सैयद हैदर रजा की 9वीं पुण्यतिथि पर मंडला में श्रद्धांजलि:कलाकारों ने दिखाया राम-रावण युद्ध, भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्य की हुई प्रस्तुती

पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित, भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रजा की 9वीं पुण्यतिथि पर बुधवार को मंडला में भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। रजा फाउंडेशन द्वारा आयोजित स्मृति कार्यक्रम में कलाकारों, कवियों, प्रशंसकों और स्थानीय नागरिकों ने बिंझिया कब्रिस्तान पहुंचकर रजा को पुष्पांजलि अर्पित की। यह अवसर सिर्फ स्मरण का नहीं बल्कि कला, काव्य और संस्कृति की समर्पित अभिव्यक्ति का आयोजन बन गया। पांच दिन तक चले रजा स्मृति समारोह में चित्रकला प्रदर्शनी, काव्य पाठ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की श्रृंखला आयोजित की गई। मंगलवार को आरडी कॉलेज सभागार में महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता ‘राम की शक्ति पूजा’ पर आधारित नृत्य नाटिका का मंचन हुआ। इस प्रस्तुति का निर्देशन प्रख्यात कवि व्योमेश शुक्ल ने किया। जबकि नाटक की पंक्तियों का चयन उनकी मां श्रीमती शकुंतला शुक्ला ने किया। राम-रावण युद्ध और शक्ति की आराधना को मंच पर भावपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया, जिससे दर्शक भावविभोर हो गए। इस मौके पर मंडला कलेक्टर श्री सोमेश मिश्रा, पुलिस अधीक्षक रजत सकलेचा, सीईओ जिला पंचायत श्रेयांस कूमट, प्रफुल्ल मिश्रा और सांसद प्रतिनिधि जयदत्त झा सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। कलेक्टर मिश्रा ने कहा, "रजा फाउंडेशन का यह प्रयास सिर्फ आयोजन नहीं, बल्कि कलाकारों को मंच देने और कला को समाज से जोड़ने का माध्यम है। ऐसे आयोजन साल में दो बार होने चाहिए।” वहीं प्रफुल्ल मिश्रा ने भी कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे स्थायी परंपरा के रूप में आगे बढ़ाने का सुझाव दिया। कार्यक्रम के समापन पर सभी कलाकारों को शाल और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। इससे पूर्व सोमवार को भी रजा स्मृति समारोह में भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुतियां दी गईं, जिसने दर्शकों को संस्कृति के अद्भुत सौंदर्य से जोड़ा। सैयद हैदर रजा का निधन 23 जुलाई 2016 को 95 वर्ष की आयु में दिल्ली में हुआ था। उनकी अंतिम इच्छा अनुसार उनके पार्थिव शरीर को मंडला के बिंझिया कब्रिस्तान में उनके पिता की कब्र के पास दफनाया गया। कला के इस महान साधक को भारत सरकार ने 1981 में पद्मश्री, 2007 में पद्मभूषण, और 2013 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। इसके साथ ही फ्रांस सरकार ने 2015 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी दिया था।

सैयद हैदर रजा की 9वीं पुण्यतिथि पर मंडला में श्रद्धांजलि:कलाकारों ने दिखाया राम-रावण युद्ध, भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्य की हुई प्रस्तुती
पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित, भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रजा की 9वीं पुण्यतिथि पर बुधवार को मंडला में भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। रजा फाउंडेशन द्वारा आयोजित स्मृति कार्यक्रम में कलाकारों, कवियों, प्रशंसकों और स्थानीय नागरिकों ने बिंझिया कब्रिस्तान पहुंचकर रजा को पुष्पांजलि अर्पित की। यह अवसर सिर्फ स्मरण का नहीं बल्कि कला, काव्य और संस्कृति की समर्पित अभिव्यक्ति का आयोजन बन गया। पांच दिन तक चले रजा स्मृति समारोह में चित्रकला प्रदर्शनी, काव्य पाठ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की श्रृंखला आयोजित की गई। मंगलवार को आरडी कॉलेज सभागार में महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता ‘राम की शक्ति पूजा’ पर आधारित नृत्य नाटिका का मंचन हुआ। इस प्रस्तुति का निर्देशन प्रख्यात कवि व्योमेश शुक्ल ने किया। जबकि नाटक की पंक्तियों का चयन उनकी मां श्रीमती शकुंतला शुक्ला ने किया। राम-रावण युद्ध और शक्ति की आराधना को मंच पर भावपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया, जिससे दर्शक भावविभोर हो गए। इस मौके पर मंडला कलेक्टर श्री सोमेश मिश्रा, पुलिस अधीक्षक रजत सकलेचा, सीईओ जिला पंचायत श्रेयांस कूमट, प्रफुल्ल मिश्रा और सांसद प्रतिनिधि जयदत्त झा सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। कलेक्टर मिश्रा ने कहा, "रजा फाउंडेशन का यह प्रयास सिर्फ आयोजन नहीं, बल्कि कलाकारों को मंच देने और कला को समाज से जोड़ने का माध्यम है। ऐसे आयोजन साल में दो बार होने चाहिए।” वहीं प्रफुल्ल मिश्रा ने भी कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे स्थायी परंपरा के रूप में आगे बढ़ाने का सुझाव दिया। कार्यक्रम के समापन पर सभी कलाकारों को शाल और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। इससे पूर्व सोमवार को भी रजा स्मृति समारोह में भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुतियां दी गईं, जिसने दर्शकों को संस्कृति के अद्भुत सौंदर्य से जोड़ा। सैयद हैदर रजा का निधन 23 जुलाई 2016 को 95 वर्ष की आयु में दिल्ली में हुआ था। उनकी अंतिम इच्छा अनुसार उनके पार्थिव शरीर को मंडला के बिंझिया कब्रिस्तान में उनके पिता की कब्र के पास दफनाया गया। कला के इस महान साधक को भारत सरकार ने 1981 में पद्मश्री, 2007 में पद्मभूषण, और 2013 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। इसके साथ ही फ्रांस सरकार ने 2015 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी दिया था।