तथ्यात्मक छानबीन के बिना हटाए गए सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट

रायपुर । बिलासपुर हाईकोर्ट ने गरियाबंद जिला अस्पताल में पदस्थ सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट के निलंबन के मामले में सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश प्रसारित किया है। इसमें हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन को आदेश प्रसारित करते हुए कहा है कि प्रकरण में तथ्यात्मक छानबीन का अभाव प्रतीत हो रहा है, लिहाजा अपील करता की प्रस्तुत दलीलों को ध्यान में रखकर तत्काल मामले में छानबीन कर निराकृत किया जाए। वहीं निलंबित सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट ने बिंदुवार राजभवन ज्ञापन प्रेषित कर प्रकरण को निराकृत करने की अपील की है। बता दे की गरियाबंद जिला अस्पताल में सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट डॉ. एमके हेला को 2 दिसंबर 2024 को अवर सचिव छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग महानदी भवन ने निलंबित करने का आदेश प्रसारित किया है, जिस पर डॉक्टर हेला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और बिंदुवार तथ्य रखकर हाईकोर्ट को बताया कि किस तरह बिना किसी कारण और नोटिस जारी किए बिना निलंबित कर दिया गया है। यहां तक की डॉक्टर हेला को पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया। इस एक पक्षीय कार्रवाई से अनुसूचित जाति वर्ग के निलंबित अधिकारी को काफी मानसिक और शारीरिक पीड़ा पहुंची है। उन्होंने शासन के कदम पर आश्चर्य व्यक्त किया है। उन्होंने याचिका में अपने मार्मिक पक्ष को रखते हुए यह कहा है कि उनकी सेवानिवृत्ति को कलंकित करने के प्रयास के तौर पर यह कार्रवाई शासन की ओर से किसी दबाव में की गई है, क्योंकि शासन ने अपने स्तर पर किसी तरह की छानबीन नहीं की, और सीधे कार्रवाई कर दी गई। जबकि शासन को समिति गठित कर स्वयं छानबीन के लिए अवसर लेना था जो कि नहीं लिया गया। इसमें विभागीय जांच संभावित थी वह भी नहीं कराई गई है, इससे यह प्रतीत होता है कि डॉक्टर हेला को एक सुनियोजित षडयंत्र की तहत कलंकित करने की योजना बनाई गई और हटा दिया गया। उन्होंने राज्यपाल छत्तीसगढ़ शासन को दी गई अपील में सभी बिंदुओं को विस्तार से प्रस्तुत किया है और यह बताया है कि किस तरह से उनके साथ एक पक्षीय कार्रवाई हुई। डॉक्टर हेला ने हाई कोर्ट बिलासपुर में याचिका लगाते हुए बताया की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन में 17 जुलाई 1992 को चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्त हुए। इस दौरान बस्तर में सेवाएं दी और पूरा ईमानदारी से कार्य किया। 14 वर्षों तक अनुसूचित क्षेत्र में कार्य करते रहे इसके बाद योग्यता बढ़ाए जाने पर डॉक्टर हेला को मंदिर हसौद आरंग ब्लॉक में चिकित्सा अधिकारी पर सेवाओं का अवसर दिया गया। तदुपरांत चिकित्सा अधिकारी विशेषज्ञ बैकुंठपुर जिला कोरिया में पदस्थ हुए। यहां पर नाक, कान, गला विशेषज्ञ के रूप में पदस्थापना मिली सेवाओं को देखते हुए उन्हें वर्ष 2022 में स्थानांतरण देकर गरियाबंद जिला अस्पताल में भेजा गया जहां पर 1 मई 2024 को सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट के पद पर नियुक्त किया गया। डॉक्टर हेला की कार्य शैली से गरियाबंद जिला अस्पताल के स्टाफ संतुष्ट रहे और आने वाले मरीजों को भी सेवाओं का उत्तम लाभ मिला। नियुक्ति के उपरांत डॉक्टर हेला ने जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर परिना फारुकी जिला चिकित्सा अधिकारी को कलेक्टर निरीक्षण के दौरान पोशाक को लेकर पालन करने के लिए निर्देशित करते हैं, क्योंकि डॉक्टर फारूकी निरीक्षण के दौरान जिला अस्पताल की पोशाक में उपस्थित नहीं थी। यही बात डॉक्टर फारूकी को नागवार गुजरी उन्होंने मुद्दा बना लिया। उन्होंने डॉक्टर के खिलाफ जिला पंचायत गरियाबंद में और सीएमओ पर शिकायत पेश कर दी। उन्होंने शिकायत में कहा की डॉक्टर हेला के द्वारा बार-बार चैंबर बुलाकर अनुचित व्यवहार किया जाता है, ड्रेस कोड को लेकर बातें कही जाती है। इससेे उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंची है और खराब व्यवहार से काफी परेशान है। इस पर जिला पंचायत गरियाबंद सीएमओ ने 4 नवंबर 2024 को एक नोटिस जारी कर डॉक्टर हेला को जवाब तलब के लिए बुलाया, जहां सीएमओ के समक्ष उपस्थित होकर डॉक्टर हेला ने अपना पक्ष रखते हैं विस्तार से जानकारी दी। इस कार्रवाई के बाद सीएमओ द्वारा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन को रिपोर्ट भेजी जाती है इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग निलंबित करने का आदेश प्रसारित कर देता है। जबकि स्थितियां इसके विपरीत हंै नियम अनुसार रिपोर्ट के बाद विभाग को एक कमेटी गठित कर विभागीय जांच करना चाहिए था जो नहीं कराई गई । बिना किसी पूछताछ के और नोटिस जारी किए डॉक्टर हेला को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग निलंबित करने का आदेश प्रसारित कर देता है। यहां तक की डॉक्टर हेला को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से पक्ष रखने के लिए कोई अवसर नहीं दिया जाता और सीधे कार्रवाई कर दी जाती है। डॉक्टर हेला का कहना है कि उनके कक्ष में कैमरे लगे हैं अगर किसी तरह का अनुचित व्यवहार हुआ है तो उसकी रिकॉर्डिंग मौजूद होना चाहिए जिसकी जांच नहीं की गई और कार्रवाई हुई है जो पूर्णत: अनुचित प्रतीत होती है। उन्होंने बताया कि यह ऑडि अल्ट्रम-पार्टम के सिद्धांत का उल्लंघन है। उनका यहां तक कहना है कि जिला पंचायत सीएमओ की कार्रवाई पूर्णतम एक पक्षीय लग रही है। मात्र एक शिकायत जो जिला चिकित्सा अधिकारी पारिना फारुकी द्वारा लगाई जाती है और रिपोर्ट तैयार की जाती है, के आधार पर कार्रवाई की गई है। यह ऐसा प्रतीत होता है कि पहले से ही यह तय कर लिया गया था कि डॉक्टर हेला को निलंबित करने का सोची-समझी साजिश है। बहरहाल उन्होंने निलंबन को अनुचित बताया है और शासन से एक मार्मिक अपील के माध्यम से कहा है कि हाई कोर्ट के आदेश पर तुरंत संज्ञान में लेकर कार्रवाई करें ताकि न्याय तंत्र पर भरोसा बना रहे और उन्हें न्याय मिल सके जबकि उन्होंने पूरी ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। यही नहीं अपनी जवाब प्रस्तुती में रिटायरमेंट को भी पक्ष रखे हैं, जिस पर शासन को उचित व्यवहार

तथ्यात्मक छानबीन के बिना हटाए गए सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट
रायपुर । बिलासपुर हाईकोर्ट ने गरियाबंद जिला अस्पताल में पदस्थ सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट के निलंबन के मामले में सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश प्रसारित किया है। इसमें हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन को आदेश प्रसारित करते हुए कहा है कि प्रकरण में तथ्यात्मक छानबीन का अभाव प्रतीत हो रहा है, लिहाजा अपील करता की प्रस्तुत दलीलों को ध्यान में रखकर तत्काल मामले में छानबीन कर निराकृत किया जाए। वहीं निलंबित सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट ने बिंदुवार राजभवन ज्ञापन प्रेषित कर प्रकरण को निराकृत करने की अपील की है। बता दे की गरियाबंद जिला अस्पताल में सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट डॉ. एमके हेला को 2 दिसंबर 2024 को अवर सचिव छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग महानदी भवन ने निलंबित करने का आदेश प्रसारित किया है, जिस पर डॉक्टर हेला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और बिंदुवार तथ्य रखकर हाईकोर्ट को बताया कि किस तरह बिना किसी कारण और नोटिस जारी किए बिना निलंबित कर दिया गया है। यहां तक की डॉक्टर हेला को पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया। इस एक पक्षीय कार्रवाई से अनुसूचित जाति वर्ग के निलंबित अधिकारी को काफी मानसिक और शारीरिक पीड़ा पहुंची है। उन्होंने शासन के कदम पर आश्चर्य व्यक्त किया है। उन्होंने याचिका में अपने मार्मिक पक्ष को रखते हुए यह कहा है कि उनकी सेवानिवृत्ति को कलंकित करने के प्रयास के तौर पर यह कार्रवाई शासन की ओर से किसी दबाव में की गई है, क्योंकि शासन ने अपने स्तर पर किसी तरह की छानबीन नहीं की, और सीधे कार्रवाई कर दी गई। जबकि शासन को समिति गठित कर स्वयं छानबीन के लिए अवसर लेना था जो कि नहीं लिया गया। इसमें विभागीय जांच संभावित थी वह भी नहीं कराई गई है, इससे यह प्रतीत होता है कि डॉक्टर हेला को एक सुनियोजित षडयंत्र की तहत कलंकित करने की योजना बनाई गई और हटा दिया गया। उन्होंने राज्यपाल छत्तीसगढ़ शासन को दी गई अपील में सभी बिंदुओं को विस्तार से प्रस्तुत किया है और यह बताया है कि किस तरह से उनके साथ एक पक्षीय कार्रवाई हुई। डॉक्टर हेला ने हाई कोर्ट बिलासपुर में याचिका लगाते हुए बताया की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन में 17 जुलाई 1992 को चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्त हुए। इस दौरान बस्तर में सेवाएं दी और पूरा ईमानदारी से कार्य किया। 14 वर्षों तक अनुसूचित क्षेत्र में कार्य करते रहे इसके बाद योग्यता बढ़ाए जाने पर डॉक्टर हेला को मंदिर हसौद आरंग ब्लॉक में चिकित्सा अधिकारी पर सेवाओं का अवसर दिया गया। तदुपरांत चिकित्सा अधिकारी विशेषज्ञ बैकुंठपुर जिला कोरिया में पदस्थ हुए। यहां पर नाक, कान, गला विशेषज्ञ के रूप में पदस्थापना मिली सेवाओं को देखते हुए उन्हें वर्ष 2022 में स्थानांतरण देकर गरियाबंद जिला अस्पताल में भेजा गया जहां पर 1 मई 2024 को सिविल सर्जन कम चीफ हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट के पद पर नियुक्त किया गया। डॉक्टर हेला की कार्य शैली से गरियाबंद जिला अस्पताल के स्टाफ संतुष्ट रहे और आने वाले मरीजों को भी सेवाओं का उत्तम लाभ मिला। नियुक्ति के उपरांत डॉक्टर हेला ने जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर परिना फारुकी जिला चिकित्सा अधिकारी को कलेक्टर निरीक्षण के दौरान पोशाक को लेकर पालन करने के लिए निर्देशित करते हैं, क्योंकि डॉक्टर फारूकी निरीक्षण के दौरान जिला अस्पताल की पोशाक में उपस्थित नहीं थी। यही बात डॉक्टर फारूकी को नागवार गुजरी उन्होंने मुद्दा बना लिया। उन्होंने डॉक्टर के खिलाफ जिला पंचायत गरियाबंद में और सीएमओ पर शिकायत पेश कर दी। उन्होंने शिकायत में कहा की डॉक्टर हेला के द्वारा बार-बार चैंबर बुलाकर अनुचित व्यवहार किया जाता है, ड्रेस कोड को लेकर बातें कही जाती है। इससेे उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंची है और खराब व्यवहार से काफी परेशान है। इस पर जिला पंचायत गरियाबंद सीएमओ ने 4 नवंबर 2024 को एक नोटिस जारी कर डॉक्टर हेला को जवाब तलब के लिए बुलाया, जहां सीएमओ के समक्ष उपस्थित होकर डॉक्टर हेला ने अपना पक्ष रखते हैं विस्तार से जानकारी दी। इस कार्रवाई के बाद सीएमओ द्वारा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन को रिपोर्ट भेजी जाती है इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग निलंबित करने का आदेश प्रसारित कर देता है। जबकि स्थितियां इसके विपरीत हंै नियम अनुसार रिपोर्ट के बाद विभाग को एक कमेटी गठित कर विभागीय जांच करना चाहिए था जो नहीं कराई गई । बिना किसी पूछताछ के और नोटिस जारी किए डॉक्टर हेला को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग निलंबित करने का आदेश प्रसारित कर देता है। यहां तक की डॉक्टर हेला को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से पक्ष रखने के लिए कोई अवसर नहीं दिया जाता और सीधे कार्रवाई कर दी जाती है। डॉक्टर हेला का कहना है कि उनके कक्ष में कैमरे लगे हैं अगर किसी तरह का अनुचित व्यवहार हुआ है तो उसकी रिकॉर्डिंग मौजूद होना चाहिए जिसकी जांच नहीं की गई और कार्रवाई हुई है जो पूर्णत: अनुचित प्रतीत होती है। उन्होंने बताया कि यह ऑडि अल्ट्रम-पार्टम के सिद्धांत का उल्लंघन है। उनका यहां तक कहना है कि जिला पंचायत सीएमओ की कार्रवाई पूर्णतम एक पक्षीय लग रही है। मात्र एक शिकायत जो जिला चिकित्सा अधिकारी पारिना फारुकी द्वारा लगाई जाती है और रिपोर्ट तैयार की जाती है, के आधार पर कार्रवाई की गई है। यह ऐसा प्रतीत होता है कि पहले से ही यह तय कर लिया गया था कि डॉक्टर हेला को निलंबित करने का सोची-समझी साजिश है। बहरहाल उन्होंने निलंबन को अनुचित बताया है और शासन से एक मार्मिक अपील के माध्यम से कहा है कि हाई कोर्ट के आदेश पर तुरंत संज्ञान में लेकर कार्रवाई करें ताकि न्याय तंत्र पर भरोसा बना रहे और उन्हें न्याय मिल सके जबकि उन्होंने पूरी ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। यही नहीं अपनी जवाब प्रस्तुती में रिटायरमेंट को भी पक्ष रखे हैं, जिस पर शासन को उचित व्यवहार करना चाहिए, ताकि एक अनुसूचित जाति वर्ग के अधिकारी के साथ न्याय हो सके।