रायसेन में शीत लहर चलने से बढ़ी ठिठुरन:सीजन में दूसरी बार रात का न्यूनतम तापमान 3.8 डिग्री दर्ज, पौधों पर जमी ओस की बूंदें
रायसेन में शीत लहर चलने से बढ़ी ठिठुरन:सीजन में दूसरी बार रात का न्यूनतम तापमान 3.8 डिग्री दर्ज, पौधों पर जमी ओस की बूंदें
रायसेन में इस सीजन में दूसरी बार शुक्रवार रात का न्यूनतम तापमान 3.8 पर पहुंच गया। शनिवार सुबह शीत लहर चलने से ठिठुरन बढ़ गई। सर्दी से बचने के लिए लोग अलाव का सहारा लेते रहे। जबकि खुले मैदान और सब्जी के बगीचों में पेड़ पौधों पर ओस की बूंदें जम गई। बता दें कि बीती पांच दिन से रात का न्यूनतम तापमान 5 डिग्री से कम चल रहा है, जबकि दिन का अधिकतम तापमान 22 से 30 डिग्री के आसपास चल रहा है। सर्दी का असर सेहत पर भी दिखाई देने लगा है। अस्पताल में सर्दी जुकाम सहित हृदय रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। डॉक्टर सावधानी बरतने और अधिकतर समय घर में ही रहने की सलाह दे रहे हैं। फसलों पर पड़ सकता है असर गिरते तापमान का असर फसलों पर सबसे पहले पड़ता है। हालांकि जिले में अभी गेहूं की बोवनी कम क्षेत्र में हुई है और 8 से 15 दिन की ही है, इसलिए इस फसल पर ठंड का असर नहीं होगा। बल्कि दलहन और सब्जी की फसलों पर खतरा बना हुआ है।
रायसेन में इस सीजन में दूसरी बार शुक्रवार रात का न्यूनतम तापमान 3.8 पर पहुंच गया। शनिवार सुबह शीत लहर चलने से ठिठुरन बढ़ गई। सर्दी से बचने के लिए लोग अलाव का सहारा लेते रहे। जबकि खुले मैदान और सब्जी के बगीचों में पेड़ पौधों पर ओस की बूंदें जम गई। बता दें कि बीती पांच दिन से रात का न्यूनतम तापमान 5 डिग्री से कम चल रहा है, जबकि दिन का अधिकतम तापमान 22 से 30 डिग्री के आसपास चल रहा है। सर्दी का असर सेहत पर भी दिखाई देने लगा है। अस्पताल में सर्दी जुकाम सहित हृदय रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। डॉक्टर सावधानी बरतने और अधिकतर समय घर में ही रहने की सलाह दे रहे हैं। फसलों पर पड़ सकता है असर गिरते तापमान का असर फसलों पर सबसे पहले पड़ता है। हालांकि जिले में अभी गेहूं की बोवनी कम क्षेत्र में हुई है और 8 से 15 दिन की ही है, इसलिए इस फसल पर ठंड का असर नहीं होगा। बल्कि दलहन और सब्जी की फसलों पर खतरा बना हुआ है।