शाम होते ही जंगल में छिपी मशीनें नदी में उतरती हैं.., रात भर रेत खनन
शाम होते ही जंगल में छिपी मशीनें नदी में उतरती हैं.., रात भर रेत खनन
अफसर छुट्टी पर होते हैं तो दिन-रात खुलेआम
छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद, 31 दिसंबर। कलेक्टर लंगेह ने निर्देश दिए हैं कि रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। लेकिन अवैध रेत उत्खनन करने वाले अफसरों के अवकाश में रहने का फायदा उठाते दिन के अलावा हुए रात में भी लगातार रेत की खुदाई कर रहे हैं। केडियाडीह और मोहकम जैसे रेत खदानों में मशीनों को चोरी छिपे नदी के बीच में उतार कर उत्खनन हो रहा है। बगैर पीट पास के वाहनें रेत भरकर धड़ल्ले से खदानों से निकल रही हैं। इस तरह यहां शाम होते ही जंगल में छिपी मशीनें नदी में उतरती हैं। रात भर रेत खनन होता है। अफसर छुट्टी पर होते हैं तो दिन-रात खुलेआम होता है।
क्षेत्र के कुछ खदानों को छोडक़र अन्य खदानों में अवैध रूप से रेत निकालने तथा उसके परिवहन का काम जारी है। इसके कारण वैध घाटों का ठेका लेने वाले संचालक स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। वैध खदानों के संचालकों की मानें तो रेत घाटों के गांवों में पहुंचकर दिए जा रहे प्रलोभन और संचालन की स्थानीय अनुमति से वे शासन को दिया जाने वाला राजस्व तक नहीं जुटा पा रहे। जिलाप्रशासन कहती है कि लगातार कार्रवाई जारी है। लेकिन अफसर जब सरकारी छुट्टी पर होते हैं तब रेत घाटों से उत्खनन दोगुनी गति से होता है।
स्थिति यह है कि शाम होते ही नदी के उस पार से मशीनें घाट में पहुंचती हंै। दिन में गांव के जंगल में छिपाई गई मशीनों को रात में नदी मे्ें उतार दिया जाता है। ऐसा नही है कि प्रशासन इन पर कार्रवाई नही करना चाहता। लेकिन सत्ता पक्ष के ऊपरी दबाव के चलते प्रशासन भी कई मामलों में स्वयं को लाचार पाता है। अधिकतर सत्ता पक्ष के लोग ही गैंग बनाकर रेत खनन का काम कर रहे हैं। केडियाडीह, मोहकम, सेनकपाट, चिंगरौद, लाफिन सहित कई अन्य खदानों में निर्बाध अवैध उत्खनन जारी है।
इस तरह महासमुंद जिले भर में रेत का अवैध उत्खनन एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह पर्यावरण असंतुलन, जलवायु परिवर्तन और स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर रही है। राजस्व को भी भारी क्षति होर हा है। जानकारी अनुसार रात में रेत उत्खनन के लिए विशेष लाइसेंस और पर्यावरण विभाग से अनुमति की आवश्यकता होती है। लेकिन अवैध खनन में इस प्रक्रिया की अनदेखी की जाती है।
रेत के अवैध खुदाई- परिवहन और भंडारण पर कार्रवाई
जिले में खनिज विभाग द्वारा वर्ष 2024-25 में कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देशन में रेत के अवैध उत्खनन- परिवहन और भंडारण पर कठोर कार्रवाई की गई। इस दौरान शर्तों के उल्लंघन पर छ: रेत भंडारण अनुज्ञप्तियां निरस्त कर, प्रत्येक से 50 हजार रुपए की प्रतिभूति राशि सहित कुल 3 लाख रु. राजसात किए गए।
अवैध उत्खनन के एक प्रकरण में 1 लाख67 हजार500 रुपए की समझौता राशि वसूली गई। अवैध परिवहन के आठ प्रकरणों से 1 लाख, 09 हजार 500 रुपए की वसूली की गई।
जिले में निविदा के माध्यम से आठ रेत खदानों का आवंटन किया गया। जिनमें से सात खदानें बडग़ांव 1, बडग़ांव 2, बरबसपुर, लाफिनखुर्द, लामीसरार,मुडिय़ाडीह, बल्चीडीह सक्रिय हैं। साथ ही छह अस्थायी रेत मंडारण अनुज्ञप्तियां ग्राम बरबसपुर और बिरकोनी में संचालित हैं।
अवैध रेत परिवहन के 166 प्रकरणों से 25 लाख,92 हजार 886 रुपए और अवैध भंडारण के 17 प्रकरणों से 11 लाख, 73 हजार 250 रुपए कोमिलाकर कुल 52 लाख, 18 हजार 636 रुपए की राजस्व की वसूली की गई है।
अफसर छुट्टी पर होते हैं तो दिन-रात खुलेआम
छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद, 31 दिसंबर। कलेक्टर लंगेह ने निर्देश दिए हैं कि रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। लेकिन अवैध रेत उत्खनन करने वाले अफसरों के अवकाश में रहने का फायदा उठाते दिन के अलावा हुए रात में भी लगातार रेत की खुदाई कर रहे हैं। केडियाडीह और मोहकम जैसे रेत खदानों में मशीनों को चोरी छिपे नदी के बीच में उतार कर उत्खनन हो रहा है। बगैर पीट पास के वाहनें रेत भरकर धड़ल्ले से खदानों से निकल रही हैं। इस तरह यहां शाम होते ही जंगल में छिपी मशीनें नदी में उतरती हैं। रात भर रेत खनन होता है। अफसर छुट्टी पर होते हैं तो दिन-रात खुलेआम होता है।
क्षेत्र के कुछ खदानों को छोडक़र अन्य खदानों में अवैध रूप से रेत निकालने तथा उसके परिवहन का काम जारी है। इसके कारण वैध घाटों का ठेका लेने वाले संचालक स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। वैध खदानों के संचालकों की मानें तो रेत घाटों के गांवों में पहुंचकर दिए जा रहे प्रलोभन और संचालन की स्थानीय अनुमति से वे शासन को दिया जाने वाला राजस्व तक नहीं जुटा पा रहे। जिलाप्रशासन कहती है कि लगातार कार्रवाई जारी है। लेकिन अफसर जब सरकारी छुट्टी पर होते हैं तब रेत घाटों से उत्खनन दोगुनी गति से होता है।
स्थिति यह है कि शाम होते ही नदी के उस पार से मशीनें घाट में पहुंचती हंै। दिन में गांव के जंगल में छिपाई गई मशीनों को रात में नदी मे्ें उतार दिया जाता है। ऐसा नही है कि प्रशासन इन पर कार्रवाई नही करना चाहता। लेकिन सत्ता पक्ष के ऊपरी दबाव के चलते प्रशासन भी कई मामलों में स्वयं को लाचार पाता है। अधिकतर सत्ता पक्ष के लोग ही गैंग बनाकर रेत खनन का काम कर रहे हैं। केडियाडीह, मोहकम, सेनकपाट, चिंगरौद, लाफिन सहित कई अन्य खदानों में निर्बाध अवैध उत्खनन जारी है।
इस तरह महासमुंद जिले भर में रेत का अवैध उत्खनन एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह पर्यावरण असंतुलन, जलवायु परिवर्तन और स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर रही है। राजस्व को भी भारी क्षति होर हा है। जानकारी अनुसार रात में रेत उत्खनन के लिए विशेष लाइसेंस और पर्यावरण विभाग से अनुमति की आवश्यकता होती है। लेकिन अवैध खनन में इस प्रक्रिया की अनदेखी की जाती है।
रेत के अवैध खुदाई- परिवहन और भंडारण पर कार्रवाई
जिले में खनिज विभाग द्वारा वर्ष 2024-25 में कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देशन में रेत के अवैध उत्खनन- परिवहन और भंडारण पर कठोर कार्रवाई की गई। इस दौरान शर्तों के उल्लंघन पर छ: रेत भंडारण अनुज्ञप्तियां निरस्त कर, प्रत्येक से 50 हजार रुपए की प्रतिभूति राशि सहित कुल 3 लाख रु. राजसात किए गए।
अवैध उत्खनन के एक प्रकरण में 1 लाख67 हजार500 रुपए की समझौता राशि वसूली गई। अवैध परिवहन के आठ प्रकरणों से 1 लाख, 09 हजार 500 रुपए की वसूली की गई।
जिले में निविदा के माध्यम से आठ रेत खदानों का आवंटन किया गया। जिनमें से सात खदानें बडग़ांव 1, बडग़ांव 2, बरबसपुर, लाफिनखुर्द, लामीसरार,मुडिय़ाडीह, बल्चीडीह सक्रिय हैं। साथ ही छह अस्थायी रेत मंडारण अनुज्ञप्तियां ग्राम बरबसपुर और बिरकोनी में संचालित हैं।
अवैध रेत परिवहन के 166 प्रकरणों से 25 लाख,92 हजार 886 रुपए और अवैध भंडारण के 17 प्रकरणों से 11 लाख, 73 हजार 250 रुपए कोमिलाकर कुल 52 लाख, 18 हजार 636 रुपए की राजस्व की वसूली की गई है।