भारत का चालू खाता घाटा 2025-26 के दौरान सेफ जोन में रहेगा : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 2 अप्रैल । मजबूत सेवा निर्यात और विदेशों में काम कर रहे भारतीयों से आने वाले रेमिटेंस के साथ वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान भारत के चालू खाता घाटे (सीएडी) को सुरक्षित क्षेत्र में रखने में मदद मिलेगी, भले ही देश का मर्चेंडाइज व्यापार घाटा कुछ दबाव में आ गया हो। बुधवार को जारी क्रिसिल की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025-2026 में चालू खाता घाटा जीडीपी के 1.3 प्रतिशत पर रहने के साथ मामूली रूप से अधिक रहेगा, जबकि 2024-2025 में यह जीडीपी का 1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में भारत का सीएडी 11.5 बिलियन डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.1 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में यह 10.4 बिलियन डॉलर यानी जीडीपी का 1.1 प्रतिशत था। क्रमिक रूप से, घाटा वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 16.7 बिलियन डॉलर यानी जीडीपी के 1.8 प्रतिशत से कम हो गया। तीसरी तिमाही के दौरान व्यापारिक व्यापार घाटा खराब रहा, लेकिन विदेशों में काम कर रहे भारतीयों से सेवाओं के अधिशेष और रेमिटेंस में सुधार से बैलेंस बना रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि व्यापारिक व्यापार घाटे में वृद्धि मुख्य रूप से तेल व्यापार संतुलन के बिगड़ने के कारण हुई, क्योंकि निर्यात में गिरावट आई और आयात में वृद्धि हुई।

भारत का चालू खाता घाटा 2025-26 के दौरान सेफ जोन में रहेगा : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 2 अप्रैल । मजबूत सेवा निर्यात और विदेशों में काम कर रहे भारतीयों से आने वाले रेमिटेंस के साथ वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान भारत के चालू खाता घाटे (सीएडी) को सुरक्षित क्षेत्र में रखने में मदद मिलेगी, भले ही देश का मर्चेंडाइज व्यापार घाटा कुछ दबाव में आ गया हो। बुधवार को जारी क्रिसिल की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025-2026 में चालू खाता घाटा जीडीपी के 1.3 प्रतिशत पर रहने के साथ मामूली रूप से अधिक रहेगा, जबकि 2024-2025 में यह जीडीपी का 1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में भारत का सीएडी 11.5 बिलियन डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.1 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में यह 10.4 बिलियन डॉलर यानी जीडीपी का 1.1 प्रतिशत था। क्रमिक रूप से, घाटा वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 16.7 बिलियन डॉलर यानी जीडीपी के 1.8 प्रतिशत से कम हो गया। तीसरी तिमाही के दौरान व्यापारिक व्यापार घाटा खराब रहा, लेकिन विदेशों में काम कर रहे भारतीयों से सेवाओं के अधिशेष और रेमिटेंस में सुधार से बैलेंस बना रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि व्यापारिक व्यापार घाटे में वृद्धि मुख्य रूप से तेल व्यापार संतुलन के बिगड़ने के कारण हुई, क्योंकि निर्यात में गिरावट आई और आयात में वृद्धि हुई।