सीमा अंतिल पुनिया: 17 की उम्र में छिना मेडल, फिर चार बार ओलंपिक में किया देश का प्रतिनिधित्व
सीमा अंतिल पुनिया: 17 की उम्र में छिना मेडल, फिर चार बार ओलंपिक में किया देश का प्रतिनिधित्व
नई दिल्ली, 26 जुलाई । भारत की डिस्कस थ्रोअर सीमा अंतिल पुनिया ने चार बार ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया हैं, लेकिन उनके लिए यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा। वह लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल रही हैं। 27 जुलाई 1983 को सोनीपत में जन्मीं सीमा पुनिया खिलाड़ियों के परिवार से आती हैं। उनके भाई आनंदपाल सिंह कुश्ती खिलाड़ी रहे, जबकि अमितपाल सिंह ने हॉकी में नाम कमाया। इस पारिवारिक बैकग्राउंड के बीच, सीमा महज 11 साल की उम्र में एथलेटिक्स की दुनिया में कदम रख चुकी थीं। यूं तो, सीमा को दौड़ने और कूदने का शौक था। उन्हें हर्डल्स और लॉन्ग जंप में रुचि थी, लेकिन कोच की सलाह पर सीमा अंतिल पुनिया ने डिस्कस थ्रो में करियर बनाने का फैसला किया। महज 17 साल की उम्र में सीमा पुनिया ने वर्ल्ड जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत लिया था, लेकिन डोपिंग विवाद में फंसने के बाद उनसे पदक छिन गया। तब सीमा पुनिया ने जो ड्रग ली थी, उसे जुकाम के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, तब आईएएएफ के नियमों के अनुसार सीमा पुनिया को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी। वह टूटी नहीं।
नई दिल्ली, 26 जुलाई । भारत की डिस्कस थ्रोअर सीमा अंतिल पुनिया ने चार बार ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया हैं, लेकिन उनके लिए यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा। वह लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल रही हैं। 27 जुलाई 1983 को सोनीपत में जन्मीं सीमा पुनिया खिलाड़ियों के परिवार से आती हैं। उनके भाई आनंदपाल सिंह कुश्ती खिलाड़ी रहे, जबकि अमितपाल सिंह ने हॉकी में नाम कमाया। इस पारिवारिक बैकग्राउंड के बीच, सीमा महज 11 साल की उम्र में एथलेटिक्स की दुनिया में कदम रख चुकी थीं। यूं तो, सीमा को दौड़ने और कूदने का शौक था। उन्हें हर्डल्स और लॉन्ग जंप में रुचि थी, लेकिन कोच की सलाह पर सीमा अंतिल पुनिया ने डिस्कस थ्रो में करियर बनाने का फैसला किया। महज 17 साल की उम्र में सीमा पुनिया ने वर्ल्ड जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत लिया था, लेकिन डोपिंग विवाद में फंसने के बाद उनसे पदक छिन गया। तब सीमा पुनिया ने जो ड्रग ली थी, उसे जुकाम के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, तब आईएएएफ के नियमों के अनुसार सीमा पुनिया को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी। वह टूटी नहीं।