सर्दी के बढ़ते ही बदला लोगों का स्वाद:भिंड में भुने आलू-शकरकंद की बढ़ी मांग, पहली पसंद बने गरमागरम व्यंजन
सर्दी के बढ़ते ही बदला लोगों का स्वाद:भिंड में भुने आलू-शकरकंद की बढ़ी मांग, पहली पसंद बने गरमागरम व्यंजन
भिंड में सर्दी का असर बढ़ते ही भिंड शहर में खान-पान में बदलाव देखने को मिल रहा है। अब लोग ठंडे पेय पदार्थों से दूरी बनाकर गरमागरम चाय, कॉफी और चटपटे व्यंजनों का आनंद ले रहे हैं। खासतौर पर चाट, पकौड़ी और मंगोड़े जैसी चीजें लोगों की पसंद बन गई हैं। इसके साथ ही शहर में भुने हुए आलू और शकरकंद का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ता जा रहा है। धनवंतरी परिसर और व्यापार मंडल पर लगती भीड़ हर शाम धनवंतरी कॉम्प्लेक्स और व्यापार मंडल धर्मशाला के पास इन दिनों दो ठेले पर गरम रेत में भूने हुए आलू और शकरकंद बिकने लगे हैं। मसाला, चटनी और नमक के साथ परोसे जाने वाले इन व्यंजनों को खाने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है। लोग न केवल इसे मौके पर खाते हैं, बल्कि घर भी ले जाते हैं। सीजनल कारोबार में बेहतर कमाई बीटीआई सुंदर पुरा के रहने वाले ठेला संचालक हाकिम शाक्य बताते हैं कि वह पिछले पांच साल से दीपावली के बाद से होली तक यह ठेला लगाते हैं। सर्दी के तीन से चार महीने तक चलने वाले इस कारोबार में हर दिन 10 से 15 किलो आलू और शकरकंद बिक जाते हैं। उन्होंने बताया, “मैं माल तौल के लाता हूं और भूने हुए आलू-शकरकंद को ₹120 प्रति किलो बेचता हूं। यह मेरे लिए कमाई का अच्छा जरिया है।” सस्ता भी और स्वास्थ्यवर्धक भी भुने हुए आलू और शकरकंद की लोकप्रियता के पीछे इनकी सादगी और स्वाद है। ठंड के मौसम में यह न केवल शरीर को गर्मी देते हैं, बल्कि सस्ते और स्वास्थ्यवर्धक भी हैं। यही वजह है कि सर्दी के साथ-साथ इनकी मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
भिंड में सर्दी का असर बढ़ते ही भिंड शहर में खान-पान में बदलाव देखने को मिल रहा है। अब लोग ठंडे पेय पदार्थों से दूरी बनाकर गरमागरम चाय, कॉफी और चटपटे व्यंजनों का आनंद ले रहे हैं। खासतौर पर चाट, पकौड़ी और मंगोड़े जैसी चीजें लोगों की पसंद बन गई हैं। इसके साथ ही शहर में भुने हुए आलू और शकरकंद का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ता जा रहा है। धनवंतरी परिसर और व्यापार मंडल पर लगती भीड़ हर शाम धनवंतरी कॉम्प्लेक्स और व्यापार मंडल धर्मशाला के पास इन दिनों दो ठेले पर गरम रेत में भूने हुए आलू और शकरकंद बिकने लगे हैं। मसाला, चटनी और नमक के साथ परोसे जाने वाले इन व्यंजनों को खाने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है। लोग न केवल इसे मौके पर खाते हैं, बल्कि घर भी ले जाते हैं। सीजनल कारोबार में बेहतर कमाई बीटीआई सुंदर पुरा के रहने वाले ठेला संचालक हाकिम शाक्य बताते हैं कि वह पिछले पांच साल से दीपावली के बाद से होली तक यह ठेला लगाते हैं। सर्दी के तीन से चार महीने तक चलने वाले इस कारोबार में हर दिन 10 से 15 किलो आलू और शकरकंद बिक जाते हैं। उन्होंने बताया, “मैं माल तौल के लाता हूं और भूने हुए आलू-शकरकंद को ₹120 प्रति किलो बेचता हूं। यह मेरे लिए कमाई का अच्छा जरिया है।” सस्ता भी और स्वास्थ्यवर्धक भी भुने हुए आलू और शकरकंद की लोकप्रियता के पीछे इनकी सादगी और स्वाद है। ठंड के मौसम में यह न केवल शरीर को गर्मी देते हैं, बल्कि सस्ते और स्वास्थ्यवर्धक भी हैं। यही वजह है कि सर्दी के साथ-साथ इनकी मांग भी तेजी से बढ़ रही है।