श्योपुर में दो माह से यूरिया-डीएपी खाद की किल्लत बरकरार:किसानों का आरोप- टोकन लेने के बाद भी नहीं मिल रही, जबकि ब्लैक में बेची जा रही
श्योपुर में दो माह से यूरिया-डीएपी खाद की किल्लत बरकरार:किसानों का आरोप- टोकन लेने के बाद भी नहीं मिल रही, जबकि ब्लैक में बेची जा रही
श्योपुर जिले में करीब दो महीने से यूरिया और डीएपी खाद की किल्लत बनी हुई है। स्थिति यह है कड़ाके की ठंड में किसानों को सुबह 5 बजे से ही खाद बिक्री केंद्रों के बाहर लंबी लाइन लगानी पड़ रही है। 24 घंटे में किसी को महज टोकन मिल पा रहा है तो किसी को दो से तीन दिन बाद खाद मिल रही है। कई किसान तो ऐसे हैं जो 70 से 80 किमी दूर से आकर खाद के लिए लाइनों में लगने को मजबूर हैं। फिर भी उन्हें कभी 5 कट्टे तो कभी 10 कट्टे खाद मिल पाती है जो उनकी खेती-बाड़ी के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे हालात में किसान भारी परेशान हैं और वह ब्लैक में खाद की बिक्री होने के आरोप लगा रहे हैं। सोमवार सुबह 5 बजे से ही शहर के धान मिल खाद बिक्री केंद्र पर किसानों की लंबी-लंबी लाइन लग गई। 10 बजे खाद बिक्री केंद्र की खिड़की तो खुली किसान अपनी परेशानी को भूलकर खाद के लिए लाइन में डटकर खड़े हो गए। हैरान कर देने वाली बात यह है कि घंटों मशक्कत करने के बाद किसानों को टोकन तो मिले, लेकिन खाद फिर भी नहीं दी गई। किसानों का आरोप है कि तीन दिन से टोकन के लिए परेशान होते रहे और अब टोकन मिल गया है तो उन्हें कहा जा रहा है कि शुक्रवार के जो टोकन शेष रह गए थे, पहले उन्हें खाद दी जाएगी। इसके बाद तुम्हारा नंबर आएगा। किसानों को कहना है कि जब उनका नंबर आएगा, तब भी उन्हें पर्याप्त खाद नहीं दी जाएगी। उन्हें कभी 5 कट्टे खाद दी जाती है तो कभी 10 कट्टे, जबकि उनकी जरूरत 40 और 50 कट्टे की है। किसानों का आरोप है कि प्राइवेट खाद बिक्री केंद्रों पर 100 रुपए ज्यादा लेकर ब्लैक में खाद बेची जा रही है। अधिकारियों को भी इसकी जानकारी है, लेकिन कोई भी ध्यान नहीं दे रहा। खाद के बिना फसलों को नुकसान हो रहा है। तुलसेफ़ गांव के किसान गिरिराज का कहना है कि सुबह 5 बजे से कड़ाके की ठंड में लाइन में लगे हैं। इससे पहले भी लाइन में लगे रहे। नंबर आने के बाद टोकन मिलेगा। खाद के लिए फिर घंटों इंतजार करना पड़ेगा। ब्लैक में खाद खूब बिक रही है। यहां पर्याप्त खाद नहीं दी जाती। कभी पांच तो कभी 10 कट्टे खाद मिलती है। रघुनाथपुर के किसान करतार सिंह ने बताया कि 80 किलोमीटर दूर से खाद लेने आया हूं। चार दिन से परेशान हूं, लेकिन खाद नहीं मिली। रघुनाथपुर में तो खाद ही नहीं दी जा रही। ढोढर में ब्लैक में खाद बेची जा रही है। जिला विपणन अधिकारी सत्येंद्र सिंह चौहान का कहना है कि यूरिया और डीएपी खाद की कोई किल्लत नहीं है। किसानों को लगातार यूरिया और डीएपी वितरण किया जा रहा है। भीड़ अधिक रहती है। इस वजह से लाइन लगना तो स्वाभाविक है।
श्योपुर जिले में करीब दो महीने से यूरिया और डीएपी खाद की किल्लत बनी हुई है। स्थिति यह है कड़ाके की ठंड में किसानों को सुबह 5 बजे से ही खाद बिक्री केंद्रों के बाहर लंबी लाइन लगानी पड़ रही है। 24 घंटे में किसी को महज टोकन मिल पा रहा है तो किसी को दो से तीन दिन बाद खाद मिल रही है। कई किसान तो ऐसे हैं जो 70 से 80 किमी दूर से आकर खाद के लिए लाइनों में लगने को मजबूर हैं। फिर भी उन्हें कभी 5 कट्टे तो कभी 10 कट्टे खाद मिल पाती है जो उनकी खेती-बाड़ी के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे हालात में किसान भारी परेशान हैं और वह ब्लैक में खाद की बिक्री होने के आरोप लगा रहे हैं। सोमवार सुबह 5 बजे से ही शहर के धान मिल खाद बिक्री केंद्र पर किसानों की लंबी-लंबी लाइन लग गई। 10 बजे खाद बिक्री केंद्र की खिड़की तो खुली किसान अपनी परेशानी को भूलकर खाद के लिए लाइन में डटकर खड़े हो गए। हैरान कर देने वाली बात यह है कि घंटों मशक्कत करने के बाद किसानों को टोकन तो मिले, लेकिन खाद फिर भी नहीं दी गई। किसानों का आरोप है कि तीन दिन से टोकन के लिए परेशान होते रहे और अब टोकन मिल गया है तो उन्हें कहा जा रहा है कि शुक्रवार के जो टोकन शेष रह गए थे, पहले उन्हें खाद दी जाएगी। इसके बाद तुम्हारा नंबर आएगा। किसानों को कहना है कि जब उनका नंबर आएगा, तब भी उन्हें पर्याप्त खाद नहीं दी जाएगी। उन्हें कभी 5 कट्टे खाद दी जाती है तो कभी 10 कट्टे, जबकि उनकी जरूरत 40 और 50 कट्टे की है। किसानों का आरोप है कि प्राइवेट खाद बिक्री केंद्रों पर 100 रुपए ज्यादा लेकर ब्लैक में खाद बेची जा रही है। अधिकारियों को भी इसकी जानकारी है, लेकिन कोई भी ध्यान नहीं दे रहा। खाद के बिना फसलों को नुकसान हो रहा है। तुलसेफ़ गांव के किसान गिरिराज का कहना है कि सुबह 5 बजे से कड़ाके की ठंड में लाइन में लगे हैं। इससे पहले भी लाइन में लगे रहे। नंबर आने के बाद टोकन मिलेगा। खाद के लिए फिर घंटों इंतजार करना पड़ेगा। ब्लैक में खाद खूब बिक रही है। यहां पर्याप्त खाद नहीं दी जाती। कभी पांच तो कभी 10 कट्टे खाद मिलती है। रघुनाथपुर के किसान करतार सिंह ने बताया कि 80 किलोमीटर दूर से खाद लेने आया हूं। चार दिन से परेशान हूं, लेकिन खाद नहीं मिली। रघुनाथपुर में तो खाद ही नहीं दी जा रही। ढोढर में ब्लैक में खाद बेची जा रही है। जिला विपणन अधिकारी सत्येंद्र सिंह चौहान का कहना है कि यूरिया और डीएपी खाद की कोई किल्लत नहीं है। किसानों को लगातार यूरिया और डीएपी वितरण किया जा रहा है। भीड़ अधिक रहती है। इस वजह से लाइन लगना तो स्वाभाविक है।