कुत्ते की स्मृति में एक रात में हुआ था निर्माण:ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में 1 हजार भक्तों ने किया दर्शन, कहा-यहां सुकून मिलता है
कुत्ते की स्मृति में एक रात में हुआ था निर्माण:ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में 1 हजार भक्तों ने किया दर्शन, कहा-यहां सुकून मिलता है
डिंडौरी जिला मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दूर कुकर्रा मठ गांव में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है, जिसे लोग "ऋण मुक्तेश्वर महादेव" के नाम से जानते हैं। आज सावन के दूसरे सोमवार को सुबह से ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने से मन की शांति तो मिलती ही है, साथ ही ऐसा लगता है जैसे सभी परेशानियों और कर्ज से मुक्ति मिल गई हो। ऊंचे चबूतरे पर बना है मंदिर इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। गांव के बुजुर्ग कुंज बिहारी पांडेय ने बताया कि यह मंदिर 10वीं-11वीं शताब्दी में राजा कोकल्य देव ने अपने गुरु के ऋण से मुक्ति पाने के लिए बनवाया था। मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना है और इसका गर्भगृह चौकोर आकार में है। कुत्ते की स्मृति में एक रात में हुआ था निर्माण बुजुर्ग कुंज बिहारी पांडेय ने बताया कि एक और दिलचस्प कहानी प्रचलित है कि एक बंजारा किसी राजा से कर्ज लेकर अपने कुत्ते को गिरवी छोड़ व्यापार के लिए चला गया। उसके बाद राजा के महल में चोरी हुई और वही कुत्ता चोरी का माल तालाब किनारे खोज लाया। राजा उसकी वफादारी से इतने प्रभावित हुए कि कुत्ते को ऋण मुक्त घोषित कर दिया। लेकिन जब बंजारा लौटा, तो हकीकत जाने बिना कुत्ते को मार दिया। पछतावे में उसने उसी जगह एक रात में शिव मंदिर बनवा दिया। तभी से इस गांव का नाम भी "कुकर्रा मठ" पड़ गया। श्रद्धालुओं बोले-दर्शन से मन को शांति मिलती है डिंडोरी से आए नंद किशोर श्रीवास अपनी पत्नी के साथ हर सावन सोमवार को यहां दर्शन करने आते हैं। उनका कहना है कि भोलेनाथ के दर्शन करने से उन्हें मन की शांति मिलती है और ऐसा लगता है कि जीवन के बोझ हल्के हो गए हैं। 14 किलोमीटर पैदल चलकर कावड़ लेकर पहुंचे बच्चे करिश्मा बर्मन अपने छोटे साथियों के साथ 14 किलोमीटर पैदल चलकर कावड़ में जल लेकर पहुंचीं। उन्होंने बताया कि बचपन में लोगों को आते देखा, तो खुद भी आने लगीं। अब ये एक परंपरा बन गई है जिससे आत्मिक सुख मिलता है।
डिंडौरी जिला मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दूर कुकर्रा मठ गांव में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है, जिसे लोग "ऋण मुक्तेश्वर महादेव" के नाम से जानते हैं। आज सावन के दूसरे सोमवार को सुबह से ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने से मन की शांति तो मिलती ही है, साथ ही ऐसा लगता है जैसे सभी परेशानियों और कर्ज से मुक्ति मिल गई हो। ऊंचे चबूतरे पर बना है मंदिर इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। गांव के बुजुर्ग कुंज बिहारी पांडेय ने बताया कि यह मंदिर 10वीं-11वीं शताब्दी में राजा कोकल्य देव ने अपने गुरु के ऋण से मुक्ति पाने के लिए बनवाया था। मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना है और इसका गर्भगृह चौकोर आकार में है। कुत्ते की स्मृति में एक रात में हुआ था निर्माण बुजुर्ग कुंज बिहारी पांडेय ने बताया कि एक और दिलचस्प कहानी प्रचलित है कि एक बंजारा किसी राजा से कर्ज लेकर अपने कुत्ते को गिरवी छोड़ व्यापार के लिए चला गया। उसके बाद राजा के महल में चोरी हुई और वही कुत्ता चोरी का माल तालाब किनारे खोज लाया। राजा उसकी वफादारी से इतने प्रभावित हुए कि कुत्ते को ऋण मुक्त घोषित कर दिया। लेकिन जब बंजारा लौटा, तो हकीकत जाने बिना कुत्ते को मार दिया। पछतावे में उसने उसी जगह एक रात में शिव मंदिर बनवा दिया। तभी से इस गांव का नाम भी "कुकर्रा मठ" पड़ गया। श्रद्धालुओं बोले-दर्शन से मन को शांति मिलती है डिंडोरी से आए नंद किशोर श्रीवास अपनी पत्नी के साथ हर सावन सोमवार को यहां दर्शन करने आते हैं। उनका कहना है कि भोलेनाथ के दर्शन करने से उन्हें मन की शांति मिलती है और ऐसा लगता है कि जीवन के बोझ हल्के हो गए हैं। 14 किलोमीटर पैदल चलकर कावड़ लेकर पहुंचे बच्चे करिश्मा बर्मन अपने छोटे साथियों के साथ 14 किलोमीटर पैदल चलकर कावड़ में जल लेकर पहुंचीं। उन्होंने बताया कि बचपन में लोगों को आते देखा, तो खुद भी आने लगीं। अब ये एक परंपरा बन गई है जिससे आत्मिक सुख मिलता है।