महासमुंद रेलवे स्टेशन में गंदगी-मलबे की ढेरी-रूफ प्लाजा,फूड कोर्ट, मल्टी लेवल पार्किंग, लिफ्ट, एस्केलेटर, ट्रेवलेटर का काम काफी धीमा

अमृत योजना के तहत 16 करोड़ रुपए खर्च कर हो रहा पुनर्विकास रेलवे स्टेशन के बाहर पार्किंग स्थल विकसित किया जाना है छत्तीसगढ़ संवाददाता महासमुंद, 22 फरवरी। अमृत स्टेशन योजना अंतर्गत 16 करोड़ की लागत से महासमुंद रेलवे स्टेशन का कायाकल्प किया जा रहा है। लेकिन स्टेशन परिसर में किए जा रहे निर्माण कार्य की रफ्तार काफी धीमे गति से जारी है। निर्धारित समय में इस कार्य के पूर्ण होने की संभावना कम ही नजर आ रही है। मालूम हो कि पीएम मोदी ने अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देश के 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए दिल्ली से ऑनलाइन आधारशिला रखी थी। छत्तीसगढ़ में अमृत भारत स्टेशन के तहत 7 स्टेशनों का चयन किया गया है। इनमें अकलतरा, भिलाई पावर हाउस, बिलासपुर,दुर्ग,महासमुंद और रायपुर स्टेशन शामिल हंै। इन स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए 1459.6 करोड़ की लागत से पुनर्विकास किया जाएगा। महासमुंद रेलवे स्टेशन संबलपुर डिविजन में पड़ता है। इसके पुनर्विकास के लिए 16 करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा है। जिसमें स्टेशन में रुफ प्लाजा,शॉपिंग जोन, फूड कोर्ट, चिल्ड्रन प्ले एरिया, यात्रियों की सहूलियत के लिए अलग-अलग प्रवेश और निकास गेट होगा। साथ ही मल्टी लेवल पार्किंग, लिफ्ट, एस्केलेटर, ट्रेवलेटर,एग्जीक्यूटिव लाउंज, वेटिंग एरिया, दिव्यांगजन अनुकूल सुविधाएं होंगी। जिसके निर्माण की रफ्तार काफी धीमी होने से समय पर कार्य पूरा हो पाना मुश्किल लग रहा है और यही कारण है कि नये रूप में स्टेशन को देखने के लिए लोगों को लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है। बहरहाल महासमुंद रेलवे स्टेशन में परिसर में निर्माण सामग्रियां फैली हैं। रेलवे स्टेशन के बाहर पार्किंग स्थल विकसित किया जाना है। यह कार्य भी धीमी गति से हो रही है। स्टेशन में न प्लेटफ ार्म नंबर एक एवं दो में हो रहे निर्माण कार्य बेहद धीमी गति से जारी है। यहां जगह-जगह निर्माण सामग्रियों का ढेर लगा हुआ है। यहां से यात्रा करने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहले पहल इस कार्य में काफी तेजी दिखाई दी लेकिन विधान सभा चुनाव के बाद से ही निर्माण कार्य की रफ्तार धीमी है। पूर्व में रेलवे अधिकारियों ने कहा था कि बारिश की वजह से कार्य धीमा है। और अब तो अगले 3 माह बाद फिर बारिश का मौसम आनेवाला है। मिली जानकारी के अनुसार निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से एस्केलेटर के लिए केवल पोल गड़ाया गया है। इस कार्य की जिम्मेदारी श्रद्धा निर्माण ग्रुप बिलासपुर तथा एस एल गोयल ग्रुप टाटा की कंपनी को दी गई है। इस हेतु क्यूब,फ्र ेम का निर्माण भी मौके पर ही किया गया है। इसके बाद से यह ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है। कहा जा रहा है कि रेलवे स्टेशन के प्लेटफ ार्म पर आवागमन के लिए लिफ्ट तथा स्वचालित सीढिय़ां रेल यात्रियों के अलावा विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं व दिव्यांगों तथा मरीजों के लिए वरदान साबित होगा। वर्तमान में यात्रियों को प्लेटफार्म संख्या 1 से 2 तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता अख्तियार करना पड़ता है। एस्केलेटर की स्थापना से यात्रियों को एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म तक पहुंचने में पैदल पुलिया और फुट ओवरब्रिज का लंबा रास्ता तय करने की मुश्किल से आजादी मिलेगी। वैसे राजधानी रायपुर के बाद हमारा महासमुंद ऐसा स्टेशन होगा जहां एक्सलेटर की सुविधा होगी। इसके बाद भुनेश्वर तक यह सुविधा नहीं है। एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर आने-जाने के लिए सुविधाजनक स्वचालित सीढिय़ां, एस्केलेटर और लिफ्ट संभवत: 2025 जनवरी तक शुरू होने की उम्मीद थी। लेकिन यह तिथि निकल गई। निर्माण कार्य की कछुआ चाल को देखकर लग रहा है कि अभी और अधिक इसमें समय लगेगा। निर्माण कंपनी के अनुसार दोनों प्लेटफार्म पर आने-जाने के लिए चार एस्केलेटर तथा दो लिफ्ट लगाने का कार्य आदेश मिला है। एक्सलेटर स्टेशन में प्रवेश करते ही दाहिने ओर बनाया जा रहा है। वर्षों से रेलवे स्टेशन के परिसर में एक लम्बे भूमिगत मार्ग और 73 सीढिय़ों वाले डबल स्टेक हाइट फुट ओवर ब्रिज से रेल यात्रियों को एक-दूसरे प्लेटफार्म पर लगेज के साथ आने-जाने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने 3 वर्ष पूर्व ही स्टेशनों को कायाकल्प करने की योजना तैयार की थी। ओवर ब्रिज छोटे वाहनों के लिए रेलवे का नया ब्रिज रेलवे क्रॉसिंग से शंकर नगर पश्चिम दिशा में आर. बी 34 के समीप बनेगा। जो क्रॉसिंग से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। राज्य शासन द्वारा बनाया गया ओवर ब्रिज में भारी वाहनों की आवाजाही अधिक है। फलस्वरूप यह ओवर ब्रिज छोटे वाहनों के लिए होगा। इससे न केवल शहर के मध्य यातायात का दबाव कम होगा। बल्कि शहर वासियों को अच्छी सुविधा मिल सकेगी।

महासमुंद रेलवे स्टेशन में गंदगी-मलबे की ढेरी-रूफ प्लाजा,फूड कोर्ट, मल्टी लेवल पार्किंग, लिफ्ट, एस्केलेटर, ट्रेवलेटर का काम काफी धीमा
अमृत योजना के तहत 16 करोड़ रुपए खर्च कर हो रहा पुनर्विकास रेलवे स्टेशन के बाहर पार्किंग स्थल विकसित किया जाना है छत्तीसगढ़ संवाददाता महासमुंद, 22 फरवरी। अमृत स्टेशन योजना अंतर्गत 16 करोड़ की लागत से महासमुंद रेलवे स्टेशन का कायाकल्प किया जा रहा है। लेकिन स्टेशन परिसर में किए जा रहे निर्माण कार्य की रफ्तार काफी धीमे गति से जारी है। निर्धारित समय में इस कार्य के पूर्ण होने की संभावना कम ही नजर आ रही है। मालूम हो कि पीएम मोदी ने अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देश के 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए दिल्ली से ऑनलाइन आधारशिला रखी थी। छत्तीसगढ़ में अमृत भारत स्टेशन के तहत 7 स्टेशनों का चयन किया गया है। इनमें अकलतरा, भिलाई पावर हाउस, बिलासपुर,दुर्ग,महासमुंद और रायपुर स्टेशन शामिल हंै। इन स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए 1459.6 करोड़ की लागत से पुनर्विकास किया जाएगा। महासमुंद रेलवे स्टेशन संबलपुर डिविजन में पड़ता है। इसके पुनर्विकास के लिए 16 करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा है। जिसमें स्टेशन में रुफ प्लाजा,शॉपिंग जोन, फूड कोर्ट, चिल्ड्रन प्ले एरिया, यात्रियों की सहूलियत के लिए अलग-अलग प्रवेश और निकास गेट होगा। साथ ही मल्टी लेवल पार्किंग, लिफ्ट, एस्केलेटर, ट्रेवलेटर,एग्जीक्यूटिव लाउंज, वेटिंग एरिया, दिव्यांगजन अनुकूल सुविधाएं होंगी। जिसके निर्माण की रफ्तार काफी धीमी होने से समय पर कार्य पूरा हो पाना मुश्किल लग रहा है और यही कारण है कि नये रूप में स्टेशन को देखने के लिए लोगों को लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है। बहरहाल महासमुंद रेलवे स्टेशन में परिसर में निर्माण सामग्रियां फैली हैं। रेलवे स्टेशन के बाहर पार्किंग स्थल विकसित किया जाना है। यह कार्य भी धीमी गति से हो रही है। स्टेशन में न प्लेटफ ार्म नंबर एक एवं दो में हो रहे निर्माण कार्य बेहद धीमी गति से जारी है। यहां जगह-जगह निर्माण सामग्रियों का ढेर लगा हुआ है। यहां से यात्रा करने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहले पहल इस कार्य में काफी तेजी दिखाई दी लेकिन विधान सभा चुनाव के बाद से ही निर्माण कार्य की रफ्तार धीमी है। पूर्व में रेलवे अधिकारियों ने कहा था कि बारिश की वजह से कार्य धीमा है। और अब तो अगले 3 माह बाद फिर बारिश का मौसम आनेवाला है। मिली जानकारी के अनुसार निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से एस्केलेटर के लिए केवल पोल गड़ाया गया है। इस कार्य की जिम्मेदारी श्रद्धा निर्माण ग्रुप बिलासपुर तथा एस एल गोयल ग्रुप टाटा की कंपनी को दी गई है। इस हेतु क्यूब,फ्र ेम का निर्माण भी मौके पर ही किया गया है। इसके बाद से यह ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है। कहा जा रहा है कि रेलवे स्टेशन के प्लेटफ ार्म पर आवागमन के लिए लिफ्ट तथा स्वचालित सीढिय़ां रेल यात्रियों के अलावा विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं व दिव्यांगों तथा मरीजों के लिए वरदान साबित होगा। वर्तमान में यात्रियों को प्लेटफार्म संख्या 1 से 2 तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता अख्तियार करना पड़ता है। एस्केलेटर की स्थापना से यात्रियों को एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म तक पहुंचने में पैदल पुलिया और फुट ओवरब्रिज का लंबा रास्ता तय करने की मुश्किल से आजादी मिलेगी। वैसे राजधानी रायपुर के बाद हमारा महासमुंद ऐसा स्टेशन होगा जहां एक्सलेटर की सुविधा होगी। इसके बाद भुनेश्वर तक यह सुविधा नहीं है। एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर आने-जाने के लिए सुविधाजनक स्वचालित सीढिय़ां, एस्केलेटर और लिफ्ट संभवत: 2025 जनवरी तक शुरू होने की उम्मीद थी। लेकिन यह तिथि निकल गई। निर्माण कार्य की कछुआ चाल को देखकर लग रहा है कि अभी और अधिक इसमें समय लगेगा। निर्माण कंपनी के अनुसार दोनों प्लेटफार्म पर आने-जाने के लिए चार एस्केलेटर तथा दो लिफ्ट लगाने का कार्य आदेश मिला है। एक्सलेटर स्टेशन में प्रवेश करते ही दाहिने ओर बनाया जा रहा है। वर्षों से रेलवे स्टेशन के परिसर में एक लम्बे भूमिगत मार्ग और 73 सीढिय़ों वाले डबल स्टेक हाइट फुट ओवर ब्रिज से रेल यात्रियों को एक-दूसरे प्लेटफार्म पर लगेज के साथ आने-जाने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने 3 वर्ष पूर्व ही स्टेशनों को कायाकल्प करने की योजना तैयार की थी। ओवर ब्रिज छोटे वाहनों के लिए रेलवे का नया ब्रिज रेलवे क्रॉसिंग से शंकर नगर पश्चिम दिशा में आर. बी 34 के समीप बनेगा। जो क्रॉसिंग से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। राज्य शासन द्वारा बनाया गया ओवर ब्रिज में भारी वाहनों की आवाजाही अधिक है। फलस्वरूप यह ओवर ब्रिज छोटे वाहनों के लिए होगा। इससे न केवल शहर के मध्य यातायात का दबाव कम होगा। बल्कि शहर वासियों को अच्छी सुविधा मिल सकेगी।