योग की उपादेयता पर अग्रसेन महाविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी

रायपुर, 23 मई। अग्रसेन महाविद्यालय में योग विभाग तथा आई.क्यू.ए.सी द्वारा संयुक्त रूप से आधुनिक जीवन शैली और योग की उपादेयता विषय पर आयोजित तीन-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आज संपन्न हो गई। संगोष्ठी के अंतिम दिन के सत्र का शुभारम्भ श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के डॉ. केवलराम चक्रधारी तथा महाराजाधिराज अग्रसेन शिक्षण समिति के अध्यक्ष एवं महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ वी.के. अग्रवाल तथा जैतुसाव मठ के न्यासी सदस्य महेंद्र अग्रवाल की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न हुआ। श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के डॉ. केवलराम चक्रधारी ने कहा कि वर्तमान जीवनशैली आधुनिक रहन-सहन को अपनाने के कारण अनुशासनहीन हो गई है. इसी वजह से शरीर और मन के स्तर पर अनेक प्रकार की बीमारियाँ होने लगी हैं. ऐसे में योग को जीवनचर्या में शामिल कर हम इस खतरे से खुद को बचा सकते हैं. उन्होंने योग के आध्यात्मिक पहलुओं की भी चर्चा की। इस मौके पर श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय में योग विभाग के प्राध्यापक डॉ कप्तान सिंह ने कहा कि योग हमारे देश में प्राचीन काल से जीवन पद्धति के रूप में प्रचलित रहा है. लेकिन जैसे-जैसे तकनीकी आविष्कारों के कारण जीवन की व्यवस्थाएं सरल होती गई, मनुष्य योग-अभ्यास से विमुख होता चला गया।

योग की उपादेयता पर अग्रसेन महाविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी
रायपुर, 23 मई। अग्रसेन महाविद्यालय में योग विभाग तथा आई.क्यू.ए.सी द्वारा संयुक्त रूप से आधुनिक जीवन शैली और योग की उपादेयता विषय पर आयोजित तीन-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आज संपन्न हो गई। संगोष्ठी के अंतिम दिन के सत्र का शुभारम्भ श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के डॉ. केवलराम चक्रधारी तथा महाराजाधिराज अग्रसेन शिक्षण समिति के अध्यक्ष एवं महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ वी.के. अग्रवाल तथा जैतुसाव मठ के न्यासी सदस्य महेंद्र अग्रवाल की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न हुआ। श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के डॉ. केवलराम चक्रधारी ने कहा कि वर्तमान जीवनशैली आधुनिक रहन-सहन को अपनाने के कारण अनुशासनहीन हो गई है. इसी वजह से शरीर और मन के स्तर पर अनेक प्रकार की बीमारियाँ होने लगी हैं. ऐसे में योग को जीवनचर्या में शामिल कर हम इस खतरे से खुद को बचा सकते हैं. उन्होंने योग के आध्यात्मिक पहलुओं की भी चर्चा की। इस मौके पर श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय में योग विभाग के प्राध्यापक डॉ कप्तान सिंह ने कहा कि योग हमारे देश में प्राचीन काल से जीवन पद्धति के रूप में प्रचलित रहा है. लेकिन जैसे-जैसे तकनीकी आविष्कारों के कारण जीवन की व्यवस्थाएं सरल होती गई, मनुष्य योग-अभ्यास से विमुख होता चला गया।