सावन का पहला सोमवार: शिवालयों पर लगी भक्तों की कतार:भक्त बोली-11 साल पहले बाबा के दरबार में रिश्ता हुआ था, मंदिरों के बाहर लगा मेला
सावन का पहला सोमवार: शिवालयों पर लगी भक्तों की कतार:भक्त बोली-11 साल पहले बाबा के दरबार में रिश्ता हुआ था, मंदिरों के बाहर लगा मेला
ग्वालियर में सावन के पहले सोमवार को शहर शिवमय हो गया है। मंदिरों में रात 12 बजे के बाद से ही भक्तों की लाइन लगी हुई है। शहर के प्रमुख मंदिर अचलेश्वर महादेव पर अचलनाथ के दर्शन के लिए लोगों की सड़कों पर लाइन लगी है। बाबा के भक्त बिल्व पत्र, फूल, दूध, दही, घी व जल से भगवान का अभिषेक कर मन्नत मांग रहे हैं। ग्वालियर में अचलनाथ (अचलेश्वर मंदिर), कोटेश्वर महादेव, हजारेश्वर व गुप्तेश्वर मंदिर पर रात 12 बजे ही भक्तों के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए थे। रात से शिव भक्तों की कतारें सड़कों पर दिखाई दे रही हैं। मोटे महादेव पर एक महिला भक्त ने बताया कि 11 साल पहले बाबा के दर्शन के दौरान जीवनसाथी मिला था। शादी को आज 11 साल हो गए हैं। हम खुश है बाबा की कृपा से ऐसे ही जीवन चलता रहेगा। प्रशासन ने अचलेश्वर, कोटेश्वर व गुप्तेश्वर मंदिर के बाहर ट्रैफिक संभालने के लिए अतिरिक्त जवान तैनात किए हैं। साथ ही मंदिरों में सजावट भी की गई। सभी मंदिरों में भक्त बिना परेशानी के पूजा-अर्चना कर सकें, इसके लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। अचलेश्वर पर दर्शन के लिए तीन द्वार बनाए
श्री अचलनाथ का स्वयंभू शिवलिंग लश्कर में अचलेश्वर मार्ग पर स्थित है। इनके प्राकट्य की अनेक किवदंतियां हैं। राजमार्ग के बीच भगवान अचलनाथ का शिवलिंग एक कच्चे मिट्टी के चबूतरे पर स्थित था, उस जमाने में यह क्षेत्र वीरान वन्य क्षेत्र था। इसके बाद जियाजी राव सिंधिया ने मंदिर बनवाया। सावन के पहले सोमवार को रात से ही मंदिर के पट खोल दिए गए थे। सबसे पहले कांवड़ लेकर आए कांवडियों के जल से भगवान अचलनाथ का अभिषेक किया गया है। इसके बाद आम भक्तों के लिए मंदिर के पट खोले गए हैं। अचलनाथ में भक्तों की सुविधा के लिए तीन द्वार से भक्त दर्शन कर रहे हैं। पहला दरवाजा नंदी द्वारा, दूसरा एमएलबी कॉलेज द्वार और तीसरा एमपी नगर द्वार है। सोमवार सुबह यह नजारा था कि यह सड़कों पर दूर-दूर तक बाबा के दर्शन करने वालों की लाइन लगी थी। हर बार की तरह महिला और पुरुषों के लिए दर्शन की अलग-अलग लाइन लगी थीं। कोटेश्वर महादेव मंदिर पर भक्तों का तांता किले की तलहटी में इस मंदिर का निर्माण महायोद्धा श्रीनाथ महादजी शिन्दे महाराज द्वारा करवाया गया था। इसके 100 वर्षों बाद इसका जीर्णोद्धार एवं नवीनीकरण जयाजी राव शिन्दे द्वारा किया गया। कोटेश्वर में स्थापित शिवलिंग ग्वालियर दुर्ग पर स्थित शिवमंदिर में स्थापित था। यह तोमर वंश के आराध्य एवं पूजा का केंद्र था। बाद में ग्वालियर दुर्ग मुगलों के अधीन आया। औरंगजेब के शासन काल में इस देवस्थान को तोड़ कर तहस नहस कर शिवलिंग को किले से नीचे परकोटे की खाई में फेंक दिया गया। वर्तमान में मंदिर की देखरेख सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट द्वारा की जाती है। सोमवार को श्रावण मास के पहले सोमवार पर यहां मेला लगा है। दूर-दूर से लोग यहां पूजा अर्चना करने आ रहे हैं। यहां सोमवार सुबह से शिव भक्तों की दूर-दूर तक लाइन लगी है। गुप्तेश्वर मंदिर पर पहुंचते हैं कांवड़िए
गुप्तेश्वर शिवलिंग 300-400 वर्ष पुराना है। तिघरा रोड पर जहां मंदिर स्थापित है, वह जगह बरागांव अमरा पहाड़ी के नाम से जानी जाती थी। शिवरात्रि पर यहां से निकलने वाली भगवान शिव की बारात बहुत दर्शनीय होती है। यहां हर साल हजारों शिव भक्त पहुंचते हैं। सावन मास का पहला सोमवार है। रात से ही गुप्तेश्वर मंदिर के आसपास भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है। यहां कावडिए़ कांवड़ लेकर पहुंचते हैं। सैकड़ों सीढ़ियां चढ़कर भगवान गुप्तेश्वर का जलाभिषेक करते हैं। हजारेश्वर या मोटे महादेव
ग्वालियर के चर्चित मंदिर में गैंडेवाली सड़क स्थित हजारेश्वर शिव मंदिर पर सुबह से भक्तों की भीड़ है। इन्हें मोटे महादेव के नाम से भी जाना जाता है। कई छोटी-छोटी पिंडियों से बनी यह विशाल पिंडी ग्वालियर में सबसे बड़ी व ऊंचा शिवलिंग है। यहां भक्तों के लिए मंदिर के पट रात 12 बजे से खोल दिए गए हैं। रात से ही भक्त मंदिर में दर्शनों के लिए उमड़ रहे हैं। 11 साल पहले बाबा ने कराया था रिश्ता
महिला विभा भारती ने दैनिक भास्कर को बताया कि मोटे महादेव मंदिर पर 11 साल पहले उन्हें उनका जीवन साथी पहली बार मिला था। यहां से उनका रिश्ता तय हुआ और फिर शादी। अब 11 लगभग शादी को हो गए हैं। हम काफी खुश हैं और मोटे महादेव की कृपा हम पर है। जय महादेव। मंदिरों के बाहर लगा है मेला
शहर के बड़े शिव मंदिर जैसे अचलेश्वर, कोटेश्वर, गुप्तेश्वर व हजारेश्वर मंदिरों के बाहर सोमवार सुबह से उत्साह का माहौल है। मंदिर के बाहर मेला सा लग गया है। जिसमें खेल खिलौने वाले भी दुकान सजाकर बैठे हैं। फूल, बेलपत्र, दूध-दही की लगी दुकानें
शिव मंदिरों के बाहर शिव पूजा में लगने वाली सामग्री जैसे बेल पत्र, फूल-माला, दूध, दही सहित अन्य प्रसाद की दुकानें सजी हुई हैं। लोग सामग्री खरीदकर भोले वाला का अभिषेक कर मन्नत मांग रहे हैं।
ग्वालियर में सावन के पहले सोमवार को शहर शिवमय हो गया है। मंदिरों में रात 12 बजे के बाद से ही भक्तों की लाइन लगी हुई है। शहर के प्रमुख मंदिर अचलेश्वर महादेव पर अचलनाथ के दर्शन के लिए लोगों की सड़कों पर लाइन लगी है। बाबा के भक्त बिल्व पत्र, फूल, दूध, दही, घी व जल से भगवान का अभिषेक कर मन्नत मांग रहे हैं। ग्वालियर में अचलनाथ (अचलेश्वर मंदिर), कोटेश्वर महादेव, हजारेश्वर व गुप्तेश्वर मंदिर पर रात 12 बजे ही भक्तों के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए थे। रात से शिव भक्तों की कतारें सड़कों पर दिखाई दे रही हैं। मोटे महादेव पर एक महिला भक्त ने बताया कि 11 साल पहले बाबा के दर्शन के दौरान जीवनसाथी मिला था। शादी को आज 11 साल हो गए हैं। हम खुश है बाबा की कृपा से ऐसे ही जीवन चलता रहेगा। प्रशासन ने अचलेश्वर, कोटेश्वर व गुप्तेश्वर मंदिर के बाहर ट्रैफिक संभालने के लिए अतिरिक्त जवान तैनात किए हैं। साथ ही मंदिरों में सजावट भी की गई। सभी मंदिरों में भक्त बिना परेशानी के पूजा-अर्चना कर सकें, इसके लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। अचलेश्वर पर दर्शन के लिए तीन द्वार बनाए
श्री अचलनाथ का स्वयंभू शिवलिंग लश्कर में अचलेश्वर मार्ग पर स्थित है। इनके प्राकट्य की अनेक किवदंतियां हैं। राजमार्ग के बीच भगवान अचलनाथ का शिवलिंग एक कच्चे मिट्टी के चबूतरे पर स्थित था, उस जमाने में यह क्षेत्र वीरान वन्य क्षेत्र था। इसके बाद जियाजी राव सिंधिया ने मंदिर बनवाया। सावन के पहले सोमवार को रात से ही मंदिर के पट खोल दिए गए थे। सबसे पहले कांवड़ लेकर आए कांवडियों के जल से भगवान अचलनाथ का अभिषेक किया गया है। इसके बाद आम भक्तों के लिए मंदिर के पट खोले गए हैं। अचलनाथ में भक्तों की सुविधा के लिए तीन द्वार से भक्त दर्शन कर रहे हैं। पहला दरवाजा नंदी द्वारा, दूसरा एमएलबी कॉलेज द्वार और तीसरा एमपी नगर द्वार है। सोमवार सुबह यह नजारा था कि यह सड़कों पर दूर-दूर तक बाबा के दर्शन करने वालों की लाइन लगी थी। हर बार की तरह महिला और पुरुषों के लिए दर्शन की अलग-अलग लाइन लगी थीं। कोटेश्वर महादेव मंदिर पर भक्तों का तांता किले की तलहटी में इस मंदिर का निर्माण महायोद्धा श्रीनाथ महादजी शिन्दे महाराज द्वारा करवाया गया था। इसके 100 वर्षों बाद इसका जीर्णोद्धार एवं नवीनीकरण जयाजी राव शिन्दे द्वारा किया गया। कोटेश्वर में स्थापित शिवलिंग ग्वालियर दुर्ग पर स्थित शिवमंदिर में स्थापित था। यह तोमर वंश के आराध्य एवं पूजा का केंद्र था। बाद में ग्वालियर दुर्ग मुगलों के अधीन आया। औरंगजेब के शासन काल में इस देवस्थान को तोड़ कर तहस नहस कर शिवलिंग को किले से नीचे परकोटे की खाई में फेंक दिया गया। वर्तमान में मंदिर की देखरेख सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट द्वारा की जाती है। सोमवार को श्रावण मास के पहले सोमवार पर यहां मेला लगा है। दूर-दूर से लोग यहां पूजा अर्चना करने आ रहे हैं। यहां सोमवार सुबह से शिव भक्तों की दूर-दूर तक लाइन लगी है। गुप्तेश्वर मंदिर पर पहुंचते हैं कांवड़िए
गुप्तेश्वर शिवलिंग 300-400 वर्ष पुराना है। तिघरा रोड पर जहां मंदिर स्थापित है, वह जगह बरागांव अमरा पहाड़ी के नाम से जानी जाती थी। शिवरात्रि पर यहां से निकलने वाली भगवान शिव की बारात बहुत दर्शनीय होती है। यहां हर साल हजारों शिव भक्त पहुंचते हैं। सावन मास का पहला सोमवार है। रात से ही गुप्तेश्वर मंदिर के आसपास भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है। यहां कावडिए़ कांवड़ लेकर पहुंचते हैं। सैकड़ों सीढ़ियां चढ़कर भगवान गुप्तेश्वर का जलाभिषेक करते हैं। हजारेश्वर या मोटे महादेव
ग्वालियर के चर्चित मंदिर में गैंडेवाली सड़क स्थित हजारेश्वर शिव मंदिर पर सुबह से भक्तों की भीड़ है। इन्हें मोटे महादेव के नाम से भी जाना जाता है। कई छोटी-छोटी पिंडियों से बनी यह विशाल पिंडी ग्वालियर में सबसे बड़ी व ऊंचा शिवलिंग है। यहां भक्तों के लिए मंदिर के पट रात 12 बजे से खोल दिए गए हैं। रात से ही भक्त मंदिर में दर्शनों के लिए उमड़ रहे हैं। 11 साल पहले बाबा ने कराया था रिश्ता
महिला विभा भारती ने दैनिक भास्कर को बताया कि मोटे महादेव मंदिर पर 11 साल पहले उन्हें उनका जीवन साथी पहली बार मिला था। यहां से उनका रिश्ता तय हुआ और फिर शादी। अब 11 लगभग शादी को हो गए हैं। हम काफी खुश हैं और मोटे महादेव की कृपा हम पर है। जय महादेव। मंदिरों के बाहर लगा है मेला
शहर के बड़े शिव मंदिर जैसे अचलेश्वर, कोटेश्वर, गुप्तेश्वर व हजारेश्वर मंदिरों के बाहर सोमवार सुबह से उत्साह का माहौल है। मंदिर के बाहर मेला सा लग गया है। जिसमें खेल खिलौने वाले भी दुकान सजाकर बैठे हैं। फूल, बेलपत्र, दूध-दही की लगी दुकानें
शिव मंदिरों के बाहर शिव पूजा में लगने वाली सामग्री जैसे बेल पत्र, फूल-माला, दूध, दही सहित अन्य प्रसाद की दुकानें सजी हुई हैं। लोग सामग्री खरीदकर भोले वाला का अभिषेक कर मन्नत मांग रहे हैं।