30 साल से उपेक्षा का दंश झेल रहा बम्हनी-चिंगरौद मार्ग का पुल
30 साल से उपेक्षा का दंश झेल रहा बम्हनी-चिंगरौद मार्ग का पुल
छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद, 9 जुलाई। जिला मुख्यालय महासमुंद से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर बसे चिंगरौद के ग्रामीण वर्षों से जर्जर पुल में जान जोखिम में डालकर जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए ग्रामीण विवश हैं। करीब 30 साल से इस पुल का स्थाई समाधान नहीं निकल पाया है। हर साल इस पुल को लेकर जनदर्शन में शिकायतें आती रहती हैं, लेकिन अब तक किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली। फलस्वरूप हर साल बारिश के दिनों में यहां से ग्रामीणों को बाइक-साइकल आदि वाहनों को बांस के सहारे लटकाकर नाला पार करना पड़ता है। हर साल उफान पर आने वाले इस नाले पर बने पुल को लेकर ग्रामीण कोसते रहते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर बसा ग्राम चिंगरौद एक बड़ा ग्राम है। खदान क्षेत्र होने की वजह से चिंगरौद से बड़ी संख्या में मजदूर जिला मुख्यालय सहित बिरकोनी और घोड़ारी के कारखानों में काम करने पहुंचते हैं। लेकिन आषाढ़ और सावन में हर साल पहली बारिश में ही पुल क्षतिग्रस्त हो जाता है। आज से 20 साल पूर्व यह पुल पीडब्ल्यूडी ने बनाया था लेकिन इन 20 साल में 20 बार यह पुल क्षतिग्रस्त हो चुका है। हर साल बारिश के बाद इसे मरम्मत की आवश्यकता होती है। खासकर स्कूली बच्चों को यहां से आने-जाने में सर्वाधिक परेशानी होती है। बाढ़ की स्थिति में मजदूर भी इस रास्ते से गुजरकर काम पर नहीं जा सकते।
ग्रामीण बताते हैं कि भारी वाहनों की लगातार आवाजाही के कारण पुल क्षतिग्रस्त हुआ है। रिपेयरिंग करने के बाद फिर से टूट जाता है। कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। इस पूरे मामले पर पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी मौन साधे हुए हैं।
छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद, 9 जुलाई। जिला मुख्यालय महासमुंद से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर बसे चिंगरौद के ग्रामीण वर्षों से जर्जर पुल में जान जोखिम में डालकर जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए ग्रामीण विवश हैं। करीब 30 साल से इस पुल का स्थाई समाधान नहीं निकल पाया है। हर साल इस पुल को लेकर जनदर्शन में शिकायतें आती रहती हैं, लेकिन अब तक किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली। फलस्वरूप हर साल बारिश के दिनों में यहां से ग्रामीणों को बाइक-साइकल आदि वाहनों को बांस के सहारे लटकाकर नाला पार करना पड़ता है। हर साल उफान पर आने वाले इस नाले पर बने पुल को लेकर ग्रामीण कोसते रहते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर बसा ग्राम चिंगरौद एक बड़ा ग्राम है। खदान क्षेत्र होने की वजह से चिंगरौद से बड़ी संख्या में मजदूर जिला मुख्यालय सहित बिरकोनी और घोड़ारी के कारखानों में काम करने पहुंचते हैं। लेकिन आषाढ़ और सावन में हर साल पहली बारिश में ही पुल क्षतिग्रस्त हो जाता है। आज से 20 साल पूर्व यह पुल पीडब्ल्यूडी ने बनाया था लेकिन इन 20 साल में 20 बार यह पुल क्षतिग्रस्त हो चुका है। हर साल बारिश के बाद इसे मरम्मत की आवश्यकता होती है। खासकर स्कूली बच्चों को यहां से आने-जाने में सर्वाधिक परेशानी होती है। बाढ़ की स्थिति में मजदूर भी इस रास्ते से गुजरकर काम पर नहीं जा सकते।
ग्रामीण बताते हैं कि भारी वाहनों की लगातार आवाजाही के कारण पुल क्षतिग्रस्त हुआ है। रिपेयरिंग करने के बाद फिर से टूट जाता है। कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। इस पूरे मामले पर पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी मौन साधे हुए हैं।