छत्तीसगढ़ संवाददाता
भिलाई नगर, 2 जून। बाल समागम संत निरंकारी सत्संग भवन दुर्ग में संत निरंकारी मिशन के बाल संतो द्वारा रविवार को बाल समागम में गीत,नृत्य,नाटक व अन्य विधाओं के माध्यम से संत निरंकारी मिशन का संदेश खुदा पहचान ले,तू खुद को जान ले प्रसारित किया।
बच्चों के किरदार में भक्ति का भाव,प्यार व सदभाव का अनुसरण होगा तो परिवार और समाज मे आनंद का वातावरण निर्मित होगा।यही उद्देश्य व संदेश रहा बाल समागम का यह बाल समागम कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नही होता यह कार्यक्रम वर्ष भर बाल सत्संग में आकर बच्चो ने जी सीखा है उसे प्रदर्शित करते है।
समागम में भिलाई दुर्ग के बच्चों ने एक स्किट के माध्यम से बताया कि जन्नत (सुकून)की राह पर कैसे ले जाये,स्किट में बताया गया कि परिस्थितियों को स्वीकार करना सीखें,आत्मविश्वास मजबूत रखे। इस स्किट का सार यह था कि ईश्वर पर विश्वास,सार्थक कर्म और स्वीकार्यता ही जन्नत का एहसास कराता है।
सूफियाना कलाम के माध्यम से बच्चों ने बेहतरीन प्रस्तुति दी,सारी संगत को भाव विभोर कर दिया।इस कलाम के माध्यम से संदेश दिया कि सदगुरु संसार मे प्यार की खुशबू बांट रहा है।
जामुल के बच्चों ने पंडवानी नृत्य के माध्यम से मिशन के इतिहास को कहानी के रूप में प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं का भी सहारा लिया गया,छत्तीसगढ़ी ,उडिय़ा ,सिंधी व पंजाबी भाषा के गीतों में नृत्य कर सेवा,समता और समानता का संदेश बच्चो ने दिया।
छत्तीसगढ़ संवाददाता
भिलाई नगर, 2 जून। बाल समागम संत निरंकारी सत्संग भवन दुर्ग में संत निरंकारी मिशन के बाल संतो द्वारा रविवार को बाल समागम में गीत,नृत्य,नाटक व अन्य विधाओं के माध्यम से संत निरंकारी मिशन का संदेश खुदा पहचान ले,तू खुद को जान ले प्रसारित किया।
बच्चों के किरदार में भक्ति का भाव,प्यार व सदभाव का अनुसरण होगा तो परिवार और समाज मे आनंद का वातावरण निर्मित होगा।यही उद्देश्य व संदेश रहा बाल समागम का यह बाल समागम कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नही होता यह कार्यक्रम वर्ष भर बाल सत्संग में आकर बच्चो ने जी सीखा है उसे प्रदर्शित करते है।
समागम में भिलाई दुर्ग के बच्चों ने एक स्किट के माध्यम से बताया कि जन्नत (सुकून)की राह पर कैसे ले जाये,स्किट में बताया गया कि परिस्थितियों को स्वीकार करना सीखें,आत्मविश्वास मजबूत रखे। इस स्किट का सार यह था कि ईश्वर पर विश्वास,सार्थक कर्म और स्वीकार्यता ही जन्नत का एहसास कराता है।
सूफियाना कलाम के माध्यम से बच्चों ने बेहतरीन प्रस्तुति दी,सारी संगत को भाव विभोर कर दिया।इस कलाम के माध्यम से संदेश दिया कि सदगुरु संसार मे प्यार की खुशबू बांट रहा है।
जामुल के बच्चों ने पंडवानी नृत्य के माध्यम से मिशन के इतिहास को कहानी के रूप में प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं का भी सहारा लिया गया,छत्तीसगढ़ी ,उडिय़ा ,सिंधी व पंजाबी भाषा के गीतों में नृत्य कर सेवा,समता और समानता का संदेश बच्चो ने दिया।