खराब सड़कों से ग्रामीण परेशान 6 किमी घूमकर गांव पहुंचते हैं

ग्रामीण कई बार कर चुके सड़क की मांग छत्तीसगढ़ संवाददाता बलौदाबाजार, 28 अगस्त। पलारी ब्लॉक मुख्यालय सीमा 9 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम बांसबिनोरी से सोनारदेवरी जाने वाला महज एक किलोमीटर का रास्ता ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है करीब 15 साल पहले शुरू हुआ इस सड़क निर्माण का काम अधूरा पड़ा हैं। जिसके चलते ग्रामीणों को आज भी दलदल और गढ्ढोंं से भरे रास्ते से गुजरना पड़ता हैं। गांव पहुंचने के लिए वैकल्पिक रास्ता भी है लेकिन वह काफी लंबा हैं। इस रास्ते में ग्रामीणों को रोहासी, कानाकोट, नवाडीह होते हुए बांसबिनोरी जाना पड़ता है। जिससे उन्हें लगभग 6 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती हैं। जिससे न केवल समय अधिक लगता है बल्कि यातायात खर्च भी बढ़ जाता हैं। ग्रामीणों का सवाल है कि जब एक नजदीक का रास्ता मौजूद है और उसका ठेका में हो चुका है तो उसे तो इसे 15 साल से अधूरा क्यों छोड़ दिया गया हैं। इस जर्जर मार्ग पर सबसे ज्यादा असर पढऩे वाले बच्चों पर पढ़ रहा हैं। गांव के 11वीं 12वीं और उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्राओं को रोज इस रास्ते से गुजरना पड़ता हैं। बरसात के दिनों में तो हालात और भी बदतर हो जाते हैं। कॉलेज जाने वाले विद्यार्थी को इस सफर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। ग्रामीण शिव सिंह भोला ठाकुर ने बताया कि 30 साल पहले इस सड़क पर एक बार डब्लूबीएम का काम हुआ था। लेकिन इसके बाद से इसे ठीक से मेंटेनेंस नहीं किया गया। करीब 15 साल पहले इस 2 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण का ठेका दिया गया था। ठेकेदार ने सोनारदेवरी से निर्माण कार्य शुरू किया लेकिन महज 1 किलोमीटर का काम करते के बाद भी काम अधूरा छोड़ कर चला गया। इस मामले में ग्रामीण कालपू राम फेकर, सुखदेव साहू, चैतराम ध्रुव, दशरथ सिंह ठाकुर, अर्जुन सिंह, राम सिंह यादव, नोहे र से मुन्ना यादव, संत लाल बाले, पवन भारद्वाज, सेवक राम, हेमंत देवांगन, और सरपंच चंदा देवी संतलाल ने संयुक्त रूप से प्रशासन से मांग की है कि इस सड़क निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करवाया जाए। उनका कहना है कि इस अधूरी सड़क के कारण न केवल शिक्षा बल्कि रोजगार और आपातकालीन स्थितियों में भी उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं। एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों को गांव तक पहुंचाना हो तो 6 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करना होता हैं।

खराब सड़कों से ग्रामीण परेशान 6 किमी घूमकर गांव पहुंचते हैं
ग्रामीण कई बार कर चुके सड़क की मांग छत्तीसगढ़ संवाददाता बलौदाबाजार, 28 अगस्त। पलारी ब्लॉक मुख्यालय सीमा 9 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम बांसबिनोरी से सोनारदेवरी जाने वाला महज एक किलोमीटर का रास्ता ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है करीब 15 साल पहले शुरू हुआ इस सड़क निर्माण का काम अधूरा पड़ा हैं। जिसके चलते ग्रामीणों को आज भी दलदल और गढ्ढोंं से भरे रास्ते से गुजरना पड़ता हैं। गांव पहुंचने के लिए वैकल्पिक रास्ता भी है लेकिन वह काफी लंबा हैं। इस रास्ते में ग्रामीणों को रोहासी, कानाकोट, नवाडीह होते हुए बांसबिनोरी जाना पड़ता है। जिससे उन्हें लगभग 6 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती हैं। जिससे न केवल समय अधिक लगता है बल्कि यातायात खर्च भी बढ़ जाता हैं। ग्रामीणों का सवाल है कि जब एक नजदीक का रास्ता मौजूद है और उसका ठेका में हो चुका है तो उसे तो इसे 15 साल से अधूरा क्यों छोड़ दिया गया हैं। इस जर्जर मार्ग पर सबसे ज्यादा असर पढऩे वाले बच्चों पर पढ़ रहा हैं। गांव के 11वीं 12वीं और उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्राओं को रोज इस रास्ते से गुजरना पड़ता हैं। बरसात के दिनों में तो हालात और भी बदतर हो जाते हैं। कॉलेज जाने वाले विद्यार्थी को इस सफर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। ग्रामीण शिव सिंह भोला ठाकुर ने बताया कि 30 साल पहले इस सड़क पर एक बार डब्लूबीएम का काम हुआ था। लेकिन इसके बाद से इसे ठीक से मेंटेनेंस नहीं किया गया। करीब 15 साल पहले इस 2 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण का ठेका दिया गया था। ठेकेदार ने सोनारदेवरी से निर्माण कार्य शुरू किया लेकिन महज 1 किलोमीटर का काम करते के बाद भी काम अधूरा छोड़ कर चला गया। इस मामले में ग्रामीण कालपू राम फेकर, सुखदेव साहू, चैतराम ध्रुव, दशरथ सिंह ठाकुर, अर्जुन सिंह, राम सिंह यादव, नोहे र से मुन्ना यादव, संत लाल बाले, पवन भारद्वाज, सेवक राम, हेमंत देवांगन, और सरपंच चंदा देवी संतलाल ने संयुक्त रूप से प्रशासन से मांग की है कि इस सड़क निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करवाया जाए। उनका कहना है कि इस अधूरी सड़क के कारण न केवल शिक्षा बल्कि रोजगार और आपातकालीन स्थितियों में भी उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं। एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों को गांव तक पहुंचाना हो तो 6 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करना होता हैं।