आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और अमेरिका एकजुट: अमेरिकी राजदूत

मुंबई, 9 जनवरी। भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मामले में एकजुट हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों को बहुआयामी बताते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी स्वप्न और भारतीय स्वप्न एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। गार्सेटी ने भारत में अपने कार्यकाल को अत्यंत असाधारण बताया और कहा कि भारत ने उनका दिल जीत लिया। यहां एक कार्यक्रम से इतर चुनिंदा मीडिया प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में अनंत संभावनाएं हैं। भारत में गार्सेटी का अमेरिकी राजदूत के रूप में कार्यकाल जल्द ही समाप्त होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में उनका कार्यकाल उनके जीवन का सबसे असाधारण कार्य रहा। गार्सेटी ने कहा, राष्ट्रपति जो. बाइडन ने कहा था कि भारत उनके लिए दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण देश है और यदि आप भविष्य पर काम करना चाहते हैं, तो आपको भारत आने की जरूरत है। किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने कभी ऐसा नहीं कहा है। दोनों देशों के बीच संबंधों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, मैं दुनिया में भारत की भूमिका का स्वागत करता हूं - चाहे वह यूक्रेन-रूस संघर्ष में शांति हो, हिंद महासागर में गश्त हो। हम भारत की प्रगति देखना पसंद करते हैं। यह एक मजबूत, गौरवान्वित भारत है जिसे आधुनिक दुनिया ने कभी नहीं देखा है। गार्सेटी ने यहां पीस एंड द रोल ऑफ द यूएस- इंडिया डिफेंस एंड सिक्योरिटी पार्टनरशिप विषय पर एक सभा को भी संबोधित किया। उन्होंने इस दौरान अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने और सहयोग बढ़ाने पर संतोष व्यक्त किया। गार्सेटी ने कहा कि अमेरिकी स्वप्न और भारतीय स्वप्न एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, दोनों देशों के बीच संबंध बहुआयामी हैं और दोनों की साझेदारी की कोई सीमा नहीं है। उन्होंने आतंकवाद के कारण अनेक निर्दोष लोगों की मौत पर चिंता जताई। गार्सेटी ने कहा, दोनों देशों को लश्कर, जैश, आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से खतरा है। इन आतंकवादी संगठनों की कोई सीमा नहीं है। हमें मिलकर इस खतरे का सामना करना चाहिए। हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई से कहीं आगे एक- दूसरे का सहयोग करते हैं, लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि हम समुदायों को कट्टरपंथ से मुक्त कैसे बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हैं और अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने तथा सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। अमेरिकी राजदूत ने कहा, हमारा संबंध योगात्मक नहीं, बल्कि गुणात्मक है। हम ऐसे देश नहीं हैं जो केवल यह सोचते हैं कि हमारे लोगों के लिए क्या सबसे अच्छा है, बल्कि हम दुनिया के बारे में भी सोचते हैं और हम सैन्य, स्वास्थ्य, जलवायु और महिला सशक्तीकरण के मामले में जो कुछ भी करते हैं, उसके प्रभाव के संबंध में भी सोचते हैं। उन्होंने कहा, अमेरिका भारत का शीर्ष सैन्य अभ्यास साझेदार है और हमने अलास्का के पहाड़ों से लेकर हिंद महासागर तक में संयुक्त सैन्य अभ्यास किए हैं। यह पूछे जाने पर कि इस महीने के अंत में होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण समारोह में क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित किया जाएगा, गार्सेटी ने कहा कि मोदी और ट्रंप अत्यंत करीबी मित्र हैं। उन्होंने कहा, मैं उस वक्त का इंतजार कर रहा हूं कि वे सीधे वाशिंगटन में मिलेंगे और बाद में भारत में जब क्वाड की मेजबानी यहां होगी। यह भीड़ भरे शपथग्रहण के निमंत्रण के बारे में नहीं है, बल्कि आमने-सामने की बातचीत है जो हम करेंगे और हमारे संबंधों में नए अध्याय को परिभाषित करेंगे।(भाषा)

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और अमेरिका एकजुट: अमेरिकी राजदूत
मुंबई, 9 जनवरी। भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मामले में एकजुट हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों को बहुआयामी बताते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी स्वप्न और भारतीय स्वप्न एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। गार्सेटी ने भारत में अपने कार्यकाल को अत्यंत असाधारण बताया और कहा कि भारत ने उनका दिल जीत लिया। यहां एक कार्यक्रम से इतर चुनिंदा मीडिया प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में अनंत संभावनाएं हैं। भारत में गार्सेटी का अमेरिकी राजदूत के रूप में कार्यकाल जल्द ही समाप्त होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में उनका कार्यकाल उनके जीवन का सबसे असाधारण कार्य रहा। गार्सेटी ने कहा, राष्ट्रपति जो. बाइडन ने कहा था कि भारत उनके लिए दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण देश है और यदि आप भविष्य पर काम करना चाहते हैं, तो आपको भारत आने की जरूरत है। किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने कभी ऐसा नहीं कहा है। दोनों देशों के बीच संबंधों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, मैं दुनिया में भारत की भूमिका का स्वागत करता हूं - चाहे वह यूक्रेन-रूस संघर्ष में शांति हो, हिंद महासागर में गश्त हो। हम भारत की प्रगति देखना पसंद करते हैं। यह एक मजबूत, गौरवान्वित भारत है जिसे आधुनिक दुनिया ने कभी नहीं देखा है। गार्सेटी ने यहां पीस एंड द रोल ऑफ द यूएस- इंडिया डिफेंस एंड सिक्योरिटी पार्टनरशिप विषय पर एक सभा को भी संबोधित किया। उन्होंने इस दौरान अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने और सहयोग बढ़ाने पर संतोष व्यक्त किया। गार्सेटी ने कहा कि अमेरिकी स्वप्न और भारतीय स्वप्न एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, दोनों देशों के बीच संबंध बहुआयामी हैं और दोनों की साझेदारी की कोई सीमा नहीं है। उन्होंने आतंकवाद के कारण अनेक निर्दोष लोगों की मौत पर चिंता जताई। गार्सेटी ने कहा, दोनों देशों को लश्कर, जैश, आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से खतरा है। इन आतंकवादी संगठनों की कोई सीमा नहीं है। हमें मिलकर इस खतरे का सामना करना चाहिए। हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई से कहीं आगे एक- दूसरे का सहयोग करते हैं, लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि हम समुदायों को कट्टरपंथ से मुक्त कैसे बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हैं और अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने तथा सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। अमेरिकी राजदूत ने कहा, हमारा संबंध योगात्मक नहीं, बल्कि गुणात्मक है। हम ऐसे देश नहीं हैं जो केवल यह सोचते हैं कि हमारे लोगों के लिए क्या सबसे अच्छा है, बल्कि हम दुनिया के बारे में भी सोचते हैं और हम सैन्य, स्वास्थ्य, जलवायु और महिला सशक्तीकरण के मामले में जो कुछ भी करते हैं, उसके प्रभाव के संबंध में भी सोचते हैं। उन्होंने कहा, अमेरिका भारत का शीर्ष सैन्य अभ्यास साझेदार है और हमने अलास्का के पहाड़ों से लेकर हिंद महासागर तक में संयुक्त सैन्य अभ्यास किए हैं। यह पूछे जाने पर कि इस महीने के अंत में होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण समारोह में क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित किया जाएगा, गार्सेटी ने कहा कि मोदी और ट्रंप अत्यंत करीबी मित्र हैं। उन्होंने कहा, मैं उस वक्त का इंतजार कर रहा हूं कि वे सीधे वाशिंगटन में मिलेंगे और बाद में भारत में जब क्वाड की मेजबानी यहां होगी। यह भीड़ भरे शपथग्रहण के निमंत्रण के बारे में नहीं है, बल्कि आमने-सामने की बातचीत है जो हम करेंगे और हमारे संबंधों में नए अध्याय को परिभाषित करेंगे।(भाषा)