बांधवगढ़ में बाघ के घास खाने का VIDEO:एक्सपर्ट बोले- ज्यादा मांस खाया, अब हाजमा दुरुस्त कर रहे
बांधवगढ़ में बाघ के घास खाने का VIDEO:एक्सपर्ट बोले- ज्यादा मांस खाया, अब हाजमा दुरुस्त कर रहे
अक्सर हमें लगता है कि शेर, बाघ और तेंदुआ जैसे बड़े मांसाहारी जानवर केवल मांस खाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जंगल के राजा सहित अन्य मांसाहारी जानवर भी कभी-कभी घास चबाते नजर आते हैं। ऐसा ही नजारा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में देखने मिला। सफारी के लिए पहुंचे टूरिस्ट को खितौली परिक्षेत्र के कुंभी कछार क्षेत्र में धमोखर 6 साल का मेल नामक बाघ घास खाते नजर आया। बाघ के घास खाने का वीडियो भी सामने आया है। वन्य प्राणी विशेषज्ञ रिटायर्ड वन संरक्षक आरएस सिकरवार कहते हैं... बाघ अपनी पाचन क्रिया को नियंत्रित करने के लिए घास खाते हैं। जब वे अधिक मांस खा लेते हैं और उनकी पाचन क्रिया अव्यवस्थित हो जाती है, तब वे घास खाकर उल्टी करते हैं। यह प्राकृतिक प्रक्रिया उनके पाचन तंत्र को सामान्य करने में मदद करती है। घास से टेंशन करते हैं मासाहारी जानवर आरएस सिकरवार कहते हैं कि यह व्यवहार उनके स्वास्थ्य से जुड़ा होता है और उनके तनाव को कम करने में भी मदद करता है। घास में कुछ ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं। जब शेर और बाघ भारी मात्रा में मांस खाते हैं तो उनके पेट में तनाव और भारीपन महसूस होता है। इस समय घास का सेवन करने से उनके पेट में बनने वाले एसिड का स्तर कम होता है और पाचन तंत्र में सुधार आता है। इसके अलावा घास के सेवन से जानवरों को आत्म संतोष भी मिलता है। घास चबाने से मिलता है राहत और पोषण
विशेषज्ञों का कहना है कि घास में फाइबर और कुछ विशेष पोषक तत्व होते हैं जो शेर और बाघ जैसे जानवरों के पाचन को बेहतर बनाते हैं। घास चबाना केवल एक आदत नहीं बल्कि एक स्वास्थ्य लाभकारी प्रक्रिया है। यह आदत उनके पेट के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए लाभकारी है।
तनाव कम करने का प्राकृतिक तरीका
विशेषज्ञों का मानना है कि घास चबाने का यह व्यवहार जानवरों को मानसिक राहत भी देता है। शेर और बाघ जैसे जानवरों का जीवन भी कई बार तनावपूर्ण हो सकता है खासकर जब वे अपने इलाके की सुरक्षा कर रहे होते हैं या अपने भोजन की तलाश में होते हैं। ऐसे में घास चबाना उनके लिए एक स्वाभाविक और कारगर तरीका है जिससे वे खुद को संतुलित और स्वस्थ महसूस करते हैं। बाघिन ने बहन के 3 शावकों को 4 साल पाला सीधी जिले के संजय दुबरी टाइगर रिजर्व की मौसी बाघिन T28 ने करीब चार साल बाद अपने पांच शावकों को खुद से अलग कर दिया है। 19 मई को इसके शावक दुबरी रेंज में अलग-अलग नजर आए। वैसे तो बाघ वंश की ये सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन T28 के मामले में ये बिल्कुल अलग है। पूरी खबर पढ़िए
अक्सर हमें लगता है कि शेर, बाघ और तेंदुआ जैसे बड़े मांसाहारी जानवर केवल मांस खाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जंगल के राजा सहित अन्य मांसाहारी जानवर भी कभी-कभी घास चबाते नजर आते हैं। ऐसा ही नजारा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में देखने मिला। सफारी के लिए पहुंचे टूरिस्ट को खितौली परिक्षेत्र के कुंभी कछार क्षेत्र में धमोखर 6 साल का मेल नामक बाघ घास खाते नजर आया। बाघ के घास खाने का वीडियो भी सामने आया है। वन्य प्राणी विशेषज्ञ रिटायर्ड वन संरक्षक आरएस सिकरवार कहते हैं... बाघ अपनी पाचन क्रिया को नियंत्रित करने के लिए घास खाते हैं। जब वे अधिक मांस खा लेते हैं और उनकी पाचन क्रिया अव्यवस्थित हो जाती है, तब वे घास खाकर उल्टी करते हैं। यह प्राकृतिक प्रक्रिया उनके पाचन तंत्र को सामान्य करने में मदद करती है। घास से टेंशन करते हैं मासाहारी जानवर आरएस सिकरवार कहते हैं कि यह व्यवहार उनके स्वास्थ्य से जुड़ा होता है और उनके तनाव को कम करने में भी मदद करता है। घास में कुछ ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं। जब शेर और बाघ भारी मात्रा में मांस खाते हैं तो उनके पेट में तनाव और भारीपन महसूस होता है। इस समय घास का सेवन करने से उनके पेट में बनने वाले एसिड का स्तर कम होता है और पाचन तंत्र में सुधार आता है। इसके अलावा घास के सेवन से जानवरों को आत्म संतोष भी मिलता है। घास चबाने से मिलता है राहत और पोषण
विशेषज्ञों का कहना है कि घास में फाइबर और कुछ विशेष पोषक तत्व होते हैं जो शेर और बाघ जैसे जानवरों के पाचन को बेहतर बनाते हैं। घास चबाना केवल एक आदत नहीं बल्कि एक स्वास्थ्य लाभकारी प्रक्रिया है। यह आदत उनके पेट के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए लाभकारी है।
तनाव कम करने का प्राकृतिक तरीका
विशेषज्ञों का मानना है कि घास चबाने का यह व्यवहार जानवरों को मानसिक राहत भी देता है। शेर और बाघ जैसे जानवरों का जीवन भी कई बार तनावपूर्ण हो सकता है खासकर जब वे अपने इलाके की सुरक्षा कर रहे होते हैं या अपने भोजन की तलाश में होते हैं। ऐसे में घास चबाना उनके लिए एक स्वाभाविक और कारगर तरीका है जिससे वे खुद को संतुलित और स्वस्थ महसूस करते हैं। बाघिन ने बहन के 3 शावकों को 4 साल पाला सीधी जिले के संजय दुबरी टाइगर रिजर्व की मौसी बाघिन T28 ने करीब चार साल बाद अपने पांच शावकों को खुद से अलग कर दिया है। 19 मई को इसके शावक दुबरी रेंज में अलग-अलग नजर आए। वैसे तो बाघ वंश की ये सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन T28 के मामले में ये बिल्कुल अलग है। पूरी खबर पढ़िए