शासन के निर्णय से 40 हजार स्थाईकर्मी नाराज:चतुर्थ श्रेणी के खाली पदों पर आउटसोर्स कर्मचारी रखेगी सरकार, नियमित होने की उम्मीद खत्म

डॉ. मोहन सरकार अगले 5 साल में ढाई लाख कर्मचारियों की भर्ती करने जा रही है। इस खबर ने बेरोजगारों को सुकून दिया है, पर राज्य के 40 हजार स्थाईकर्मियों की नींद उड़ा दी है। दरअसल, सरकार ने तय किया है कि चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर सीधी भर्ती नहीं की जाएगी, बल्कि आउटसोर्स कर्मचारी रखे जाएंगे। वित्त विभाग के इस आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि स्थाईकर्मियों का क्या होगा? इसे लेकर स्थाईकर्मियों की नाराजगी बढ़ गई है। उनका कहना है कि वर्ष 2016 में हाईकोर्ट ने भी स्थाईकर्मियों को नियमित करने के निर्देश दिए हैं, पर सरकार किसी की भी नहीं सुन रही है। इन कर्मचारियों ने अवमानना याचिका भी लगाई है। प्रदेश में 40 हजार स्थाईकर्मी हैं और करीब 5 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, जो पिछले 30 साल से सेवा में हैं। वे लंबे समय से नियमित करने की मांग कर रहे हैं और कोर्ट ने भी रिक्त पदों पर उन्हें नियमित करने के निर्देश दिए हैं। इनमें से अधिकतर कर्मचारी चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियमित होने की पात्रता रखते हैं। सरकार इन्हीं पदों पर आउटसोर्स कर्मचारी रख रही है। जिससे स्थाईकर्मियों को भविष्य में नियमित होने की संभावना खत्म होती नजर आ रही है। यही उनकी परेशानी का कारण भी है। मुख्यमंत्री-मुख्य सचिव को सौंपेंगे ज्ञापन स्थाईकर्मियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने भी सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे कहते हैं कि यह स्थाईकर्मियों के साथ अन्याय है। कोर्ट ने 2016 में कहा है कि सभी स्थाई कर्मियों को उन्हीं रिक्त पदों पर नियमित करो, जिनके विरुद्ध वह काम कर रहे हैं और सरकार है कि कोर्ट की भी सुनने को तैयार नहीं है। हमने अवमानना याचिका लगाई है, जिस पर सुनवाई होना है। इधर, सरकार ने 5 साल के भर्ती के शेड्यूल से स्थाईकर्मियों को पूरी तरह से बाहर कर दिया है। पांडे कहते हैं कि जब 5 साल में भर्ती का शेड्यूल तैयार ही किया जा रहा था, तो सरकार यह भी तय कर देती कि किस साल में कितने प्रतिशत रिक्त पदों पर स्थाईकर्मियों को नियमित किया जाएगा।

शासन के निर्णय से 40 हजार स्थाईकर्मी नाराज:चतुर्थ श्रेणी के खाली पदों पर आउटसोर्स कर्मचारी रखेगी सरकार, नियमित होने की उम्मीद खत्म
डॉ. मोहन सरकार अगले 5 साल में ढाई लाख कर्मचारियों की भर्ती करने जा रही है। इस खबर ने बेरोजगारों को सुकून दिया है, पर राज्य के 40 हजार स्थाईकर्मियों की नींद उड़ा दी है। दरअसल, सरकार ने तय किया है कि चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर सीधी भर्ती नहीं की जाएगी, बल्कि आउटसोर्स कर्मचारी रखे जाएंगे। वित्त विभाग के इस आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि स्थाईकर्मियों का क्या होगा? इसे लेकर स्थाईकर्मियों की नाराजगी बढ़ गई है। उनका कहना है कि वर्ष 2016 में हाईकोर्ट ने भी स्थाईकर्मियों को नियमित करने के निर्देश दिए हैं, पर सरकार किसी की भी नहीं सुन रही है। इन कर्मचारियों ने अवमानना याचिका भी लगाई है। प्रदेश में 40 हजार स्थाईकर्मी हैं और करीब 5 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, जो पिछले 30 साल से सेवा में हैं। वे लंबे समय से नियमित करने की मांग कर रहे हैं और कोर्ट ने भी रिक्त पदों पर उन्हें नियमित करने के निर्देश दिए हैं। इनमें से अधिकतर कर्मचारी चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियमित होने की पात्रता रखते हैं। सरकार इन्हीं पदों पर आउटसोर्स कर्मचारी रख रही है। जिससे स्थाईकर्मियों को भविष्य में नियमित होने की संभावना खत्म होती नजर आ रही है। यही उनकी परेशानी का कारण भी है। मुख्यमंत्री-मुख्य सचिव को सौंपेंगे ज्ञापन स्थाईकर्मियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने भी सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे कहते हैं कि यह स्थाईकर्मियों के साथ अन्याय है। कोर्ट ने 2016 में कहा है कि सभी स्थाई कर्मियों को उन्हीं रिक्त पदों पर नियमित करो, जिनके विरुद्ध वह काम कर रहे हैं और सरकार है कि कोर्ट की भी सुनने को तैयार नहीं है। हमने अवमानना याचिका लगाई है, जिस पर सुनवाई होना है। इधर, सरकार ने 5 साल के भर्ती के शेड्यूल से स्थाईकर्मियों को पूरी तरह से बाहर कर दिया है। पांडे कहते हैं कि जब 5 साल में भर्ती का शेड्यूल तैयार ही किया जा रहा था, तो सरकार यह भी तय कर देती कि किस साल में कितने प्रतिशत रिक्त पदों पर स्थाईकर्मियों को नियमित किया जाएगा।