जिला सहकारी बैंक में भीषण गर्मी में पानी और छांव तक नहीं

छत्तीसगढ़ संवाददाता कोण्डागांव, 4 अप्रैल। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान का भुगतान किसानों को जिला सहकारी बैंक के माध्यम से किया जाता है। जिले के सैकड़ों किसान, जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं, हर दिन कोण्डागांव के पुराने जिला अस्पताल परिसर में संचालित जिला सहकारी बैंक की शाखा पहुंचते हैं, लेकिन बैंक परिसर में न तो पेयजल की व्यवस्था है, न छांव की और न ही बैठने की जगह। गर्मी और भीड़ के बीच सुबह से भूखे-प्यासे अपनी पारी का इंतजार कर रहे किसानों का धैर्य टूटता जा रहा है। बडक़ो के किसान मंगत दास, बयानार के देव सिंह बघेल और माकड़ी की महिला हितग्राही भेनो ने बताया कि वे सुबह 9 बजे से पहले ही घर से निकल जाते हैं, क्योंकि विड्रॉल फॉर्म जमा करने की समय सीमा सुबह 10 बजे तक होती है। भीड़ अधिक होने के कारण अगर समय पर न पहुंचे, तो फार्म जमा करने का मौका नहीं मिलता। बैंक परिसर में न तो पीने के पानी की सुविधा है और न ही गर्मी से बचने का कोई प्रबंध। किसानों को या तो धूप में खड़ा रहना पड़ता है या पेड़ों की छांव में आश्रय लेना पड़ता है। यह स्थिति उस वक्त और गंभीर हो जाती है जब तापमान दोपहर में बढ़ जाता है। इस संबंध में जब जिला सहकारी बैंक की प्रबंधक ललिता मरकाम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रत्येक दिन बैंक में 300 से अधिक खाता धारक पहुंचते हैं, जिससे अव्यवस्था हो जाती है। पेयजल समस्या को दूर करने बोरवेल खुदवाने की कोशिश की गई थी, लेकिन जलस्रोत नहीं मिलने से सफल नहीं हो पाए। वहीं किसानों के लिए लगाए गए शेड आंधी तूफान में उड़ गए हैं, जिन्हें जल्द दोबारा लगाने की योजना है।

जिला सहकारी बैंक में भीषण गर्मी में पानी और छांव तक नहीं
छत्तीसगढ़ संवाददाता कोण्डागांव, 4 अप्रैल। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान का भुगतान किसानों को जिला सहकारी बैंक के माध्यम से किया जाता है। जिले के सैकड़ों किसान, जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं, हर दिन कोण्डागांव के पुराने जिला अस्पताल परिसर में संचालित जिला सहकारी बैंक की शाखा पहुंचते हैं, लेकिन बैंक परिसर में न तो पेयजल की व्यवस्था है, न छांव की और न ही बैठने की जगह। गर्मी और भीड़ के बीच सुबह से भूखे-प्यासे अपनी पारी का इंतजार कर रहे किसानों का धैर्य टूटता जा रहा है। बडक़ो के किसान मंगत दास, बयानार के देव सिंह बघेल और माकड़ी की महिला हितग्राही भेनो ने बताया कि वे सुबह 9 बजे से पहले ही घर से निकल जाते हैं, क्योंकि विड्रॉल फॉर्म जमा करने की समय सीमा सुबह 10 बजे तक होती है। भीड़ अधिक होने के कारण अगर समय पर न पहुंचे, तो फार्म जमा करने का मौका नहीं मिलता। बैंक परिसर में न तो पीने के पानी की सुविधा है और न ही गर्मी से बचने का कोई प्रबंध। किसानों को या तो धूप में खड़ा रहना पड़ता है या पेड़ों की छांव में आश्रय लेना पड़ता है। यह स्थिति उस वक्त और गंभीर हो जाती है जब तापमान दोपहर में बढ़ जाता है। इस संबंध में जब जिला सहकारी बैंक की प्रबंधक ललिता मरकाम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रत्येक दिन बैंक में 300 से अधिक खाता धारक पहुंचते हैं, जिससे अव्यवस्था हो जाती है। पेयजल समस्या को दूर करने बोरवेल खुदवाने की कोशिश की गई थी, लेकिन जलस्रोत नहीं मिलने से सफल नहीं हो पाए। वहीं किसानों के लिए लगाए गए शेड आंधी तूफान में उड़ गए हैं, जिन्हें जल्द दोबारा लगाने की योजना है।