाम, गिर्राजजी धाम, गूंजबंधा, मान्य गांव और कठुअई में प्रमुख हैं। पिछले 15 वर्षों से वे मनीराम का पुरा स्थित अपने आश्रम में रह रहे थे।
चंबल क्षेत्र के प्रसिद्ध संत श्रीश्री 1008 माखनदास महाराज का अंतिम संस्कार उनके पैत्रिक गांव मनीराम का पुरा में किया गया। हजारों की संख्या में उमड़े श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया। देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे उनके शिष्य और भक्त अपने संत के अंतिम दर्शन के लिए व्याकुल नजर आए। किसरौली धाम में हुआ था देहावसान सोमवार को मुरैना के अंबाह स्थित किसरौली धाम पर उनका देहावसान हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को उनके पैत्रिक गांव मनीराम का पुरा, धौलपुर (राजस्थान) लाया गया, जहां उनका एक बड़ा आश्रम है। अंतिम संस्कार से पहले उनके पार्थिव शरीर को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराया गया। बालकदास महाराज, जड़ेरुआ महाराज और ऋषि बाबा सहित अन्य संतों ने चंदन की लकड़ियों से उनका अंतिम संस्कार किया। भगवान शिव के अनन्य उपासक थे माखनदास महाराज भगवान शंकर के उपासक थे। किसरौली स्थित उनके आश्रम में भगवान शंकर की दो दर्जन से अधिक पिंडियां स्थापित हैं, जहां वे नित्य पूजा-अर्चना करते थे। श्रद्धालुओं के अनुसार, शिव भक्त होने के कारण उन्होंने सोमवार के दिन ही देह त्याग की। बाल ब्रह्मचारी से संत तक की यात्रा मात्र 10 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पैत्रिक गांव छोड़कर आध्यात्मिक जीवन अपनाया। होलीराम शर्मा के पुत्र माखनदास बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। उन्होंने देशभर में कई आश्रमों की स्थापना की, जिनमें वृंदावन धाम, गिर्राजजी धाम, गूंजबंधा, मान्य गांव और कठुअई में प्रमुख हैं। पिछले 15 वर्षों से वे मनीराम का पुरा स्थित अपने आश्रम में रह रहे थे।