सुविधाओं से युक्त आशियाना बनाम वृद्धाश्रम बेहतरीन, पर बूढ़ी आंखों को हर रोज अपनों का इंतजार...
सुविधाओं से युक्त आशियाना बनाम वृद्धाश्रम बेहतरीन, पर बूढ़ी आंखों को हर रोज अपनों का इंतजार...
कोई बेहसहारा रास्ते पर घूम रहे थे, किसी को अपनो ने यहां ला छोड़ा था
छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद, 27 अप्रैल। महासमुंद के दलदली रोड स्थित आशियाना वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों को घर की याद सताती तो है, लेकिन जीवन सुखमय गुजर रहा है। उनके सोने के लिए साफ सुथरे पलंग-बिस्तर,पहनने के लिए कपड़े, टेबल कुर्सी में बैठकर सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम की चाय और रात के भोजन के साथ-साथ मनोरंजन के लिए टीवी, गर्मी में ठंडे पानी के लिए प्रीज, झूले, मंदिर और बागवानी की व्यवस्था है। हर रात इन्हें दूध दिया जाता है। यहां रहने वाले कुछ बुजुर्गों को सडक़ों के कि नारे से उठा कर लाया गया था लेकिन अधिकांश बुजुर्गों के परिवार हंै। परिवार के लोगों के साथ उनकी नहीं बनती तो यहां आशियान में ठौर सुरक्षित कर लिया है।
समाज कल्याण विभाग की उप संचालक संगीता सिंह भी महीने में कई बार यहां निरीक्षण कर आती हैं। उन्होंने बताया कि जब भी मन करता है उनसे मिलने आरै हालचाल पूछने चली जाती हैं। बुजुर्गों के स्वास्थ्य आदि के लिए नर्स की व्यवस्था है। लेकिन गंभीर रूप से बीमार आदि होने पर उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाकर जांच कराने तथा इलाज आदि की व्यवस्था है। पहले जिन बुजुर्गों का इंतकाल हुआ, उनकी अंतिम क्रियाकर्म भी परिवार की तरह किया गया। कोई भी समस्या बताएं तो तत्काल निराकरण किया जाता है। जिंदगी भर रिश्तों के लिए खपने वाले बुजुर्गांें को अब भी अपनों की याद आती है। हम इस दु:ख को उनसे दूर नहीं कर सकते। बस कोशिश करते हैं कि इनके जीवन के आखरी दिनों में ये खुश रह सकें।
यहां रहनेवाले पुनित राम निषाद, धनुष कुमार, दुकाल शर्मा, रामलाल ध्रुव, मनोहर साहू, शांति बाई पटवा, बुधिया बाई, कुंभ बाई,नीता राजपूत, केंवरा बंजारे,ललिता, लच्छनी बाई, तेजा बाई, तिजन बाई, गंगा बाई, शांति बाई, बदन चौहान, रामायणमती, उषा बाई कन्नौजे, उर्मिला ध्रुव, लच्छनीबाई साहू,जानकी बाई यादव, देवंतीन यादव समेत कुल 22 बुजुर्ग यहां रहते हैं।
इन्होंने बताया कि यहां भूखे रहना नहीं पड़ता। समय पर नाश्ता और खाना मिल जाता है। कभी टेबल में बैठकर खाना नहीं मिला था, वो भी मिल रहा है। अच्छी नींद मिल रही है। पर्याप्त बिस्तर पलंग है। कपड़े हैं, कूलर है।
कोई बेहसहारा रास्ते पर घूम रहे थे, किसी को अपनो ने यहां ला छोड़ा था
छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद, 27 अप्रैल। महासमुंद के दलदली रोड स्थित आशियाना वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों को घर की याद सताती तो है, लेकिन जीवन सुखमय गुजर रहा है। उनके सोने के लिए साफ सुथरे पलंग-बिस्तर,पहनने के लिए कपड़े, टेबल कुर्सी में बैठकर सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम की चाय और रात के भोजन के साथ-साथ मनोरंजन के लिए टीवी, गर्मी में ठंडे पानी के लिए प्रीज, झूले, मंदिर और बागवानी की व्यवस्था है। हर रात इन्हें दूध दिया जाता है। यहां रहने वाले कुछ बुजुर्गों को सडक़ों के कि नारे से उठा कर लाया गया था लेकिन अधिकांश बुजुर्गों के परिवार हंै। परिवार के लोगों के साथ उनकी नहीं बनती तो यहां आशियान में ठौर सुरक्षित कर लिया है।
समाज कल्याण विभाग की उप संचालक संगीता सिंह भी महीने में कई बार यहां निरीक्षण कर आती हैं। उन्होंने बताया कि जब भी मन करता है उनसे मिलने आरै हालचाल पूछने चली जाती हैं। बुजुर्गों के स्वास्थ्य आदि के लिए नर्स की व्यवस्था है। लेकिन गंभीर रूप से बीमार आदि होने पर उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाकर जांच कराने तथा इलाज आदि की व्यवस्था है। पहले जिन बुजुर्गों का इंतकाल हुआ, उनकी अंतिम क्रियाकर्म भी परिवार की तरह किया गया। कोई भी समस्या बताएं तो तत्काल निराकरण किया जाता है। जिंदगी भर रिश्तों के लिए खपने वाले बुजुर्गांें को अब भी अपनों की याद आती है। हम इस दु:ख को उनसे दूर नहीं कर सकते। बस कोशिश करते हैं कि इनके जीवन के आखरी दिनों में ये खुश रह सकें।
यहां रहनेवाले पुनित राम निषाद, धनुष कुमार, दुकाल शर्मा, रामलाल ध्रुव, मनोहर साहू, शांति बाई पटवा, बुधिया बाई, कुंभ बाई,नीता राजपूत, केंवरा बंजारे,ललिता, लच्छनी बाई, तेजा बाई, तिजन बाई, गंगा बाई, शांति बाई, बदन चौहान, रामायणमती, उषा बाई कन्नौजे, उर्मिला ध्रुव, लच्छनीबाई साहू,जानकी बाई यादव, देवंतीन यादव समेत कुल 22 बुजुर्ग यहां रहते हैं।
इन्होंने बताया कि यहां भूखे रहना नहीं पड़ता। समय पर नाश्ता और खाना मिल जाता है। कभी टेबल में बैठकर खाना नहीं मिला था, वो भी मिल रहा है। अच्छी नींद मिल रही है। पर्याप्त बिस्तर पलंग है। कपड़े हैं, कूलर है।