राइस मिल की राखड़ और धुएं से त्रस्त लोग, बीमारी और प्रदूषण से बढ़ी परेशानी

छत्तीसगढ़ संवाददाता कोंडागांव, 12 जनवरी। जिला मुख्यालय कोण्डागांव के महात्मा गांधी वार्ड में संचालित माजीसा राइस मिल ने आसपास के वार्डों और नेशनल हाईवे 30 से गुजरने वाले लोगों की जिंदगी दूभर कर दी है। मिल से निकलने वाले धुएं और राखड़ के कारण हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि स्थानीय लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। छोटे बच्चों और बुजुर्गों में त्वचा रोग, सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। महात्मा गांधी वार्ड के निवासी बताते हैं कि मिल से लगातार निकलने वाले राखड़ और धुएं ने उनके जीवन पर गहरा असर डाला है। घरों के आंगन, पेड़-पौधे, यहां तक कि पीने का पानी भी इस धूल से ढक जाता है। घरों में हर चीज काली और गंदी दिखने लगी है। बच्चों की त्वचा पर खुजली और जलन की समस्या इतनी बढ़ गई है कि इलाज कराना भी मुश्किल हो रहा है। नेशनल हाईवे 30 से गुजरने वाले राहगीरों की स्थिति भी कम भयावह नहीं है। यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों का कहना है कि धूल के कारण आंखों में तेज जलन होती है। कई बार दवाओं का सहारा लेना पड़ता है।स्थानीय निवासियों ने दावा किया है कि इस समस्या को लेकर उन्होंने कई बार जिला प्रशासन को शिकायतें दीं। पहले कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने मिल को सील कर दिया था, लेकिन चार महीने बाद यह दोबारा चालू हो गई। मिल के संचालन में प्रदूषण रोकने के किसी भी उपाय का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, जिससे समस्या गंभीर बनी हुई है। इस मामले पर कोण्डागांव के अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) अजय उरांव ने कहा, स्थानीय निवासियों की शिकायत पर पूर्व में मिल का निरीक्षण कर उसे तात्कालिक एसडीएम के द्वारा सील किया गया था। हालांकि, माजीसा राइस मिल के संचालक ने सिविल न्यायालय में अपील की, जहां से मिल को अस्थायी रूप से संचालन की अनुमति दी गई है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यदि वर्तमान में राखड़ और धुएं के कारण समस्या हो रही है, तो इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब यह समस्या बर्दाश्त के बाहर हो चुकी है। लगातार बढ़ते प्रदूषण से लोगों की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है। प्रशासन से मांग है कि जल्द से जल्द मिल को बंद करवाकर प्रभावी कदम उठाए जाएं। यह समस्या सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरण और जीवन स्तर पर भी इसका गहरा असर पड़ रहा है। राखड़ और धुएं से प्रभावित लोगों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। प्रशासन की निष्क्रियता ने लोगों के धैर्य की परीक्षा ले ली है।

राइस मिल की राखड़ और धुएं से त्रस्त लोग, बीमारी और प्रदूषण से बढ़ी परेशानी
छत्तीसगढ़ संवाददाता कोंडागांव, 12 जनवरी। जिला मुख्यालय कोण्डागांव के महात्मा गांधी वार्ड में संचालित माजीसा राइस मिल ने आसपास के वार्डों और नेशनल हाईवे 30 से गुजरने वाले लोगों की जिंदगी दूभर कर दी है। मिल से निकलने वाले धुएं और राखड़ के कारण हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि स्थानीय लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। छोटे बच्चों और बुजुर्गों में त्वचा रोग, सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। महात्मा गांधी वार्ड के निवासी बताते हैं कि मिल से लगातार निकलने वाले राखड़ और धुएं ने उनके जीवन पर गहरा असर डाला है। घरों के आंगन, पेड़-पौधे, यहां तक कि पीने का पानी भी इस धूल से ढक जाता है। घरों में हर चीज काली और गंदी दिखने लगी है। बच्चों की त्वचा पर खुजली और जलन की समस्या इतनी बढ़ गई है कि इलाज कराना भी मुश्किल हो रहा है। नेशनल हाईवे 30 से गुजरने वाले राहगीरों की स्थिति भी कम भयावह नहीं है। यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों का कहना है कि धूल के कारण आंखों में तेज जलन होती है। कई बार दवाओं का सहारा लेना पड़ता है।स्थानीय निवासियों ने दावा किया है कि इस समस्या को लेकर उन्होंने कई बार जिला प्रशासन को शिकायतें दीं। पहले कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने मिल को सील कर दिया था, लेकिन चार महीने बाद यह दोबारा चालू हो गई। मिल के संचालन में प्रदूषण रोकने के किसी भी उपाय का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, जिससे समस्या गंभीर बनी हुई है। इस मामले पर कोण्डागांव के अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) अजय उरांव ने कहा, स्थानीय निवासियों की शिकायत पर पूर्व में मिल का निरीक्षण कर उसे तात्कालिक एसडीएम के द्वारा सील किया गया था। हालांकि, माजीसा राइस मिल के संचालक ने सिविल न्यायालय में अपील की, जहां से मिल को अस्थायी रूप से संचालन की अनुमति दी गई है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यदि वर्तमान में राखड़ और धुएं के कारण समस्या हो रही है, तो इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब यह समस्या बर्दाश्त के बाहर हो चुकी है। लगातार बढ़ते प्रदूषण से लोगों की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है। प्रशासन से मांग है कि जल्द से जल्द मिल को बंद करवाकर प्रभावी कदम उठाए जाएं। यह समस्या सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरण और जीवन स्तर पर भी इसका गहरा असर पड़ रहा है। राखड़ और धुएं से प्रभावित लोगों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। प्रशासन की निष्क्रियता ने लोगों के धैर्य की परीक्षा ले ली है।